EducationPolitics

कालेज स्तर पर खेलों से खिलवाड़

-भूपिंद्र सिंह-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अतंर्गत सौ से भी अधिक कालेज आते हैं। इस सत्र में विश्वविद्यालय की खेलें केवल औपचारिकता तक ही सीमित रह गई हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास अपना नियमित शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों का निर्देशक भी नहीं है। संगीत विभाग के प्रोफेसर से खानापूर्ति करवाई जा रही है। इस वर्ष कालेज प्राचार्यों का रवैया भी असहयोग का ही रहा है। हमीरपुर का सरकारी कालेज जो एथलेटिक्स का गढ़ है, वहां विश्वविद्यालय प्रतियोगिता करवाने के लिए बिल्कुल इनकार किया जाता है। जोगिंद्रनगर कालेज का प्रशासन क्रास कंटरी में विजेता महिला टीम को अपने प्रशिक्षक के साथ फोटोशूट करने पर तकलीफ हो जाती है। नालागढ़ कालेज का प्रशासन लिखित में विश्वविद्यालय से अपने यहां खेल प्रतियोगिता आबंटित करने के लिए साफ मना करता है। क्या हिमाचल प्रदेश शिक्षा के कर्णधार शिक्षा की परिभाषा ही भूल गए हैं। शिक्षा का मतलब है मानव का सर्वांगीण विकास जो शारीरिक व मानसिक दोनों होता है। इस विषय पर सरकार व शिक्षा विभाग को सोच-समझ कर निर्णय लेना होगा कि भविष्य में खेलों के साथ इस तरह खिलवाड़ न हो। ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले अधिकांश खिलाड़ी महाविद्यालय व विश्वविद्यालय से ही निकल कर आते हैं। अकादमिक विषयों की तरह खेल भी शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। शारीरिक फिटनेस का उच्चतम स्तर ही खेलों में उत्कृष्ट परिणामों का मुख्य कारण है। जिस देश की जवानी जितनी फिट होगी वहां पर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाना उतना ही आसान होता है। इसलिए शिक्षा संस्थानों में हर विद्यार्थी की फिटनेस के लिए कार्यक्रम होना चाहिए जिससे अच्छे खिलाड़ी ही नहीं, फिट नागरिक भी देश को मिल सकें। महाविद्यालय स्तर पर खेलों के लिए जहां स्तरीय खेल ढांचे का होना बहुत जरूरी है, वहीं पर ज्ञानवान प्रशिक्षकों की भी बहुत ज्यादा जरूरत है। देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश में भी महाविद्यालय स्तर पर खेलों का हाल ज्यादा ठीक नहीं है। राज्य के अधिकतर महाविद्यालय अच्छे खिलाडि़यों को मंच देने में नाकाम रहे हैं। कनिष्ठ खिलाडि़यों के लिए नजर दौड़ा कर देखें तो उनके प्रशिक्षण के लिए बहुत अच्छा तो नहीं, मगर प्रशिक्षण शुरू करने काबिल व्यवस्था मौजूद है।

हिमाचल प्रदेश में जूनियर खिलाडि़यों के लिए लगभग हर स्तर पर कई खेलों के लिए शिक्षा व खेल विभाग के खेल छात्रावास मौजूद हैं, मगर आगे महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर खिलाडि़यों के लिए हिमाचल प्रदेश में कहीं भी कोई खेल विंग नहीं है। इसलिए हिमाचल प्रदेश के अधिकतर खिलाड़ी स्कूल के बाद अपनी महाविद्यालय की पढ़ाई के लिए राज्य के महाविद्यालयों में खेल वातावरण न होने के कारण पड़ोसी राज्यों को पलायन कर जाते हैं। महाविद्यालय स्तर से ही पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलते हैं। इसलिए महाविद्यालय स्तर पर खिलाड़ी विद्यार्थियों को अच्छी खेल सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में भी कुछ प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों ने प्रशिक्षकों व खिलाडि़यों को अच्छा प्रबंधन देकर पदक विजेता प्रदर्शन करवाया है। नब्बे के दशक में हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय में तत्कालीन प्राचार्य डा. ओपी शर्मा व शारीरिक प्राध्यापक डीसी शर्मा ने एथलेटिक्स व जूडो के प्रशिक्षकों को बुला कर उन्हें कामचलाऊ सुविधा उपलब्ध करवा कर उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया था। उसी प्रशिक्षण कार्यक्रम के कारण पुष्पा ठाकुर हमीरपुर से किसी भी खेल की पहली अंतर विश्वविद्यालय पदक विजेता बनी तथा उसके बाद हमीरपुर महाविद्यालय ने एथलेटिक्स व जूडो में कई राष्ट्रीय पदक विजेता दिए। हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय की तत्कालीन खिलाड़ी विद्यार्थियों में पुष्पा ठाकुर व संजो देवी एथलेटिक्स तथा जूडो में नूतन हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार परशुराम अवार्ड से सम्मानित हैं। प्राचार्य डा. नरेंद्र अवस्थी व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक सुशील भारद्वाज के प्रबंधन में एक समय राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर की चार धाविकाओं ने आज तक का सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता बंगलौर 2006-07 में मंजू कुमारी ने पंद्रह सौ व पांच हजार मीटर की दौड़ों में दो स्वर्ण पदक जीत कर सर्वश्रेष्ठ धाविका का ताज पहना।

संजो ने भाला प्रक्षेपण में नए रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक, रीता कुमारी ने पांच हजार में रजत व दस हजार मीटर में स्वर्ण तथा प्रोमिला ने दो सौ मीटर की दौड़ में रजत पदक जीत कर चारों धाविकाओं ने राष्ट्रमंडल खेल 2010 के लिए लगे इंडिया कैम्प में जगह बना ली थी। आज भी हिमाचल प्रदेश में कई शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक विभिन्न खेलों के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षक खिलाड़ी व प्रशासन का आपसी समन्वय बहुत जरूरी है। इसी तरह महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय सुंदरनगर में तत्कालीन प्राचार्य डा. सूरज पाठक व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक डा. पदम सिंह गुलेरिया ने मुक्केबाजी के लिए सुविधा उपलब्ध करवाई थी। सुंदरनगर प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज निकल रहे हैं। इसी नर्सरी से निकले आशीष चैधरी ने टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। प्रदेश के महाविद्यालय के प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों को चाहिए कि वे खेल सुविधा व प्रतिभा के अनुसार अपने महाविद्यालय में अच्छे प्रशिक्षकों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं ताकि हिमाचल के खिलाडि़यों को महाविद्यालय में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध हो सके। हिमाचल प्रदेश के कई महाविद्यालयों में विभिन्न प्रकार की खेलों के लिए स्तरीय प्ले फील्ड उपलब्ध है। वहां पर नियुक्त प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों को चाहिए कि वे अनुभवी व ज्ञानी प्रशिक्षकों को अपने यहां अनुबंधित कर राज्य व देश को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी तैयार करवाएं, साथ ही साथ विश्वविद्यालय की खेलों के आयोजन में भी सकारात्मक भूमिका निभाएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker