GlobelNational

हिजाब विवाद सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट का निश्चित तारीख देने से इनकार (अपडेट)

नई दिल्ली, 24 मार्च (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने ‘हिजाब’ के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए कोई निश्चित तारीख तय करने से गुरुवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा शीघ्र सुनवाई के लिए किसी निश्चित तारीख पर सूचीबद्ध करने की गुहार ठुकरा दी।
श्री कामत ने कर्नाटक में 28 मार्च से आयोजित होने वाली परीक्षाओं( जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल है) का उल्लेख करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली कुछ छात्राओं की याचिका पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।
श्री कामत द्वारा ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान परीक्षा की तारीख का जिक्र करते हुए मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “इसका परीक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक संवेदनशील मामला है।”
मुख्य न्यायाधीश ने 16 मार्च को तत्काल सुनवाई करने की मांग संबंधी गुहार के मद्देनजर इस मामले पर होली के बाद विचार करने का संकेत दिया था।
वरिष्ठ वकील संजय हेगडे ने इस मामले को अति आवश्यक बताते हुए 16 मार्च को विशेष उल्लेख के दौरान तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी।
स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक जारी रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद ही उसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी। इसके बाद कई याचिकाएं दायर की गईं।
याचिकाकर्ताओं में शामिल निबा नाज़ ने उच्च न्यायालय के फैसले को अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम-1983 और इसके तहत बनाए गए नियमों का हवाला देते हुए अपनी याचिका में दावा किया है कि विद्यार्थियों के लिए किसी भी तरह से अनिवार्य वर्दी का प्रावधान नहीं है।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था, “हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। वर्दी का निर्धारण संवैधानिक है और विद्यार्थी इस पर आपत्ति नहीं कर सकते।”
अदालत में दायर याचिका में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा पारित पांच फरवरी 2022 के आदेश की वैधता पर सवाल सवाल उठाए गए हैं। याचिका में दावा किया गया है कि यह निर्देश “धार्मिक अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से इस्लामी आस्था के हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिला अनुयायियों का उपहास कर उन पर एक प्रकार से हमला करने के अप्रत्यक्ष इरादे से जारी किया गया था।”
याचिका में कहा गया है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत अंतरात्मा के अधिकार के तहत संरक्षित है।
याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न तर्कों के माध्यम से उच्च न्यायालय के फैसले को कानून के खिलाफ बताते हुए उसे चुनौती दी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker