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जीएसटी परिषद ने कपड़े पर शुल्क वृद्धि का क्रियान्वयन टाला

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नीति-निर्धारक संस्था जीएसटी परिषद ने कई राज्यों की आपत्तियों को देखते हुए कपड़ा उत्पादों पर शुल्क की दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के फैसले का क्रियान्वयन टाल दिया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 46वीं बैठक में कपड़ा उत्पादों पर दर बढ़ाने के फैसले पर चर्चा हुई। सितंबर में इसे पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया था और इसे एक जनवरी 2022 से लागू किया जाना था।

लेकिन गुजरात समेत कई राज्य इसका विरोध कर रहे थे कि इस फैसले का आम आदमी एवं कारीगरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। जीएसटी परिषद में इसी मुद्दे पर चर्चा हुई।

बैठक के बाद आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री बुग्गना राजेंद्रनाथ रेड्डी ने संवाददाताओं को बताया कि कई राज्यों की आपत्तियों को देखते हुए कपड़ा उत्पादों पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने के फैसले को टालने का निर्णय किया गया है।

रेड्डी के मुताबिक, इस बैठक में कई राज्यों का यह कहना था कि परिधान, वस्त्रों एवं कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी लागू होने को लेकर स्पष्टता नहीं है। इसके अलावा नाइलॉन एवं सूती धागे के अलावा मानव-निर्मित एवं प्राकृतिक धागे पर लागू होने वाली दर को लेकर भी स्पष्टता का अभाव है।

रेड्डी ने कहा, ष्ऐसी स्थिति में आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों ने परिषद से यह अनुरोध किया कि कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी को पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने के फैसले को वापस लिया जाए और इसे एक जनवरी 2022 से लागू न किया जाए।ष्

फिलहाल मानव-निर्मित रेशे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है जबकि इससे बने धागे पर दर 12 फीसदी और कपड़े के मामले में पांच फीसदी कर लगता है।

रेड्डी ने कहा कि जीएसटी परिषद से अनुरोध किया गया कि हथकरघा कारीगरों पर पड़ने वाले असर का व्यवस्थित अध्ययन करने के बाद कपड़ों पर जीएसटी बढ़ाने का फैसला किया जाए।

 

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