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पत्रकारों में सकारात्मक सोच विकसित करने से ही बच सकते है मूल्य

-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

वडोदरा के पारुल विश्वविद्यालय व माउंट आबू के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से 28 व 29 जून को आयोजित कोरोना काल मे मूल्यपरक पत्रकारिता विषयक दो दिवसीय वेबनार में मीडिया में प्रभावित होती निष्पक्षता व दमतोड़ती सत्यता को लेकर चिंता प्रकट की गई लेकिन साथ ही सुझाव भी दिया गया कि यदि पत्रकारों को मूल्यनिष्ठ ,कर्तव्यनिष्ठ व चरित्रवान बनाने के लिए समय समय पर प्रशिक्षित किया जाए तो मीडिया जगत में सच परोसने वालो की संख्या बढ़ सकती है।पारुल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रमेश कुमार रावत के कुशल संचालन व ब्रह्माकुमारीज मीडियाविंग के मुख्यालय समन्वयक बीके शांतनु भाई के संयोजन में देशभर से चुनिंदा पत्रकारो,मीडिया प्राध्यापको व संस्थान प्रमुखों ने मीडिया की वर्तमान दशा,कोरोना काल का पत्रकारिता पर प्रभाव तथा कोरोना संकट से उभरने के लिए पत्रकारों की भूमिका पर खुलकर विचार व्यक्त किये।वेबनार के पहले दिन शुरुआत में ब्रह्माकुमारीज मीडियाविंग के चेयरपर्सन बीके करुणा भाई ने कहा कि कोरोना के संकट में मीडिया ने अपनी सार्थक जिम्मेदारी निभाई है और विचलित हुए बिना राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों को आमजन के सामने लाने में मीडिया का अहम योगदान है।उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान पिछले 25 वर्षों से पत्रकारिता को आध्यात्मिकता से जोड़कर देश विदेश के पत्रकारों को मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षित व प्रेरित करता रहा है।अपने मुख्य सम्बोधन में देश के जाने माने पत्रकार एन के सिंह ने वर्तमान दौर में मीडिया के माध्यम से परोसे जा रहे अर्द्ध सत्य की सारगर्भित विवेचना की और देश की अर्थव्यवस्था, चुनाव, राजनीति व मीडिया को दबाने की प्रवृत्ति को भी रेखांकित किया। ब्रह्माकुमार युग रत्न के आध्यात्मिक मधुर स्वागत गीत से शुरू हुई इस वेबनार मे मेजबान पारुल विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ देवांशु जे पटेल ने मीडिया वेबनार विषय को आज की आवश्यकता बताया और माना कि यह वेबनार उनके विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी।इंदौर से वरिष्ठ प्रिंट मीडिया पत्रकार श्रवण गर्ग ने मीडिया की विभिन्न चुनोतियो को ओर ध्यानाकर्षण कराया और कोरोना काल मे मिडिया पर भी आए संकट को परिभाषित किया।उत्तराखंड से वरिष्ठ पत्रकार डॉ श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि देश मे सच लिखने वाले अच्छे पत्रकारों की भी कमी नही है लेकिन अगर ब्रह्माकुमारीज जैसी संस्थाओं के माध्यम से पत्रकारों को समय समय व स्थान स्थान पर मिशनरी पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षण दिया जाता रहा तो अर्द्ध सत्य परोसने वालो की संख्या घट सकती है और सत्य आधारित मूल्यपरक पत्रकारों की संख्या में आशातीत बढ़ोतरी हो सकती है।ब्रह्माकुमारीज मीडियाविंग के नेशनल कोर्डिनेटर बीके सुशांत भाई ने युवा पत्रकारों में चरित्रनिर्माण पर जोर दिया और कहा कि देश और समाज को उन्नत करने के लिए मूल्यो को समझना व उनपर चलना जरूरी है।जामिया मिलिया के प्रोफेसर सुरेश वर्मा ने भी मीडिया में अपेक्षित सुधार के लिए ब्रह्माकुमारीज के द्वारा आयोजित की जाने वाली नेशनल मीडिया सेमिनारों की आज के दौर में आवश्यता बताई।
जयपुर से पत्रकारिता के प्रोफेसर रहे संजीव भानावत ने माना कि मीडिया अच्छे काम भी बहुत कर रहा है और देश व समाज मे अपनी सार्थक भूमिका निभा रहा है।राज्य सभा टीवी के अधिशासी निदेशक रहे राजेश बादल ने मीडिया के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि लोकतंत्र में मीडिया के महत्व को नकारा नही जा सकता और ब्रह्माकुमारीज के इस विषयक योगदान की सराहना की।वही कल्याण सिंह कोठारी ने भी स्वीकार किया कि पत्रकारों को निरन्तर मूल्याधारित पत्रकारिता का प्रशिक्षण देकर हालात बदले जा सकते है।ब्रह्माकुमारीज मिडियविंग मुख्यालय समन्वयक बीके शांतनु ने अपने भावपूर्ण उदबोधन में कोरोना काल मे पत्रकारों द्वारा की गई सामाजिक सेवा व सामाजिक मूल्यों को बचाये रखने के उनके योगदान को अनुकरणीय बताया।उन्होंने ब्रह्माकुमारीज द्वारा कोरोना के समय आठ सौ बेड की उपचार सुविधा उपलब्ध कराने व समय समय पर की गई अन्य सेवाओ का उल्लेख किया।उन्होंने वेबनार को बेहद सफल बताते हुए भविष्य में भी इस तरह के आयोजन की आवश्यकता बताई।वेबनार में राजयोगिनी बहन बीके नंदिनी,प्रोफेसर पुनिता हरने,प्रोफेसर एमएन पटेल ने माना कि हमे अच्छी सोच पैदा करनी होगी तभी हम मीडिया को अच्छा बना सकते है।
माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने दूसरे दिन के अपने मुख्य सम्बोधन में मीडिया में आये दिन हो रहे बदलाव और उसके प्रभाव को लेकर चर्चा की।उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में नए विद्यार्थियों की अपेक्षाओं और इस दिशा में आमजनमानस की सोच को रेखांकित करते हुए माना कि बाजारवाद के बाद भी मूल्यों का बचा रहना जरूरी है।इसी दिशा में अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर प्रदीप कुमार मलिक,प्रोफेसर पवन द्विवेदी, प्रोफेसर पल्लवी खेड़कर ने भी अपने अनुभव साझा किए।वेबनार के अंत मे बीके युग रत्न ने ‘कोरोना बाय बाय’ का मनमोहक गीत सुनाकर सबका मन मोह लिया।

 

 

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