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चिंता: भयंकर तूफान का रूप ले सकता है चक्रवात तौकते

-योगेश कुमार गोयल-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

कोरोना महामारी के बीच ‘तौकते’ का खौफ

एक ओर जहां पूरा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है, वहीं एक और बड़ी आफत परेशानी का सबब बनने आ रही है। दरअसल अरब सागर में चल रही उथल-पुथल के कारण दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा 16 मई को इससे चक्रवाती तूफान ‘तौकते’ के जन्म की भविष्यवाणी की गई है, जिसका प्रभाव केरल, गोवा, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र इत्यादि देश के कई हिस्सों में देखने को मिल सकता है। इस चक्रवाती तूफान के कारण देश के कई इलाकों में भारी बारिश, आंधी, तूफान और तेज हवाएं चलने की आशंका है। भारतीय तट पर इस वर्ष यह पहला चक्रवाती तूफान होगा। मौसम विभाग द्वारा इस तूफान के मद्देनजर लक्षद्वीप समूह, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और गोवा के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की जा चुकी है। चक्रवात के कारण केरल में तो कई जगहों पर जलभराव हो गया है और कोच्चि में अचानक बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। तिरुवनंतपुरम में तो अरुविक्करा बांध के गेट भारी बाढ़ के कारण 13 मई की रात खोलने पड़े, जिससे करमना तथा किल्ली नदियों में बाढ़ आ गई। चक्रवाती तूफान की संभावनाओं के मद्देनजर नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की कुल 53 टीमें निर्धारित की गई हैं, जिनमें से 24 टीमें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं और 29 टीमें स्टैंडबाय मोड पर हैं। आईएमडी के अनुसार अरब सागर में बने दबाव के क्षेत्र के 17 मई को अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होने और एक दिन बाद इसके गुजरात तट को पार करने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक चक्रवाती तूफान तौकते 17-18 मई को गुजरात में भारी तबाही मचा सकता है और संभवतः 20 मई को कच्छ क्षेत्र से गुजरते हुए दक्षिण पाकिस्तान का रूख कर सकता है। पश्चिमी तटीय राज्यों को सतर्क करते हुए मौसम विभाग के चक्रवात चेतावनी प्रभाग का कहना है कि 16 से 19 मई के बीच पूरी संभावना है कि 150-160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ यह एक अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होगा और हवाओं की रफ्तार बीच-बीच में 175 किलोमीटर प्रतिघंटा भी हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार लक्षद्वीप सागर में उत्पन्न यह चक्रवात केरल तथा कर्नाटक तट से दक्षिण पूर्व अरब सागर में बना रहेगा और तट के समानांतर पणजी तक जाएगा, फिर गुजरात तट की ओर बढ़ेगा और भावनगर तथा पोरबंदर के बीच का समुद्र तट इसका स्ट्राइक एरिया बनेगा।

माना जा रहा है कि तौकते चक्रवाती तूफान का ट्रैक पिछले दो दशकों में बने तूफान के ट्रैक से बिल्कुल अलग होगा। ऐसा ही ट्रैक 4 से 7 मई 2004 के बीच आए एक गंभीर चक्रवाती तूफान में देखा गया था, जो उत्तर केरल तथा कर्नाटक तट पर अरब सागर में विकसित हुआ था। हालांकि गुजरात में मई महीने में ऐसा चक्रवाती तूफान करीब 20 वर्षों बाद देखा जाएगा। स्काईमेट वेदर की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 20 साल पहले 215 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली हवाओं के साथ 22 मई 2001 को सोमालिया तट पर विकसित हुए अरब सागर के सबसे मजबूत और खतरनाक चक्रवाती तूफान एआरबी 01 का बड़ा असर गुजरात में 28 मई 2001 तक देखा गया था। अगर 21 वर्षों के दौरान भारतीय समुद्रों में आए चक्रवाती तूफानों की बात की जाए तो वर्ष 1999 से 2020 तक भारतीय समुद्र में प्री-मानसून और पोस्ट मानसून सीजन में कुल 60 चक्रवाती तूफान आए हैं, जिनमें से मई माह में 17, अक्तूबर में 23 और नवम्बर में कुल 20 चक्रवाती तूफान आए। 2005, 2011 और 2012 ऐसे वर्ष रहे, जब प्री-मानसून सीजन के दौरान कोई तूफान नहीं आया।

