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कोश्यारी की गलती क्या है?

-डॉ. वेद प्रताप वैदिक-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के एक बयान को लेकर महाराष्ट्र के नेता लोग कैसा धमाल मचा रहे हैं? कोश्यारी ने मारवाड़ियों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि मारवाड़ी और गुजराती व्यापारियों को हटा दिया जाए तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी नहीं रह पाएगी। कोश्यारी के इस बयान में गलत क्या है? उन्होंने जो सर्वमान्य तथ्य है, उसे बस कहा भर है। उन्होंने महाराष्ट्र के मराठों और दक्षिण भारतीयों के बारे में कोई ऐसी बात नहीं कही, जो अपमानजनक या आपत्तिजनक है।

उन्होंने मुंबई के मारवाड़ी और गुजराती सेठों की पीठ ठोककर महाराष्ट्र का भला ही किया है। सेठों को यह नहीं लगेगा कि वे महाराष्ट्र पर कोई बोझा हैं। कोश्यारी के बयान से वे थोड़े और उत्साहित हो जाएंगे। जहां तक मराठीभाषी लोगों का सवाल है, उन्होंने ऐसा एक शब्द भी नहीं बोला, जिससे उनका अपमान हो या अवमूल्यन हो। जब पक्ष और विपक्ष के सभी नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनके अभिप्राय को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। वे मराठी लोगों के योगदान के प्रशंसक हैं लेकिन ज़रा हम देखें कि महाराष्ट्र के सभी नेता कैसी भेड़चाल चल रहे हैं। भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस आदि सभी दलों के नेताओं ने राज्यपाल के बयान को या तो गलत बताया है या उसकी कड़ी भर्त्तसना की है। हर नेता मराठीभाषी मतदाताओं को खुश करने के लालच में फिसलता गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी अपना मौन तोड़ दिया। किसी की भी हिम्मत नहीं पड़ी कि अधमरी शिवसेना के पति उद्धव ठाकरे को कोई मुंहतोड़ जवाब देता। ठाकरे ने शिष्टता की सारी मर्यादाओं का उल्लंघन कर दिया है।

उन्होंने कहा है कि राज्यपाल को इस वक्त ‘कोल्हापुरी चप्पल’ दिखाने का वक्त है। इतना फूहड़ बयान तो किसी नेता का आज तक हमने कभी सुना नहीं। जो व्यक्ति महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रह चुका हो, वह एक बुजुर्ग राज्यपाल के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने राज्यपाल कोश्यारी पर ‘नमकहरामी’ होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल से कोश्यारी महाराष्ट्रियनों का नमक खा रहे हैं और फिर भी उनकी निंदा कर रहे हैं। वे मराठी और गैर-मराठी लोगों में दुश्मनी पैदा कर रहे हैं। उन्हें बर्खास्त किया जाए या जेल भेजा जाए। ये सारे विषाक्त वाक्य क्या बता रहे हैं? यही कि उद्धव ठाकरे की हताशा चरम सीमा पर है। वे अपने खाली झुनझुने को पूरी ताकत से हिला रहे हैं। उनका बयान सुनकर मराठी-मानुस उन पर हंसने के अलावा क्या कर सकते हैं? वे अब चाहें तो मारवाड़ियों और गुजरातियों को महाराष्ट्र से भगाने का अभियान भी चला सकते हैं लेकिन कांग्रेस और शरद पवार कांग्रेस की गोद में बैठकर सत्ता-सुख भोगनेवाले ठाकरे परिवार की बौखलाहट पर अब मराठी लोग कान क्यों देंगे? महाराष्ट्र के लोगों को पता है कि ठाकरे परिवार ऐसा अभियान चला देगा तो महाराष्ट्र के कई शहरों में लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

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