National

न्यायालय का सीबीआई मामले में चिदंबरम की अपील पर सुनवाई से इंकार, ईडी मामले में हो रही सुनवाई

नई दिल्ली, 26 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को सोमवार को उस समय झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया घोटाले में भ्रष्टाचार के मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि चिदंबरम को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, इसलिए अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने के खिलाफ उनकी अपील अब निरर्थक हो गयी है। बहरहाल, पीठ ने कहा कि कानून के प्रावधानों के अनुरूप चिदंबरम राहत प्राप्त करने के लिये स्वतंत्र हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री की सीबीआई हिरासत की अवधि आज समाप्त हो रही है और उन्हें निचली अदालत में पेश किया जायेगा जहां सीबीआई आगे की पूछताछ के लिये उनकी हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकती है। चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री को गिरफ्तार करके सीबीआई ने यह सुनिश्चित किया कि यह अपील निरर्थक हो जाये। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा 20 अगस्त को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होते ही शीर्ष अदालत में अपील दायर की गयी थी और यह मामला 21 अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया था।उन्होंने कहा कि जब उनकी याचिका सुनवाई के लिये बुधवार को सूचीबद्ध कराने के प्रयास हो रहे थे तभी एक आदेश पारित हुआ कि इस याचिका पर 23 अगस्त को सुनवाई होगी। चिदंबरम को 21 अगस्त की शाम गिरफ्तार कर लिया गया था। सिब्बल ने 20 से 21 अगस्त तक के घटनाक्रम का ब्योरा देते हुये कहा, सीबीआई का सारा उद्देश्य मेरे मुवक्किल को मौलिक अधिकारों और संविधान में प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित करना था। उनको सुना जाना चाहिए था लेकिन मामले को बृहस्पतिवार को भी नहीं बल्कि शुक्रवार के लिये सूचीबद्ध कर दिया गया।पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ इस आधार पर चिदंबरम की अपील पर विचार नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा, जहां तक सीबीआई के मामले का संबंध है, हम इस पर सुनवाई के इच्छुक नहीं हैं। हम सीबीआई के मामले में चिदंबरम की याचिका खारिज करते हैं। पीठ ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीबीआई के मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज किये जाने को अन्य आधारों पर चुनौती दे सकते हैं। इस समय, शीर्ष अदालत आईएनएक्स मीडिया से संबंधित धन शोधन के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले पर सुनवाई सुनवाई कर रही है। इस मामले में चिदंबरम को आज तक के लिये गिरफ्तारी से संरक्षण प्राप्त है। संप्रग-एक और संप्रग दो सरकार में चिदंबरम वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 15 मई, 2017 को एक प्राथिमकी दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया था कि आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं। यह मंजूरी उस वक्त दी गयी थी जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे।इसके बाद, 2017 में ही प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया। प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चिदंबरम की ओर से बहस करते हुये सिब्बल ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष जांच संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का हिस्सा है और न्यायालय को चिदंबरम के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। सिब्बल ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पीठ के अवलोकन हेतु सीलबंद लिफाफे में चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिये दी गयी दलीलों का प्रतिवाद किया।उन्होंने कहा कि निदेशालय ने 19 दिसंबर, 2018, एक जनवरी, 2019 और 21 जनवरी, 2019 को चिदंबरम से पूछताछ की लेकिन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन पर लगाये गये आरोपों से संबंधित सवाल नहीं पूछे गये। विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी के बारे में सिब्बल ने कहा कि बोर्ड में भारत सरकार के छह सचिव होते हैं और उनकी मंजूरी के बाद ही वित्त मंत्री होने के नाते चिदंबरम ने सिर्फ उस पर हस्ताक्षर किये थे। उन्होंने कहा कि निदेशालय का आरोप है कि इस मामले में छद्म कंपनियों का इस्तेमाल किया गया परंतु ऐसी कोई भी कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चिदंबरम से संबंधित नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि निदेशालय की प्राथमिकी में चिदंबरम का नाम नहीं था और प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाये गये थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker