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सरकार ने ईंधन निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर घटाया, रिलायंस के शेयर में उछाल

नई दिल्ली, 20 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। सरकार ने पेट्रोल के निर्यात पर लगाए गए अप्रत्याशित कर वापस ले लिया है। इसके अलावा डीजल एवं विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर लागू अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती की घोषणा की है। साथ ही घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लगाए गए कर से भी राहत दी है।

सरकार की तरफ से बुधवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, पेट्रोल के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर की दर से लागू निर्यात शुल्क को खत्म कर दिया गया है। वहीं डीजल एवं एटीएफ के निर्यात पर लगने वाले कर में दो-दो रुपये की कटौती कर इसे क्रमशः 11 रुपये एवं चार रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।

घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लगने वाले कर को भी 23,250 रुपये प्रति टन से घटाकर 17,000 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। इस कदम से ओएनजीसी और वेदांता लिमिटेड जैसे घरेलू तेल उत्पादकों को फायदा होगा।

इसके अलावा सरकार ने निर्यात-केंद्रित एसईजेड में स्थित रिफाइनरियों से विदेश भेजे जाने वाले उत्पादों को भी इस शुल्क से राहत देने की घोषणा की। पहले सरकार ने निर्यात-केंद्रित एसईजेड में स्थित रिफाइनरी को कर दायरे में रखा था।

इस घोषणा से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। इसका असर कंपनी के शेयरों पर भी देखा गया और इसके शेयर 2.47 प्रतिशत तक चढ़ गए। इसी तरह ओएनजीसी और वेदांता के शेयरों में भी क्रमशः चार प्रतिशत और 6.22 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया।

सरकार ने तेल कारोबार से जुड़ी कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर गत एक जुलाई से कर लगा दिया था। लेकिन उसके कुछ दिनों के बाद ही कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है। इससे तेल उत्पादकों और रिफाइनरी कंपनियों दोनों के ही लाभ मार्जिन पर असर पड़ा है।

वैश्विक मंदी की चिंताएं गहराने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है। मंदी की स्थिति में मांग घटने की आशंका हावी होने से डीजल, पेट्रोल और एटीएफ पर कंपनियों के मार्जिन पर काफी असर पड़ा है।

गत एक जुलाई को पेट्रोल एवं एटीएफ पर छह रुपये प्रति लीटर निर्यात शुल्क का प्रभावी असर 12 डॉलर प्रति बैरल था। वहीं डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर शुल्क 26 डॉलर प्रति बैरल के बराबर था। घरेलू स्तर पर निकले कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का अप्रत्याशित लाभ कर 40 डॉलर प्रति बैरल के बराबर था।

अप्रत्याशित लाभ पर कर लगने के बाद पेट्रोल पर प्राप्ति लगभग घाटे के स्तर पर यानी दो डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। वहीं डीजल पर भी इसकी वजह से लाभ काफी सीमित रह गया।

अप्रत्याशित लाभ पर कर घटाने से रिलायंस को खास फायदा होगा जिसकी गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरी हैं। इसमें से एक रिफाइनरी सिर्फ निर्यात केंद्रित है। सिटी ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि रिलायंस के लिए सकल रिफाइनिंग मार्जिन प्रभाव घटकर अब एक ड़ॉलर प्रति बैरल पर आ सकता है जिसके पहले 9-10 डॉलर प्रति बैरल होने का अनुमान था।’’

जब सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर कर लगाने की घोषणा की थी तो उससे साल भर में करीब एक लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया था। अकेले कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर लगे अप्रत्याशित लाभ कर से ही 65,600 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान जताया गया था।

सीएलएसए ने कहा कि निर्यात-केंद्रित एसईजेड में मौजूद रिफाइनरी पर निर्यात शुल्क हटाने से सरकार की निर्यात-अनुकूल छवि को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।

बीते दो-तीन सप्ताह में कच्चे तेल के मानक ब्रेंट क्रूड का अंतरराष्ट्रीय भाव 15-20 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो चुका है। इस समय यह 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है।

 

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