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श्रीलंका से लाये जा रहे बुद्ध के स्मृति चिन्हों को राजकीय अतिथि जैसा दर्जा मिलेगा:अधिकारी

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 20 अक्टूबर को होने वाली कुशीनगर की यात्रा के दौरान श्रीलंका से लाये जा रहे बुद्ध के स्मृति चिन्हों के स्वागत में राजकीय अतिथि से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा । संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी ।

प्रधानमंत्री मोदी 20 अक्टूबर को कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे ।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ‘श्रीलंकन एयरलाइन्स’ की उड़ान में एक सीट को बुद्ध के स्मृति चिन्हों के लिये आरक्षित रखा जायेगा ।

श्रीलंका से 123 सदस्यीय शिष्टमंडल आ रहा है, जिसमें वस्कादुआ मंदिर के वर्तमान महानायक के नेतृत्व में 12 सदस्यीय पवित्र स्मृति चिन्ह दल भी शामिल होगा, जो प्रदर्शनी के लिए बुद्ध के स्मृति चिन्ह साथ लायेंगे।

मंत्रालय के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल में श्रीलंका में बौद्ध धर्म के सभी चार निकातों (शाखाओं) यानी असगिरिया, अमरपुरा, रामन्या, मालवट्टा के अनुनायक (उप प्रमुख) के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री नमल राजपक्षे के नेतृत्व में श्रीलंका सरकार के पांच मंत्री भी शामिल होंगे।

अधिकारी ने बताया, ‘‘ श्रीलंकन एयरलाइन्स की उड़ान में एक सीट स्मृति चिन्हों के लिये होगी । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्मृति चिन्हों की अगवानी करेंगे । राजकीय अतिथि से जुड़े सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को कुशीनगर में महापरिनिर्वाण मंदिर में अभिधम्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस दिन वह वहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी उद्घाटन करेंगे। यह हवाई अड्डा दुनिया भर के बौद्ध तीर्थस्थलों को जोड़ने का एक प्रयास है।

कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन के अवसर पर कोलंबो, श्रीलंका से एक विमान हवाई अड्डे पर उतरेगा। इस विमान में श्रीलंका का एक प्रतिनिधिमंडल भारत की यात्रा पर आएगा ।

अधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम का आकर्षण श्रीलंका के वस्कादुआ श्री सुबुद्धि राजविहार मंदिर से लाया जा रहा बुद्ध का स्मृति चिन्ह है। यह लोगों के दर्शन के लिये खुला होगा ।

गौरतलब है कि 1898 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर में पिपरहवा स्थित ब्रिटिश भूस्वामी विलियम क्लैक्सटन पेपी के परिसर में टीले की खुदाई की थी ।

अधिकारी ने बताया, ‘‘ उन्हें पत्थर का एक बड़ा बक्सा मिला, जिसमें कुछ ताबूत थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ये स्मृति चिन्ह वास्तविक माने जाते हैं (बुद्ध की अस्थियां, राख, आभूषण आदि)’’

उल्लेखनीय है कि इस स्तूप से प्राप्त बुद्ध के स्मृति चिन्हों का एक हिस्सा थाईलैंड के राजा और एक भाग बर्मा के नरेश को भेजा गया । इसका एक भाग श्रीलंका के वस्कादुआ मंदिर के श्री सुबुद्धि महानायक थेरो को दिया गया । इन स्मृति चिन्हों का एक हिस्सा तीन छोटे कमल की आकृतिनुमा ताबूत में कुशीनगर लाया जायेगा ।

प्रधानमंत्री महापरिनिर्वाण मंदिर जाएंगे, शयन मुद्रा में भगवानबुद्ध की मूर्ति की अर्चना करेंगे तथा चीवर अर्पित करेंगे और बोधि वृक्ष का पौधा भी लगाएंगे।

अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री अभिधम्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे।

मंत्रालय के अनुसार, यह दिन बौद्ध भिक्षुओं के लिए तीन महीने के वर्षा प्रस्थान-वर्षावास या वासा के अंत का प्रतीक है। इस दौरान वे विहार और मठ में एक स्थान पर रहते हैं और प्रार्थना करते हैं। इस कार्यक्रम में श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमा, दक्षिण कोरिया, नेपाल, भूटान और कंबोडिया के गणमान्य भिक्षुओं के साथ-साथ विभिन्न देशों के राजदूत भी शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री गुजरात के वडनगर और अन्य स्थलों की खुदाई से प्राप्त अजंता भित्ति चित्र, बौद्ध सूत्र हस्तलिपि और बौद्ध कलाकृतियों की प्रदर्शनी को भी देखेंगे।

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