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अब कृषि विकास का नया अध्याय

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करते हुए कहा कि मैं अपने सभी आंदोलनरत किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि गुरुपर्व के पवित्र दिन अपने-अपने घर लौटें, अपने खेतों में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। उन्होंने देशवासियों से क्षमा मांगते हुए कहा कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी, जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। पीएम ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया भी इसी संसद सत्र में पूरी कर दी जाएगी। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कृषि को प्रभावी बनाने, विकास की नई रणनीति और जीरो बजट खेती की तरफ प्रभावी कदम बनाने के लिए एक कमेटी के गठन का फैसला भी घोषित किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न के वैज्ञानिक तरीके, एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने जैसे विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर भविष्य को ध्यान में रखते हुए नई कमेटी के द्वारा प्रभावी निर्णय लिए जाने की बात कही।

निःसंदेह अब तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद कृषि के विकास के लिए देश के सभी किसानों की सहभागिता और कृषि के विकास के लिए गठित होने वाली नई कमेटी को जो विषय सौंपे जा रहे हैं, उनकी प्रभावी रणनीति से देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास का नया अध्याय लिखा जा सकेगा। इसमें कोई दो मत नहीं कि कोविड-19 की चुनौतियों के बाद इस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। इस समय जहां देश के रोजगार सूचकांक ग्रामीण भारत में तेजी से रोजगार बढ़ने का ग्राफ प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक भी लगातार ऊंचाई पर पहुंचते दिखाई दे रहे हैं। मानसून के अनियमित रहने और बुआई में हुई देरी के बावजूद खरीफ सत्र में अच्छी फसल की संभावना से ग्रामीण भारत का आशावाद भी ऊंचाई पर है। इस समय देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास की मजबूती के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के चार महत्त्वपूर्ण आधार उभरकर दिखाई दे रहे हैं। एक, जन-धन योजना के माध्यम से छोटे किसानों और ग्रामीण गरीबों का सशक्तिकरण। दो, कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रम। तीन, कृषि संबंधी नवाचार एवं शोध से कृषि उन्नयन तथा चार, ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए नई स्वामित्व योजना की शुरुआत। सचमुच देश ही नहीं, दुनिया में भी यह रेखांकित हो रहा है कि जन-धन योजना के माध्यम से सरकार ने आक्रामक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम चलाया है जिसकी वजह से सरकार छोटे किसानों और ग्रामीण भारत में गरीबों की मदद करने में सफल रही है। 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए दुनिया को जन-धन योजना के महत्त्व से परिचित कराया है। कहा गया है कि देश के छोटे किसानों की मुठ्ठियों में वित्तीय समावेशन की खुशियां तेजी से बढ़ी हैं। पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त 2021 तक 11.37 करोड़ किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये 1.58 लाख करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं। निःसंदेह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए बड़ी संख्या में सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया जा रहा है।

किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए, उन्हें अलग-अलग चरणों में 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। 2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। एक लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, 10 हजार नए किसान उत्पादन संगठन और देश के 70 से ज्यादा रेल रूटों पर किसान रेल चलने से छोटे किसानों के कृषि उत्पाद कम ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे पर देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंच रहे हैं। विगत 11 अक्तूबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 15 राज्यों के 343 चिन्हित जिलों में किसानों को मुफ्त 8.20 लाख हाईब्रिड बीज मिनीकिट कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रमों के अच्छे परिणाम दिखाई देने लगे हैं। हाल ही में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी खरीफ सत्र के प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक देश में इस बार खरीफ सत्र में करीब 15.05 करोड़ टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन होने की संभावना है। पिछले वर्ष खरीफ सत्र में करीब 14.95 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि वर्ष 2020-21 में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 30.86 करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा है। निःसंदेह कृषि एवं ग्रामीण विकास के इन नए आयामों के साथ अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए स्वामित्व योजना एक नई आर्थिक शक्ति के रूप में दिखाई दे रही है।

विगत 6 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के हरदा में आयोजित स्वामित्व योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होते हुए देश के 3000 गांवों के 1.71 लाख ग्रामीणों को जमीनों के अधिकार पत्र सौंपते हुए कहा कि स्वामित्व योजना गांवों की जमीन पर बरसों से काबिज ग्रामीणों को अधिकार पत्र देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने वाली महत्त्वाकांक्षी योजना है। गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण और गांवों में नई खुशहाली की इस महत्त्वाकांक्षी योजना के सूत्र मध्यप्रदेश के वर्तमान कृषि मंत्री कमल पटेल के द्वारा वर्ष 2008 में उनके राजस्व मंत्री रहते तैयार की गई मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार योजना से आगे बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में 8 अक्तूबर 2008 को श्री पटेल के गृह जिले हरदा के मसनगांव और भाट परेटिया गांवों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 1554 भूखंडों के मालिकाना हक के पट्टे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के द्वारा ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से दोनों गांवों के किसानों और मजदूरों को सौंपे गए थे। इस अभियान से ग्रामीणों के सशक्तिकरण के आशा के अनुरूप सुकूनभरे परिणाम प्राप्त हुए हैं। ऐसे में देशभर के गांवों में स्वामित्व योजना के लागू होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की चमकीली स्थिति दिखाई दे सकेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार के द्वारा तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद जहां सभी किसान सामूहिक रूप से कृषि विकास के लिए हरसंभव योगदान देंगे, वहीं सरकार भी विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों और खाद्यान्न, तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए लागू की गई नई योजनाओं के साथ-साथ डिजिटल कृषि मिशन के कारगर क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी।

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