जहां तक तौकते तूफान के ट्रैक की बात है तो इसे अन्य तूफानों से अलग इसलिए माना जा रहा है क्योंकि प्रायः अरब सागर में बनने वाले अधिकांश चक्रवात पश्चिम की ओर सोमालिया, यमन व ओमान की ओर चले जाते हैं तथा मध्य अरब सागर पर बनने वाले बेहद कम तूफान ही गुजरात तट तक पहुंचते हैं। स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक मई में बनने वाले किसी भी तूफान का ट्रैक तौकते की तरह नहीं है और तौकते का गुजरात तक पहुंचने का अनुमान एक महत्वपूर्ण मौसमी घटना है। इस रिपोर्ट के अनुसार तौकते चक्रवाती तूफान अत्यंत गंभीर रूप धारण कर सकता है और 118-165 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं तथा तूफान के दौरान तेज हवाओं के साथ भारी बारिश के चलते बड़े क्षेत्र में काफी नुकसान पहुंचने की संभावना है। इसलिए केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, दमन और दीव, गुजरात इत्यादि को हाई अलर्ट पर रहने के साथ तूफान की चुनौती से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना होगा।

‘तौकते’ जैसा अजीब नाम ही क्यों?

वैसे यह जानना दिलचस्प रहेगा कि भारत के कई हिस्सों में तबाही मचाने वाले इस चक्रवाती तूफान का बड़ा अजीबोगरीब सा नाम ‘तौकते’ ही क्यों रखा गया? दरअसल तूफान को यह नाम म्यांमार द्वारा दिया गया है और वहां तौकते का अर्थ होता है ‘अत्यधिक आवाज निकालने वाली छिपकली’। अरब सागर में बना कम दबाव का क्षेत्र यदि चक्रवाती तूफान का रूप धारण करता है तो तूफान का नाम ‘तौकते’ ही होगा। भयंकर तूफानों का नामकरण किए जाने के पीछे भी अहम कारण हैं। दरअसल किसी भी तूफान को नाम इसलिए दिया जाता है ताकि तूफान का कोई नाम होने से लोगों को उसकी भयावहता को लेकर समय रहते चेतावनी दी जा सके और प्रभावित होने वाले क्षेत्र में लोग उसे गंभीरता से ले सकें। नामकरण के बाद ऐसे तूफानों से निपटने के लिए तैयारी करने में भी मदद मिलती है। किसी भी तूफान का कोई नाम रखते समय ध्यान रखा जाता है कि वह नाम सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील न हों और उसका अर्थ भी भड़काऊ नहीं हो।

कैसे होता है तूफानों का नामकरण?

बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला करीब 17 वर्ष पूर्व 2004 में शुरू हुआ था। इन क्षेत्रों में तूफानों को नाम देने के लिए 8 देशों (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड) की एक सूची बनाई गई, जिनके द्वारा क्रमवार 8-8 नाम दिए गए। भारत द्वारा तूफानों के नामों की इस सूची के लिए अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर तथा वायु नाम दिए गए थे। जब जिस देश की बारी आती है, उस देश की सूची में दिए गए नाम के आधार पर तूफान का नामकरण किया जाता है। इस प्रकार तूफानों के कुल 64 नाम तय किए गए। पिछले साल आया तूफान ‘अम्फान’ 64 तूफानों के नामों की सूची में अंतिम नाम था। 2018 में ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन को भी समूह में शामिल किया गया। अम्फान के साथ तूफानों के 64 नाम समाप्त होने के बाद 13 देशों के सुझावों के अनुसार अप्रैल 2020 में चक्रवात के नए नामों वाली नई सूची सदस्य देशों की ओर से स्वीकृत की गई, जिनमें अर्नब, निसर्ग, आग, व्योम, अजार, प्रभंजन, तेज, गति, लुलु जैसे 160 नामों को सूचीबद्ध किया गया। मालदीव की ओर से बुरेवी, म्यांमार द्वारा तौकते, ओमान द्वारा यास तथा पाकिस्तान की ओर से गुलाब जैसे नाम चक्रवातों के लिए तय किए गए। इस बार तूफान के नामकरण की बारी म्यांमार की थी, इसलिए उसके द्वारा तय नाम ‘तौकते’ रखा गया। केरल, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र इत्यादि भारत के तटवर्ती राज्य अक्सर ऐसे चक्रवाती तूफानों से प्रभावित होते रहे हैं। इस तरह के चक्रवाती तूफान अपने पीछे केवल बर्बादी छोड़ जाते हैं। पिछले साल आए अम्फान, निसर्ग, निवार जैसे चक्रवाती तूफानों ने भी भारी तबाही मचाई थी। भीषण तबाही मचाकर गुजर जाने वाले ऐसे तूफानों के बाद भी तूफान प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को लंबे समय तक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बहरहाल, तौकते के कहर से निपटने के लिए की गई तमाम तैयारियों के बाद भी तबाही होनी तो तय है ही, इसलिए जरूरी है कि इसके गुजर जाने के बाद लोगों को भावी मुसीबतों से निजात दिलाने के लिए राजनीतिक बयानबाजियों से परे हटकर युद्धस्तर पर कार्य किए जाएं।

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