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खाने का सामान, ईंधन सस्ता होने से मई में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.04 प्रतिशत पर

नई दिल्ली, 13 जून (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। खाने का सामान और वाहन ईंधन सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति मई महीने में घटकर 7.04 प्रतिशत पर आ गयी। महंगाई को काबू में लाने के लिये सरकार के शुल्क दरों में कटौती और भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दर रेपो में वृद्धि के कदम से मुद्रास्फीति नीचे आई है।

हालांकि, मुद्रास्फीति अब भी केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत पर थी। पिछले साल मई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई, 2022 में घटकर 7.97 प्रतिशत रही जो पिछले महीने 8.31 प्रतिशत थी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भारांश 39.06 प्रतिशत है।

अनाज और उसके उत्पादों के मामले में मुद्रास्फीति मई में कम होकर 5.33 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 5.96 प्रतिशत थी। तेल और वसा की महंगाई दर नरम होकर 13.26 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पिछले महीने अप्रैल में 17.28 प्रतिशत थी।

फलों की महंगाई दर धीमी पड़कर आलोच्य महीने में 2.33 प्रतिशत रही जो एक महीने पहले 4.99 प्रतिशत थी। हालांकि, सब्जियों की मुद्रास्फीति बढ़कर 18.61 प्रतिशत पहुंच गयी, जो अप्रैल में 15.41 प्रतिशत थी।

आंकड़ों के अनुसार, अन्य खाद्य वस्तुओं में अंडा तथा दलहन और उसके उत्पादों की कीमतों में क्रमश: 4.64 प्रतिशत और 0.42 प्रतिशत की गिरावट आयी।

ईंधन और प्रकाश श्रेणी में मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में नरम होकर 9.54 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह अप्रैल में 10.80 प्रतिशत थी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है।

सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने इस महीने पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत कर दिया है। इससे पिछले महीने बिना किसी तय कार्यक्रम के आरबीआई ने रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की थी।

वहीं सरकार ने उपभोक्ताओं पर महंगाई के बोझ को कम करने के इरादे से डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के साथ सोयाबीन जैसे खाद्य तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती की है।

 

 

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