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रिजर्व बैंक के नियम-कानूनों की समय-समय पर समीक्षा की जरूरत : नियमन समीक्षा प्राधिकरण

मुंबई, 13 जून (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमन समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए-2) ने सुझाव दिया है कि केंद्रीय बैंक के सभी नियम- कानून युक्तिसंगत बने रहने चाहिए। इसके लिये उसकी समीक्षा निश्चित अवधि पर होनी चाहिए ताकि वे उभरती औद्योगिक गतिविधियों तथा वित्तीय परिदृश्य के अनुरूप बने रहें।

केंद्रीय बैंक ने आरआरए का गठन पिछले साल अप्रैल में किया था। इसका उद्देश्य नियामकीय निर्देशों को दुरुस्त कर तथा सूचना देने की आवश्यकताओं को तर्कसंगत बनाकर नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों पर अनुपालन बोझ को कम करना है।

केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक वांछित परिणामों को प्राप्त करने के लिए आरआरए की सिफारिशों पर गौर करेगा और आतंरिक जरूरतों के अनुसार उसे आत्मसात करेगा। आने वाले समय में आरआरए का प्रयास नियामकीय निर्देशों के मामले में चीजों को सरल और युक्तिसंगत बनाना होना चाहिए।’’

प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की है कि कोई निर्धारित आंकड़ा हासिल करने के लिये जो कदम उठाये जाते हैं, वे निश्चित अवधि के लिये हों। उनकी अवधि छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इसमें कहा गया है, ‘‘निर्देशों को समझ के हिसाब से सुगम बनाने के लिये उसमें उद्देश्य और उसकी तार्किकता को लेकर संक्षेप में बयान होने चाहिए।’’

साथ ही जहां भी जरूरत हो निर्देशों के साथ बार-बार पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू)/मार्गदर्शन नोट होने चाहिए।

आरआरए ने मौजूदा नियम-कानूनों का समय-समय पर समीक्षा का भी सुझाव दिया है ताकि वे उभरती औद्योगिक गतिविधियों तथा वित्तीय परिदृश्य के अनुरूप बने रहें।

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