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राहुल और मोदीः घटिया राजनीति

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

कांग्रेसी नेता राहुल गांधी की काठमांडो-यात्रा पर दोनों तरफ से कितनी घटिया राजनीति हो रही है। राहुल गांधी का किसी नेपाली महिला पत्रकार की शादी में जाना क्या हुआ, जैसे भारत की राजनीति में तूफान आ गया। भाजपा के कई नेताओं ने बयानों के गोले दाग दिए। एक प्रवक्ता ने लिख मारा कि राहुल गांधी उस वक्त काठमांडो के किसी नाइट क्लब में मौज-मजे कर रहे हैं जबकि मुंबई में तूफान आ रहा है। इस प्रवक्ता का इशारा ईद पर होनेवाली मुठभेड़ की तरफ रहा होगा। प्रवक्ता ने यह भी लिख दिया कि कांग्रेस पार्टी बिखरने के कगार पर है और उसका नेता नाइट क्लब में अठखेलियां कर रहा है। ऐसा लगता है कि भाजपा को कांग्रेसियों से भी ज्यादा चिंता इस बात की है कि कांग्रेस बिखर रही है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, जो राहुल के निर्वाचन क्षेत्र वायनाड में थीं, उन्होंने भी चुटकी लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनसे जब पत्रकारों ने पूछा कि केरल सरकार केंद्र सरकार की कई योजनाओं को जान-बूझकर क्यों लागू नहीं कर रही हैं तो उन्होंने कहा कि आप लोग राहुलजी को ढूंढ सको तो उनसे पूछो कि ऐसा क्यों हो रहा है? दूसरे शब्दों में स्मृति ने भी जरा नरम शब्दों में राहुल की काठमांडो-यात्रा पर व्यंग्य कस दिया। यहां सवाल यही है कि क्या किसी विपक्षी नेता को विदेश-यात्रा करने का अधिकार नहीं है? यदि सिर्फ प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की विदेश यात्राओं से सारे विपक्षी नेताओं की यात्राओं की तुलना करें तो इन नेताओं की यात्राएं बहुत छोटी मालूम पड़ेगीं। यह ठीक है कि विपक्षी नेताओं की यात्रा प्रायः व्यक्तिगत होती हैं लेकिन उन यात्राओं के दौरान क्या वे राष्ट्रविरोधी हरकतें करते हैं? वे राष्ट्रहित की रक्षा में उतनी ही मुस्तैदी दिखाते हैं जितने सत्तारूढ़ नेता दिखाते हैं। अटलजी के जमाने में संयुक्तराष्ट्र संघ में मेरे साथ गैर-भाजपाई नेता भी न्यूयार्क गए थे लेकिन मैंने देखा कि वे अपने भाषणों और व्यक्तिगत संवाद में सत्तारुढ़ नेताओं से भी अधिक सतर्क थे। यदि राहुल गांधी अपनी किसी नेपाली महिला मित्र की शादी में भाग लेने कांठमांडो गए तो इससे भारत-नेपाल संबंधों में प्रेमभाव बढ़ेगी ही। यदि राहुल की उम्र के नेता घर में ही कैद रहें तो क्या यह आदर्श स्थिति मानी जाएगी? उस महिला मित्र की मर्जी कि वह अपना विवाह समारोह किसी नाइट क्लब में मनाती है या किसी धर्मशाला में। उस पार्टी में चीन की महिला राजदूत के दिखाई पड़ने पर भी एतराज किया गया। भाजपा के प्रवक्ता चीनी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री के साथ मोदी और जयशंकर को देखकर आपत्ति क्यों नहीं करते? लेकिन अफसोस की बात है कि कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने भाजपाइयों को भी इस घटियापन में मात कर दिया। उन्होंने प्रत्याक्रमण करते हुए कहा कि अरे, अपने नरेंद्र मोदी को देखो। वे नवाज शरीफ के यहां बिना बुलावे के ही शादी में केक काटने चले गए। यह बात कितनी बेसिर-पैर की है। मोदी को सस्म्मान बुलाया गया था, इस तथ्य की मुझे व्यक्तिगत जानकारी है। उनके अलावा कुछ अन्य भारतीयों को भी बुलाया गया था। मोदी ने मियां नवाज के यहां जाकर बहुत अच्छी पहल की थी। दोनों देशों के संबंध पटरी पर आने लगे थे लेकिन पठानकोट में वायुसेना के अड्डे पर हुए हमले ने गाड़ी को पटरी से उतार दिया। यदि कांग्रेस के लोग भाजपाइयों की तर्कहीन टिप्पणी पर चुप रह जाते तो उनकी छवि बेहतर बनकर उभरती लेकिन दोनों पार्टियों ने ऐसी निरंकुश टिप्पणियां करके भारतीय राजनीति को घटिया पायदान पर उतार दिया है।

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