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सर्व धर्म सम्मेलन का हुआ आयोजन, 550वें प्रकाश गुरूपर्व को समर्पित

नई दिल्ली, 12 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। श्री गुरूनानक देव जी के 550वें प्रकाश गुरूपर्व को समर्पित सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी, दिल्ली द्वारा किया गया जिसमें भारत के विभिन्न धर्मों के शिखरस्थ धर्मगुरूओं ने सहभाग कर सर्वधर्म समभाव, सद्भावना, समरसता और सद्भाव का संदेश दिया। सर्व धर्म सम्मेलन में हिन्दू, सिक्ख, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाइ और ब्रह्मकुमारी मिशन आदि धर्मो के धर्मगुरूओं ने सहभाग कर मानवता, समरसता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। सिख गुरूद्वारा कमेटी दिल्ली द्वारा सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन आगामी कार्तिक पूर्णिमा को श्री गुरूनानक जी के 550 वें प्रकाश गुरूपर्व को समर्पित किया।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि श्री गुरूनानक देव जी सच्चे देशभक्त, धर्मसुधारक, समाज सुधारक, विश्व बन्धुत्व का संदेश देने वाला व्यक्तित्व थे। वे विश्व पटल पर एक ऐसे महापुरूष हुये जिन्होने भारत भूमि को गौरवान्वित किया। यह भारत भूमि का सौभाग्य है कि यहां पर विलक्षण प्रतिभासम्पन्न योद्धा, कवि, विद्वान दार्शनिक हुये और उन्होंने पूरे भारत में अलख जगाया था। उनका जीवन भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत था।

उन्होंने भारतीय संस्कृति और राष्ट्र भावना से युक्त जीवन जिया। स्वामी जी महाराज ने कहा कि विश्व एक परिवार है और इस परिवार में शाश्वत शान्ति एवं स्वच्छता का वातावरण स्थापित करने के लिये दिलों में परिवर्तन आवश्यक है। हम सभी को एक स्वच्छ एवं शान्त विश्व के निर्माण के लिये प्रतिबद्धता के साथ मिलकर प्रयास करना होगा तभी एक हरियाली युक्त-प्रदूषण मुक्त विश्व का निर्माण सम्भव है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता एवं शान्ति को आचरण व व्यवहार में लाये जिससे स्वच्छता भीतर, स्वच्छता बाहर-शान्ति भीतर, शान्ति बाहर भी हो।

स्वामी जी महाराज ने कहा कि सतगुरू नानक प्रगट्या, मिटी धुंध जग चानन होय 550 वर्ष पूर्व एक ऐसे महाराज आये जिन्होने सारे जग का अन्धकार समाप्त कर प्रकाश दिया। उन्होंने छोटा-बड़ा, ऊँच-नीच का भेदभाव मिटाकर सब को एक बराबर समझा। एक नूर ते सभु जगु उपजिया कउन भले को मंदे। उन्होंने कहा कि सभी के अन्दर एक ही प्रकाश है उस प्रकाश को प्राप्त करने के लिये उस प्रकाश को फैलाने के लिये यह आयोजन किया जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि हमारे गुरूओं का जो त्याग, बलिदान, प्रेम, एकता, संगठन, समर्पण और विविधता में एकता का जो संदेश है वह केवल भारत के लिये नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये है।

स्वामी जी ने कहा कि श्री नानक जी की 550 वीं जंयती पर आयोजित प्रकाश पर्व वास्तव में अद्भुत, अनोखा और विलक्षण होगा। मेरा सभी से एक ही निवेदन है कि सब मिलकर गुरूनानक जी का दिया संदेश पूरे जग में प्रसारित करे और इस प्रकाश पर्व को सभी मिल कर सम्पन्न करे। प्रकाश पर्व अर्थात मिलने और मिलाने का पर्व। मिटाना तो अन्धेरा पैदा करता है और मिलाना ही प्रकाश पैदा करता है इसलिये जब भी मिले जिससे भी मिले दिल खोल कर मिले न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाये। गुरू नानक जी ने जो एक प्रकाश पर्व को जन्म दियाय एक प्रकाश कोय एक ऐसे उत्साह को जन्म दिया जो सदियों तक हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।

स्वामी जी महाराज ने कहा कि श्री गुरूनानक जी ने संदेश दिया कि नाम जपो, कीरत करो ते वंड के छको ये सार है सिख धर्म का। अब इसके साथ यह भी संदेश जाये कि पानी, वाणी और कुर्बानी गुरू महाराज ने स्वयं कहा है कि पवन गुरू पानी पिता माता धरत महत उन्होंने कहा कि गुरू नानक जी ने तो तब ही पानी, धरती और वायु को इतना महत्व दिया इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है। आज ग्लोबल वार्मिग की बात हो रही है, क्लाइमेट चेंज की बात हो रही है लेकिन उन्होंने तो कई वर्ष पूर्व पानी की बात कहकर लोगों को याद दिलाया कि हम पानी के लिये एकत्र हो जाये, इससे पहले कि लोग पानी के लिये गलियों और मोहल्लों में लड़ाईयां करे उससे पहले हम एकत्र हो जाये जल संरक्षण के लिये।

स्वामी जी ने कहा कि हम नल में पानी नहीं आता तो नगरपालिका में शिकायत करते है परन्तु नदियां सूख जाती है तो हमें को फर्क नहीं पड़ता ऐसा क्यों। स्वामी जी ने सिख धर्म की लंगर परम्परा की सराहना करते हुये कहा कि यही सच्ची साधना है। जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि प्रकाश पर्व मानव जीवन मूल्यों का त्यौहार है इसके माध्यम से हम विश्व शान्ति एवं भाईचारे का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित कर सकते है। दिल्ली सिख गुरूद्वार कमेटी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीबी रणजीत कौर, उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ, ज्वाइंट सेक्रेटरी हरविंदर सिंह के पी ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन और स्वागत किया।

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