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जंग का संकट

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

रूसी सेना ने यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र में फंसे वहां के नागरिकों को निकालने के लिए चार शहरों के लिए संघर्ष विमान की घोषणा की है। रूस सेना की ओर संघर्ष विराम की घोषणा के बाद अब वहां फंसे नागरिकों को मानवीय गलियारों के जरिए बाहर निकाला जाएगा। उत्तर, दक्षिण और मध्य यूक्रेन के शहरों में रूस की लगातार जारी गोलीबारी के बीच हजारों यूक्रेनी नागरिक वहां से सुरक्षित निकलने की कोशिश में जुटे हैं। जंग के बीच नागरिकों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की कोशिश करने वाले देशों में भारत भी शामिल है। जिन चार शहरों के लिए संघर्ष विराम की घोषणा की गई है उसमें यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा खारकीव, मारियुपोल और सूमी शामिल हैं। रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग में इस वक्त सबसे बड़ा संकट नागरिकों को युद्धग्रस्त इलाकों से सुरक्षित निकालने का है। पिछले 12 दिन से चल रही लड़ाई में बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिक भी मारे गए हैं। घायलों की संख्या भी हजारों में है। राजधानी कीव, खारकीव और सूमी सहित कई दूसरे शहरों पर रूसी फौज जिस आक्रामकता से हमले कर रही है, उसमें नागरिकों को भी नहीं बख्शा जा रहा। रिहायशी इलाकों पर मिसाइलों और बमों से हमले जारी हैं। अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और बंकरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में कहा जा रहा था कि अगर जल्द ही नागरिकों को सुरक्षित ठिकानों पर नहीं पहुंचाया गया तो यह युद्ध न जाने कितने लोगों को लील जाएगा। इसीलिए रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम की जरूरत महसूस की जा रही थी। दोनों देशों के बीच हाल में हुई वार्ताओं में भी यह मुद्दा उठा था। उसके बाद ही शुरूआती स्तर पर कुछ-कुछ घंटे के लिए हमले रोकने पर सहमति बनी थी, ताकि इस बीच नागरिकों को निकालने की कवायद शुरू की जा सके। शनिवार को रूस ने मारियुपोल और वोल्नोवाखा शहर में सात घंटे के लिए संघर्ष विराम पर सहमति दी थी। लगातार हमलों से इन दोनों शहरों में भारी तबाही हुई है। बिजली, पानी सब बंद है। लोगों के पास खाने का सामान भी खत्म हो गया है। कड़ाके की ठंड पड़ रही है, सो अलग। ऐसे में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग किन हालात में होंगे, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। कमोबेश यही हाल रूस के दूसरे शहरों का भी है। यूक्रेन के 15 शहरों में रूसी सैनिकों का कहर जारी है। राजधानी कीव के जो हालात सामने आ रहे हैं, उससे तो लगता है कि जल्द ही यहां रूस के सैनिकों का नियंत्रण हो जाएगा। जाहिर है, युद्धग्रस्त शहरों में अब जो नागरिक फंसे हैं, उनकी सुरक्षा चिंता का बड़ा विषय है। अब तक लाखों लोग यूक्रेन छोड़ कर पड़ोसी देशों पोलैंड, रोमानिया, हंगरी आदि में शरण ले चुके हैं। लेकिन अभी भी लाखों लोग यूक्रेन में फंसे हुए हैं। कुल मिलाकर यूक्रेन पर रूसी हमले ने दुनिया के सामने एक बार फिर बहुत बड़ा संकट पैदा कर दिया है। यूक्रेन झुकने को तैयार नहीं और रूस युद्धोन्माद में पिछले दस दिनों से बमबारी किए जा रहा है। यूक्रेन में हालात ऐसे हो गए हैं कि सब कुछ ठप पड़ा है। कई शहर वीरान हो चुके हैं। न जाने कितनी बस्तियां ध्वस्त हो चुकी हैं। अब तक कितने लोग मारे जा चुके हैं, सही-सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लोगों में भय समाया हुआ है कि अगर रूस ने किसी परमाणु संयंत्र पर बम बरसा दिया, तो न जाने कितनी तबाही मचेगी। डर यह भी है कि जंग लंबी खिंची और इसमें कुछ और ताकतवर देश शामिल हो गए तो क्या पता परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो और पूरा यूक्रेन ही तबाह हो जाए। इस भय से लोग अपना वतन छोड़ कर दूसरे देशों में शरण पाने निकल पड़े हैं। बताया जा रहा है कि अब तक करीब दस लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। दूसरे देशों के नागरिकों को वहां से निकालने की भगदड़ मची हुई है। मगर उन बेबस और लाचार लोगों का क्या, जो न तो अपना वतन छोडऩा चाहते हैं और चाहें भी तो नहीं छोड़ सकते हैं। उनके पास देश से बाहर निकलने के साधन नहीं। जिन लोगों ने बड़े जतन से पाई-पाई जोड़ कर अपने सपनों के घर बनाए थे, उन्हें रूसी बमों से ध्वस्त होते अपनी आंखों से देख रहे हैं। युद्ध के इस माहौल में न तो दुकानें खुल पा रही हैं न बाहर से आवश्यक वस्तुओं की पहुंच सुनिश्चित हो पा रही है। लोग भूख-प्यास से तड़पने को मजबूर हैं। अस्पतालों का कामकाज भी ठप्प है। इस तरह गोलाबारी में घायल हुए लोगों को इलाज भी नहीं मिल पा रहा। न जाने कितने बच्चों ने अपने मां-बाप खो दिए होंगे। रूस और यूक्रेन के बीच दो दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर बेनतीजा।

 

 

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