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एफएमसीजी फर्मों को कीमत वृद्घि से ज्यादा राहत के आसार नहीं

मुंबई, 13 मई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। चूंकि जिंस कीमतें वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही से ही तेज रफ्तार से बढ़ी हैं, ऐसे में एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए साबुन से लेकर खाद्य तेल और बिस्कुट जैसे जरूरी उत्पादों, सभी की कीमतें बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया था।

बिजोम के आंकड़ों के अनुसार, मध्यम एक अंक से दो अंक की कीमत वृद्घि लगभग सभी जरूरी खाद्य उत्पादों में देखी गई है, क्योंकि उत्पादन, लॉजिस्टिक और पैकेजिंग लागत में इजाफा हुआ है। साबुन श्रेणी अन्य डिटर्जेंट के मुकाबले उत्पाद सामग्री की कीमतें बढऩे की वजह से ज्यादा प्रभावित हुई है। बासमती चावल में भी पिछले साल के दौरान भारी तेजी दर्ज की गई। लेकिन चूंकि इसका मुख्य तौर पर निर्यात भी होता है, जिससे कंपनियों को अच्छी मदद मिली है।

कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से कई पर्सनल केयर उत्पाद श्रेणियों को कम आउट-ऑफ-होम सोशल इंटरेक्शन की वजह से संघर्ष करना पड़ा है। हालांकि पिछली एक-दो तिमाहियों के दौरान मांग में तेजी आई है, लेकिन कंपनियां कीमत वृद्घि/पैक आकार के वजन में कमी करने को लेकर काफी हद तक सतर्कता बरत रही हैं, क्योंकि वे यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि कहीं उन्हें बाजार भागीदारी नुकसान न हो जा जाए।

बिजोम का यह भी मानना है कि वर्ष 2020 से महंगाई का असर तेलों (खाद्य और गैर-खाद्य दोनों) में दर्ज किया गया है। वर्ष 2022 के शुरू में इनमें नरमी आनी शुरू हुई थी, लेकिन यूक्रेन-रूस हमले से फि से इनमें तेजी आने लगी है।

बिजोम के प्रमुख (वृद्घि एवं दृष्टिकोण) अक्षय डिसूजा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘भारत में सभी जरूरी उत्पादों और सेवाओं में महंगाई बढ़ रही है, जिनमें परिवहन लागत और पैकेजिंग भी शामिल है। इन पर जहां शुरू में कोविड का प्रभाव पड़ा था वहीं अब हाल में रूस-यूक्रेन युद्घ का असर देखा जा रहा है। हम देख रहे हैं कि उपभोक्ता काफी ज्यादा कीमतें चुका रहे हैं, खासकर कुकिंग तेल, मसालों और बासमती चावल के लिए।’

डिसूजा को यूक्रेन से सूर्यमुखी की आपूर्ति बाधित होने और निर्यात प्रतिबंधित होने के इंडोनेशिया के निर्णय के बाद पाम तेल कीमतों में और तेजी आने की आशंका है। यदि पाम तेल कीमतें अन्य खाद्य तेलों की तुलना में ज्यादा बढ़ती हैं तो इससे उपभोक्ता व्यवसायों से मांग पर दबाव देखा जा सकता है।

बिजोम प्राइस ट्रैक के अनुसार, मार्च 2020 के बाद से, सूर्यमुखी तेल कीमतें 93.8 प्रतिशत, सोयाबीन तेल 23.9 प्रतिशत, मूंगफली तेल 20.2 प्रतिशत, सरसों तेल 69.5 प्रतिशत, पाम तेल और वनस्पति तेल कीमतें 80.7 प्रतिशत और 92.7 प्रतिशत तक चढ़ी हैं। इसके परिणामस्वरूप, कंपनियों ने संकेत दिया है कि वे अपने पैकेट के वजन में कमी और कीमतों में इजाफा कर सकती हैं।

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