EducationPolitics

दिग्विजय का बयान और सरस्वती शिशु मंदिर राष्ट्रवाद की प्रयोगशाला

-निखिलेश महेश्वरी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

राष्ट्रवाद और अराष्ट्रवाद पर दिग्विजय सिंह निरंतर विवादास्पद बयान देते रहे हैं और वह हमेशा हिन्दुत्व के खिलाफ खड़े दिखाई देते हैं। वास्तव में दिग्विजय सिंह की स्थिति उस पुराने खण्डहर की तरह है, जो भ्रष्टाचार से बना और ध्वस्त हो गया और अब वह पुनः अपने वैभव को प्राप्त करना चाहता है। आज उसी प्रकार की स्थिति दिग्विजय सिंह की है।

वह अपने आप को चर्चा में बनाये रखने के लिए इस तरह के बयान देते रहते हैं ताकि उनकी प्रासंगिकता बनी रहे परन्तु ऐसा करते समय वह भूल जाते हैं कि इससे करोड़ों लोगों की भावना आहत होती है। इसमें वे राष्ट्रवाद के खिलाफ दिखाई देते हैं।

जब वह मुख्यमंत्री थे तब आतंकवाद चरम पर था और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) जैसा संगठन मध्य प्रदेश में विस्तार पा चुका था। जिस पर वह कोई नियंत्रण नहीं कर पाए। पूरे प्रदेश को एक भय के साए में ले जाने का कार्य उन्हीं के कार्यकाल में हुआ। उसमें महिदपुर, नागदा, रतलाम, मंदसौर, खण्डवा, भोपाल, देवास जैसे जिले बड़े स्तर पर इसके प्रमाण हैं।

साक्ष्यों को देखें तो सन् 2001 में महिदपुर में 1000 लोगों ने जुलूस निकालकर पाकिस्तान, लादेन जिन्दाबाद के नारे लगाए । इन में से तमाम लोगों के हाथों में पेट्रोल बम थे, जिस पर दिग्विजय सिंह ने संज्ञान लेना भी उचित नहीं समझा था। आज भी उसके वीडियो देखे जा सकते हैं।

झिरन्या जिला उज्जैन में सोहराबुद्दीन के घर 1995 में कुएं से 40 एके-47 रायफल बरामद हुई थीं। इन्हीं के मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रदेश में नक्सलवाद चरम पर पहुंच गया था। खरगोन और बड़वानी जैसे शांतिप्रिय क्षेत्र को खूनी संघर्ष का सामना करना पड़ा और ईसाइयों के द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति का धर्मांतरण कार्य जोरों पर जाते हुए सभी ने देखा था। इतना ही नहीं तो पट्टों के नाम पर अनेक जगह जाति संघर्ष इन्हीं की देन रही है।

विकास के नाम पर देखा जाए तो मध्य प्रदेश की ‘गड्ढों में सड़क’ सबके लिए एक जुमला बन चुका था। बिजली के नाम पर केवल बल्बों में तार चमकते थे। मुख्यमंत्री पद से हटने के पश्चात् भी कई अवसरों पर उन्होंने ऐसे अनर्गल बयान देकर नया विवाद खड़ा किया है, जिससे वह खुद उस कटघरे में खड़े हो जाते हैं, जिसकी कल्पना कोई भी देश भक्त भारतीय स्वप्न में भी नहीं करेगा।

वस्तुतः इस आधार पर दिग्विजय सिंह से यह बार-बार अवश्य ही पूछा जाना चाहिए कि आतंकवादी ओसामा के नाम के साथ ‘जी’ लगाना, आतंकी जाकिर नाईक को ‘शांतिदूत’ बताना, बाटला हाउस एनकाउंटर को झूठा बताकर इंस्पेक्टर ‘मोहन शर्मा’ की शहादत को अपमानित करना, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के सबूत मांगना जैसे बयान देकर भारत का सिर नीचा करने का ज्ञान आपने किस विद्यालय से लिया है, उन्हें यह आज जरूर बताना चाहिए।

खैर, वह बताएं या न बताएं यह उनका विषय है। उनसे केवल इतना कहना है कि सब लोग जानते हैं कि दिग्विजय सिंह अगर केवल खण्डहर का वैभव दिखाने की बात करेंगे तो उसका भ्रष्टाचार भी सबको दिखेगा। उनके द्वारा हाल ही में ”सरस्वती शिशु मंदिर” पर दिया गया बयान आपकी ओछी और राष्ट्र विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करता है, जबकि सब लोग जानते हैं कि ”सरस्वती शिशु मंदिर” के पढ़े हुए ‘विद्यार्थियों’ ने भारत का मस्तक हमेशा ऊँचा किया है, जिसके अनेक प्रमाण हैं।

शिक्षा क्षेत्र, राजनैतिक क्षेत्र, खेल क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र एवं सामाजिक क्षेत्र में ”विद्या भारती” के पूर्व छात्रों ने उत्कृष्टता का प्रदर्शन कर ‘राष्ट्रवाद’ की अलख जगायी है। वर्तमान में मीडिया जगत का चेहरा चाहे स्व. रोहित सरदाना हों, खेल जगत में 2021 के टोक्यो पैरालम्पिक में ऊँची कूद में रजत पदक दिलाने वाला हिमाचल प्रदेश के निषाद कुमार हों या एयरफोर्स के कमांडेट रविकांत गौतम जो सरस्वती विद्यापीठ शिवपुरी का पूर्व छात्र रहे हैं, ने जोकि अफगानिस्तान में मिशन काबुल के माध्यम से भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने का कार्य सफलता पूर्वक किया है। यहां ऐसे अनेक विद्यार्थियों के नाम गिनाए जा सकते हैं, जिनका अपने राष्ट्र को आगे ले जाने में अभूतपूर्व योगदान है।

सच यही है कि सरस्वती शिशु मंदिर के छात्रों ने अपनी ज्ञान क्षमता से सतत ऊँचाइयाँ प्राप्त की हैं। वर्तमान में मध्य प्रदेश की ही बहन उर्वशी सेंगर (ग्वालियर), बहन राधिका गुप्ता (अलीराजपुर), भैया अभिषेक खण्डेलवाल (सेमरी हरचंद, होशंगाबाद) जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं (यूपीएससी) में स्थान प्राप्त कर यह बताया है कि उनकी प्रतिभा देश को समर्पित है।

वास्तव में इन छात्रों ने ‘सरस्वती शिशु मंदिर’ को गौरवान्वित किया है। दिग्विजय सिंह केवल राष्ट्र विरोधियों को खुश करने और स्वयं की राजनीति चमकाने के लिए इस प्रकार के निरर्थक कार्य करते रहे हैं। दिग्विजय सिंह से यही आग्रह है कि सरस्वती शिशु मंदिर एवं उनके द्वारा दी जाने वाली शिक्षा और संस्कार का वहाँ जाकर पहले अध्ययन करें और अपने इस बयान पर माफी मांगें। अन्यथा आप केवल मीडिया की सामग्री मात्र बनकर रह जाएंगे।

यहां यह भी मांग समयानुकूल है कि जिस प्रकार कई विषयों में न्यायालय संज्ञान लेता रहा है उसी प्रकार मध्य प्रदेश हाईकोर्ट इस विषय में संज्ञान लेकर दिग्विजय सिंह पर न्यायिक कार्यवाही करे, क्योंकि यह किसी एक विद्यालय का विषय नहीं है बल्कि उन लाखों पूर्व छात्रों से भी जुड़ा हुआ विषय है, जो सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़कर अपनी सेवा देश को दे रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker