GlobelNational

नए संसद भवन की आंतरिक सज्जा देश की विशालता को तस्वीरों व कलाकृतियों में प्रदर्शित करेगी

नई दिल्ली, 30 जून (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय संसद की बन रही नई इमारत के प्रवेश द्वार पर एक पांरपरिक प्रतिमा होने के साथ ही संवैधानिक विथिका (गैलरी) होगी जिसमें भारतीय लोकतंत्र की यात्रा को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही देश की विविधता को दर्शाने के लिए कला और परंपराओं को भी आंतरिक सज्जा में स्थान मिलेगा।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नई इमारत की आंतरिक सज्जा की योजना बनाने के लिए तीन समितियों का गठन किया है जो कला अधिष्ठापन, पेंटिंग, भित्तिचित्र और लेखों के जरिये भारतीय समाज की विविधता को प्रदर्शित करने की योजना को अमलीजामा पहनाएंगी। इस समितियों में शिक्षाविद, इतिहासकार, कलाकार, संस्कृति और शहरी विकास मंत्रालयों के कई विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल हैं जो परिसर को सजाने के लिए संसाधन, निगरानी और कलाकृतियों को स्थापित करने का कार्य करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि इनमें से एक समिति सलाहकार समिति है। उन्होंने बताया कि मोटे तौर पर ढांचे के छह हिस्सों को सजाने के लिए कलाकृतियों पर विचार किया जाएगा जिनमें द्वारों पर द्वारपालों की मूर्तियां (इन्हें अंतिम रूप देना अभी बाकी है), संविधान विथिका जो संविधान की प्रतिकृति होगी, भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति को प्रदर्शित करने वाली विथिका आदि होंगे। उन्होंने बताया कि दो समितियों की अध्यक्षता क्रमश: संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सचिदानंद जोशी कर रहे हैं।

इन समितियों का गठन नई संसद इमारत में कला की अवस्थापना के लिए सामग्री की पहचान करने, उन्हें मंजूरी देने और मार्गदर्शन के लिए किया गया है। मोहन की टीम में संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम, पुरातत्ववेत्ता के. के. मोहम्मद, प्रसार भारती के पूर्व प्रमुख सूर्य प्रकाश और अन्य शामिल हैं। जोशी विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व करेंगे जिनमें इतिहासकार गौरी कृष्णन, वडोदरा स्थित एमएस विश्वविद्यालय के कुलपति वी. के. श्रीवास्तव और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महनिदेशक अद्वैत गडनायक शामिल हैं।

एक समिति के वरिष्ठ सदस्य ने बताया, ‘‘नई संसद भारत की संस्कृति और विविधता को प्रदर्शित करेगी। यह इमारत भारत की प्रकृति को प्रदर्शित करेगी जिससे हर भारतीय खुद को जुड़ा हुआ महसूस करे।’’ उन्होंने बताया, ‘‘यह पूरे देश के विश्वास को समाहित करेगी लेकिन ऐसा करते वक्त हमारे दिमाग में है कि कलाकृतियां संग्रहालय या प्रदर्शनी के लिए न हों बल्कि संसद के लिए हों और हमें उसकी सुचिता को कायम रखना है।’’

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker