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केन्द्र और पश्चिम बंगाल के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों की खींचतान पर 17 सितंबर को सुनवाई

नई दिल्ली, 04 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के एक अनाथालय से कथित रूप से बच्चों की तस्करी से संबंधित मामले की सुनवाई 17 सितंबर को होगी ताकि इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बीच चल रही खींचतान का समाधान किया जा सके। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य सरकार जलपाईगुड़ी जिले के अनाथालय से 17 बच्चों की कथित तस्करी को लेकर आमने-सामने है। इस मामले में जांच करने के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकार पर राज्य सरकार ने सवाल उठाये हैं। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर सुनवाई करके फैसला करेगी ताकि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और किसी अन्य राज्य के आयोग के बीच इस तरह की खींचतान नहीं हो। पीठ ने कहा, हमें फैसला करना होगा अन्यथा इस तरह की खींचतान चलती रहेगी। दो साल पहले इस न्यायालय ने रोक लगायी थी परंतु राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कोई आदेश पारित नहीं किया है। आयोग की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय आयोग की जांच जारी है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत को इस विषय पर निर्णय लेना चाहिए ताकि ऐसी समस्या किसी अन्य राज्य में पैदा नहीं हो। पीठ ने कहा, हम इस मामले के गुण-दोष पर नहीं जा रहे हैं। हम कानूनी पहलू पर हैं। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को 17 सितंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया। न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के एक अनाथालय से बच्चों की कथित तस्करी से संबंधित मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बीच छिड़ी जंग पर मंगलवार को नाराजगी व्यक्त की थी। शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में अनाथ बच्चों के अधिकारों के कथित हनन से संबंधित एक मामले में कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल सरकार ने बच्चों के गोद लेने के लिये गैरकानूनी तरीके से एक तदर्थ समिति गठित की है और कानून तथा नियमों का गंभीर उल्लंघन करते हुये अनाथों को गोद दे रही है। शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 29 अगस्त, 2017 के आदेश और कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

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