
.सिद्धार्थ शंकर.
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
यूक्रेन के साथ बातचीत बेनतीजा रहने के बाद रूस ने संभवतरू कीव पर बड़ा धावा बोलने की तैयारी कर ली है। रूसी सेना का विशाल काफिला यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर बढ़ रहा है। अमेरिकी कंपनी मैक्सर टेक्नोलॉजी ने उपग्रह तस्वीरों के जरिए यह खुलासा किया है। यह काफिला 64 किलोमीटर लंबा बताया गया है। कीव पहले ही कई रूसी हमलों को विफल कर चुका है। इसे देखते हुए लग रहा है कि रूस ने अब इस पर कब्जे की निर्णायक तैयारी कर ली है। यह काफिला उत्तरी कीव की ओर जा रहा है। काफिले में सेना के ट्रकए बख्तरबंद वाहनए टैंक व सैनिक शामिल हैं। एक दिन पहले रूसी सेना ने आम नागरिकों से कीव छोडऩे को भी कहा था। रूस.यूक्रेन के बीच छह दिनों से जंग जारी है। रूस व यूक्रेन के बीच सोमवार को पहली बार सीधी बातचीत भी हुईए लेकिन वह बेनतीजा रही। रूस जहां यूक्रेन को हथियार डालने पर अडिग है वहींए यूक्रेन रूसी फौज की वापसी पर। रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा अपनी परमाणु फौजों को तैयार रहने के निर्देश से भी चिंता बढ़ गई है। लगातार बढ़ते तनाव के बीच यूक्रेन में मौजूद भारतीय दूतावास ने सभी भारतीय नागरिकों को तुरंत कीव छोडऩे को कहा है। दूतावास की तरफ से जारी इमरजेंसी एडवाइजरी में कहा गया है कि भारतीय जिस हाल में हैंए उसी स्थिति में तुरंत शहर से बाहर निकल जाएं। वहीं यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए अब भारतीय वायु सेना की मदद ली जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरफोर्स के अफसरों से कम समय में अधिक लोगों को निकालने के लिए मदद करने को कहा है। भारतीय वायु सेना ऑपरेशन गंगा में कई सी.17 विमान तैनात कर सकती है। सी.17 ग्लोबमास्टर ने अफगानिस्तान में अशांति के दौरान 640 लोगों को लेकर उड़ान भरी थी। भारतीय वायुसेना ने सी.17 ग्लोबमास्टर विमान से भारतीयों को काबुल से दो बार एयरलिफ्ट किया था। भारत के पास 11 सी.17 ग्लोबमास्टर विमान हैं। इस विमान का बाहरी ढांचा इतना मजबूत है कि इस पर राइफल और छोटे हथियारों की फायरिंग का कोई असर नहीं होता है। रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव को चारों ओर से घेर रखा है। इस बात की आशंका है कि जल्द ही रूसी सेना कीव पर कब्जा करके वहां की सत्ता पर एक कठपुतली सरकार को बिठा सकती है। ऐसा होता है तो यूक्रेन में इस कठपुतली सरकार को बचाए रखना रूस के लिए काफी मुश्किल होगा। इसकी मुख्य वजह यह है कि यूक्रेन ईस्ट और वेस्ट में बंटा हुआ है। ईस्ट में रूसी भाषा बोलने वालों की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में यहां तो कठपुतली सरकार को समर्थन मिलेगाए लेकिन वेस्ट में यूक्रेनियन ज्यादा रहते हैं। इसलिए यहां इसका कड़ा विरोध होगा। यही वजह है कि इस जंग ने 1989 की उस घटना की याद ताजा कर दी हैए जब दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी का जीता हुआ हिस्सा लोगों के विरोध के चलते रूस के हाथ से निकल गया था। जर्मनी की तरह ही यूक्रेन भी दो हिस्सों में बंटा हुआ है। पूर्वी यूक्रेन के कुछ हिस्से में रूसी भाषा बोलने वालों की तदाद ज्यादा है। वहींए पश्चिमी यूक्रेन में मूल यूक्रेनियन की तदाद ज्यादा है। ऐसे में राजधानी कीव की सत्ता पर रूस अपनी पसंद की कठपुतली सरकार बिठा भी देते हैं तो उस सरकार को बचा पाना मुश्किल होगा। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन की कुल आबादी में से करीब 75 फीसदी जनसंख्या मूल निवासियों की है। किसी मुल्क की सरकार से वहां की 75 फीसदी से ज्यादा आबादी नाराज हो तो ऐसे में किसी सरकार का बने रहना मुश्किल और चुनौती भरा होगा।