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पंजाब में सिद्धू हावी

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

पंजाब में कांग्रेस का अनुसूचित जाति वोट बैंक का दांव उलटा पड़ रहा है। कांग्रेस ने चरणजीत चन्नी को अनुसूचित जाति का पहला सीएम जरूर बना दिया, लेकिन राज जट्ट नवजोत सिद्धू का ही चल रहा है। हर राज्य की तरह जातीय वोट बैंक का गुणा-गणित पंजाब में भी प्रभावी है। अक्सर अनुसूचित वर्ग को दबाने की बात होती रही है और कांग्रेस सरकार में यह साफ नजर आ रहा है। इससे अनुसूचित जाति के वोटरों में भी अंदरखाते नाराजगी पनप गई है। खास बात यह है कि कांग्रेस विरोधियों से ज्यादा अपनों के निशाने पर आ चुकी है। पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रधान रहे सुनील जाखड़ ने तो यहां तक कह दिया कि एपीएस देयोल के बाहर जाने से चरणजीत चन्नी बेनकाब हो गए। सांसद मनीष तिवारी भी नहीं चूके और सीएम चन्नी को बार कौंसिल ऑफ इंडिया की वकीलों को लेकर हिदायतें पढने की नसीहत दे दी। सिद्धू के अडियल रवैए की वजह और उन्हें कांग्रेस हाईकमान की फुल सपोर्ट से पंजाब के सीएम चरणजीत चन्नी की स्थिति को कंप्रोमाइज्ड सीएम की स्थिति बताई जाने लगी है। सिद्धू एक बार फिर सुपर-सीएम की भूमिका में सामने आ गए हैं। पंजाब में 32 फीसदी अनुसूचित जाति वोट हैं। लेकिन कभी अनुसूचित जाति का सीएम नहीं बना। इसका कारण जट्ट लॉबी का हावी होना था। जिनकी वोट तो सिर्फ 19 फीसदी है, लेकिन राजनीतिक दबदबा ज्यादा है। इसलिए पहले भाजपा ने अनुसूचित वोट बैंक लुभाने के लिए अनुसूचित जाति का सीएम बनाने का दांव खेला। उनके पीछे अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल ने भी सरकार बनने पर अनुसूचित जाति का डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा कर दी। इनके दावों को चित्त कर कांग्रेस ने सीधे सीएम ही बना दिया। हालांकि अब सीएम चन्नी को मन मुताबिक काम नहीं करने दिया जा रहा। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान सिद्धू की जिद मानते हुए सरकार को नीचा दिखा रही है। ऐसा करके पार्टी न केवल विरोधियों को आलोचना करने का मौका दे रही, बल्कि अनुसूचित वर्ग के भीतर भी नाराजगी पनप रही है। कांग्रेस हाईकमान नवजोत सिद्धू के आगे पूरी तरह सरेंडर कर चुकी है। पहले हरीश रावत और अब हरीश चैधरी पंजाब कांग्रेस कलह संभालने में फेल साबित हो रहे। कांग्रेस के अनुसूचित सीएम के दांव और फिर सीएम चन्नी का काम देख कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही थी। हालांकि सिद्धू की जिद पर एजी एपीएस देयोल को हटा दिया गया। अब डीजीपी आईपीएस सहोता भी जल्द ही बदल दिए जाएंगे। इसके बावजूद सिद्धू पार्टी का काम नहीं कर रहे। सीएम की औपचारिक घोषणा के बावजूद सिद्धू कांग्रेस भवन से किनारा किए बैठे हैं। पंजाब में दूसरी पार्टियां प्रचार में जुटी हैं तो सिद्धू घर बैठे हुए हैं। सिद्धू ने पार्टी हाईकमान को कह दिया कि अफसर चुन लो या मुझे, एक बार फिर कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू को चुन लिया। चरणजीत चन्नी भले ही 90 दिन के सीएम बने हों, लेकिन उनके फैसले, कार्यशैली और पीआर मैनेजमेंट से वह हर रोज चर्चा में हैं। सीएम चन्नी के बिजली बिल माफी, बिजली 3 रुपए सस्ती करने, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने समेत कई ऐसे फैसले हैं, जिन्होंने आम लोगों को सीधा प्रभावित किया। इसके बाद देर रात तक लोगों से मुलाकात, ताबड़तोड़ कैबिनेट मीटिंग और कभी भांगड़ा तो कभी हॉकी का गोलकीपर बन उनकी छवि तेजी से बन रही थी। चन्नी लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह के जाने से कांग्रेस में खाली हुई जगह को भरते जा रहे थे। इसी वजह से चन्नी की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता से सिद्धू खेमे में घबराहट थी। कारण साफ था कि अगले चुनाव के बाद सिद्धू के सीएम बनने के रास्ते में बड़ा अड़ंगा लग सकता था। इसी वजह से सिद्धू सीधे आक्रामक हो गए। चन्नी की छवि को एजी और डीजीपी को हटाने के फैसले से गिराने की कोशिश नजर आ रही है।

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