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नशे की अंधी गलियों में भटकता देश का भविष्य

(31 मई 2022 विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर विशेष)

-नरेन्द्र भारती-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

बेशक 31 मई 2022 को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जा रहा है प्रतिवर्ष ऐसे दिवसों पर लाखों रुपया खर्च किया जाता है। मगर ऐसे दिवस औपचारिकता भर ही रह गए है। औपचारिकता मत निभाईए। धरातल की सच्चाईयां बेहद खौफनाक होती जा रही हैं। युवा देश की धरोहर है। नशे की अंधी गलियों में भटक चुके युवाओं को बाहर निकालना हर भारतीय का नैतिक कर्तव्य है। समूचे विश्व में केवल मात्र एक दिन सैमिनार व गोष्ठीयां की जाती हैं, रैलियां निकाली जाती हैं। विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर एक संकल्प लेना होगा। युवा पीढी़ नशें की गुलाम हो चुकी है। देश में हर साल लाखों युवा नशे के कारण असमय ही मौत के आगोश में समाते जा रहे है। नशे की सब कुछ मान बैठी है। आज छोटे-छोटे बच्चे नशे के आदी हो चुके है। अभी उनके दूध के दांत भी नही। टूटे है कि मगर ऐसे नशे करते है कि रुह कापती है। हर साल लाखों लोग नशें के कारण अपना जीवन दांव पर लगा रहे है। प्रतिवर्ष लाखों लोग नशें के कारण अकाल मौत मर रहे है। आजकज चिटटे का नशा किया जा रहा है। देश के हर राज्य मे यह नशा किया जा रहा है। हर रोज चिटटे व हैरोइन के अवैध कारोबार करने वालों कांे पकड़ा जा रहा है। नशा आज एक फैशन बन चुका है। नशें के कारण आज कई घरों के चिराग बूझ गए तो कुछ जेलों में चक्की पीस रहें है। जेलों में सड़ रहे है। अक्सर देखा गया है कि उच्च घरानों के युवा मंहगें नशें कर रहे है। नशें के बिना रह नहीं सकते। जिंदगियां दाव पर लगा चुके है। जिंदा लाशें बनते जा रहे है। युवा आज कई लाईलाज बीमारियों से ग्रस्त होते जा रहे है। आज लाखों युवा नशें के कारण मर चुके है। नशें की दलदल में धसतें जा रहे है। इस दलदल से निकला बहुत ही मुशिकल है। आज मां-बाप दुखी है कि उनके चिराग नशें की गिरफत में आते जा रहे है। आज नशे के सौदागर युवाओं के भविष्य खराब करते जा रहे है। अगर युवा ही नशें का प्रयोग करेगा तो आने वाला कल अंधकारमय ही होगा। युवा के कंधों पर देश टिका है मगर यह कंधें थक चुके है। नसों में नशा भर चुका है। जवान काया शिथिल होती जा रही है। नशे के कारण सड़क हादसों में हर साल लाखों युवस बेमौत मारे जा रहे है। सरकारों को राजस्व प्राप्त होता है। सरकारों को देश के कर्णधारों की कोई फिक्र नहीं हेैं। राजस्व से ही खजाना भरा जा रहा है। युवा मर रहे है। चंद मिन्टों के मजे के लिए अनमोल जीवन बरबाद कर रहे है। युवतियां भी नशे की दलदल में फंस चुकी है। समाचार पत्रों में डरावने समाचारों से पता चलता है कि आज लड़कियां भी चार कदम आगे जा चुकी है। सिगरेट व अन्य चरस जैसे नशे शरीर के अंगों को प्रभवित करती है। कैंसर व तपेदिक व गले के कैसर से मौतों का आंकडा़ हर साल बढ़ता ही जा रहा है। अगर इन नशे को नहीं रोका तो आने वाले साालों में भयावह परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। नशा समाज के लिए नासूर बन गया है। नशे को मिटाने की कसम लेनी होगी। आज नशें के कारण इकलौते बच्चे मारें जा रहे है। नशें के लिए पैसा न मिलने केे लिए मां-बाप को मौत के घाट उतारा जा रहा है। सामने मर रहे है। अगर सरकारों ने अभी भी कुभंकरणी नींद न तोड़ी तो फिर सब कुछ लुट जाएगा। नशे के कारण अपराधों में इजाफा हो रहा है। समाज को इस बुराई पर मंथन करना होगा ताकि चिरागों को बचाया जा सके। तम्बाकू उत्पादों पर रोक लगानी होगी। अगर सरकारें चाहे तो क्या नहीं कर सकती। राजस्व के लिए और भी साधन है। ऐसा राजस्व किस काम जो युवाओं की मौत से प्राप्त हो रहा है। युवाओं की बलि ली जा रही है। नशें का कारोबार करने वालों पर दंडात्मक कारवाई करनी होगी। स्कूलों व कोलेजों के सौ मीटर के दायरे में धूम्रपान बेचने वालों को सजा दी जाए जो चंद चांदी के सिक्कों की कमाई के लिए युवाओं का जीवन लील रहे है। लावारिस लाशें मिल रहीं है। युवाओं को बचाना हमारी जिम्मेवारी है। नशें के कारण दंगें व फसाद होतें जा रहे है। नशें में अंधा होकर दुष्कर्म किए जा रहे है। युवा अनमोल पूंजी है। समाज में एक कमेटी गठित करनी होगी तभी यह नशा बंद हो सकता है। नशा करने वालों को समाज से बहिष्कृत किया जाए उनका हुक्का पानी बंद किया जाए ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके और युवाओं का जीवन बचाया जा सके। सामाजिक संस्थाओं को नशे के खिलाफ अभियान चलाने होगें। युवा ही देश को आगे ले जा सकते है। समय अभी संभलने का है। समाज को नशें के विरुद्ध आवाज उठानी होगी। ताकि युवाओं का भविष्य संवर सके। अगर समाज अब भी नहीं जागा तो युवा नशें की दलदल में धंसता जाएगा। समाज से इस बुराई को जड़ से मिटाना होगा। केन्द्र सरकार को नशे को बंद करने के लिए कानून बनाना चाहिएं। हर राज्यों की सहभगिता हो तो नशे पर लगाम लग सकती है। देश में नशा मुक्ती केन्द्र खोलने चाहिए ताकि युवाओं की काउंसलिग की जा सके। सरकार को बिना समय गंवाए इस पर रोक लगानी होगी ताकि युवाओं की पीढि़यां बचाई जा सके। देश की आने वाली पीढ़ीओं को नशे को त्यागना होगा। जीवन को मत गंवाओ जीवन एक बार ही मिलता है। नशे का खात्मा करना होगा। तभी ऐसे दिवसों की सार्थकता होगी। यह देशहित में है।

 

 

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