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मसाला उत्पादन 7 साल में 107 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (ऐजेंसी सक्षम भारत)। देश में मसाला उत्पादन वर्ष 2014-15 के 67.64 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 60 प्रतिशत वृद्धि के साथ करीब 107 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है। मिर्च, अदरक, हल्दी, जीरा आदि प्रमुख मसालों के उत्पादन में शानदार वृद्धि से विदेशी मुद्रा आय 2014-15 के 14899 करोड़ रुपये से लगभग दो गुना बढ़कर 2020-21 में 29535 करोड़ रुपये हो गयी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल यहां सुपारी और मसाला विकास निदेशालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक, “स्पाइस स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस 2021” का विमोचन करते हुए कहा कि देश में उत्पादित मसालों के सभी आंकड़ों- मसालों के क्षेत्र, उत्पादन-उत्पादकता, निर्यात-आयात, मूल्य व महत्व का विशेष संग्रह है। वर्ष 2014-15 से 2020-21 के दौरान देश में मसालों का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 67.64 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 106.79 लाख टन हो गया, जिसमें वार्षिक वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही । यह वृद्धि उत्पादन क्षेत्र के 32.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र होने के कारण हुई। प्रमुख मसालों में जीरा (14.8 प्रतिशत), लहसुन (14.7 प्रतिशत), अदरक (7.5 प्रतिशत), सौंफ (6.8 प्रतिशत), धनिया (6.2ः), मैथी (5.8 प्रतिशत), लाल मिर्च (4.2 प्रतिशत) और हल्दी (1.3 प्रतिशत) के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। उत्पादन में तीव्र वृद्धि से निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण मसालों की उपलब्धता हुई है। यह मसालों के निर्यात की वृद्धि में परिलक्षित होता है, जो उपरोक्त अवधि के दौरान 14900 करोड़ रुपये मूल्य के 8.94 लाख टन से बढ़कर 29535 करोड़ रुपये (3.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का 16 लाख टन हो गया और यह वृद्धि मात्रा के संदर्भ में 9.8 प्रतिशत व मूल्य संदर्भ में 10.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि है। मसालों का निर्यात सभी बागवानी फसलों से कुल निर्यात आय का 41 प्रतिशत योगदान देता है और केवल समुद्री उत्पादों, गैर-बासमती चावल और बासमती चावल के बाद कृषि जिंसों में इसका चैथा स्थान है। देश में मसालों की उपज में शानदार वृद्धि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विभिन्न विकास कार्यक्रमों जैसे एमआईडीएच, आरकेवीवाई, पीकेवीवाई, पीएमकेएसवाई आदि के कारण संभव हुई है। सुपारी और मसाला विकास निदेशालय ने अपने रोपण सामग्री उत्पादन कार्यक्रम एवं प्रौद्योगिकी प्रसार कार्यक्रम के माध्यम से उच्च उपज देने वाली किस्मों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसने देश में गुणवत्तापूर्ण मसाला उत्पादन की भारी वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विशेष रूप से कोरोना महामारी काल में मसालों को स्वास्थ्य पूरक के रूप में मान्यता मिलने के कारण मसालों की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है जो हल्दी, अदरक, जीरा, मिर्च आदि मसालों के बढ़ते निर्यात में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

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