अलकायदा को झटका

–सिध्दार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
अमेरिका ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अलकायदा सरगना अल जवाहिरी को एक ड्रोन स्ट्राइक में मार गिराया है। अल-जवाहिरी को मार गिराने के लिए बैठकों का लंबा दौर चला। एक जुलाई को ही सीआईए अधिकारियों के साथ बाइडन की बैठक में पूरा प्लान तैयार हुआ था। अमेरिका को शक था कि जवाहिरी या तो पाकिस्तान के कबायली इलाके या फिर अफगानिस्तान में छिपा हुआ है। पिछले कई सालों से अमेरिकी सरकार को एक ऐसे आतंकी नेटवर्क के बारे में जानकारी मिल रही थी, जिसका समर्थन अल-जवाहिरी कर रहा था। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी को काबुल में अलकायदा की उपस्थिति के संकेत व सबूत मिल रहे थे। इसी साल अमेरिकी अधिकारियों को पता चला कि जवाहिरी की पत्नी व बच्चे काबुल स्थित एक घर में रहते हैं। इसी जगह पर जवाहिरी के होने की पहचान की गई। अगले कुछ महीनों में सुरक्षा अधिकारियों ने इस बात को और पक्का किया कि पहचान किया जाने वाला शख्स अलकायदा चीफ अल-जवाहिरी ही है। इसके बाद अप्रैल से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को इस पूरे मामले की ब्रीफिंग शुरू कर दी गई।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी जानकारी दी। सीआईए ने जवाहिरी के घर के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दी। घर कैसे बना है। वहां पर आने-जाने के कितने रास्ते हैं। इसकी विस्तृत जानकारी इकट्ठा की गई। जिससे मिशन को अंजाम देते वक्त जवाहिरी के परिवार व अन्य नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। 25 जुलाई को इस मिशन को अंजाम देने के लिए अंतिम बैठक हुई। इसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सटीक ड्रोन हमले(जिसमें नागरिकों को कम से कम नुकसान हो) की अनुमति दी। 31 जुलाई, रविवार को सीआईए को अल-जवाहिरी घर की बालकनी में दिखा। इसके बाद ड्रोन से हमला कर उसे मार गिराया गया। यह 11 नवंबर 2001 को हुए हमले के पीडि़तों को न्याय दिलाने की दिशा में एक और कदम है। अलकायदा एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है। इसकी स्थापना आतंकवादी ओसामा बिन लादेन और अब्दुल्लाह आजम ने 1988 में की थी। बताया जाता है कि ये संगठन तब बनाया गया था, जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ के सैनिक दाखिल हुए थे। इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमरीका, यूनाइटेड किंगडम, भारत, रूस और कई देशों ने आतंकवादी समूह करार दिया है। अलकायदा के पास 20 हजार से अधिक लड़ाके हैं और यह संगठन 60-65 देशों में मौजूद है। अलकायदा की संपत्ति की बात करें तो अलकायदा के पास 150 मिलियन डॉलर यानी लगभग 1200 से 1500 करोड़ तक का फंड है। यह संगठन इसका इस्तेमाल दूसरे देशों में आतंक फैलाने और लड़ाकों को ट्रेनिंग करने पर करता है। अलकायदा को ओसामा-बिन-लादेन ने ही शुरू किया था। 10 मार्च 1957 को इसका जन्म सऊदी अरब के रियाद शहर में हुआ था। ओसामा के पिता मोहम्मद अवाद बिन लादेन एक अमीर बिल्डर थे। अवाद बिन लादेन के 52 बच्चे थे और ओसामा 17वें नंबर पर था। पिता की 1968 में मौत हो गई। तब ओसामा 11 साल का था और उसे विरासत में आठ करोड़ डॉलर की राशि मिली थी। उस दौरान वह स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। बाद में उसने सऊदी अरब के शाह अब्दुल्ला अजीज विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अलकायदा प्रमुख की कुर्सी अयमान अल-जवाहिरी ने संभाल ली। अयमान अल-जवाहिरी की उम्र 71 साल है। इसने भी ओसामा के मरने के बाद भारत, अमेरिका समेत कई देशों में आतंकी हमले करवाए। इसका जन्म 1951 में गिजा में हुआ था। जवाहरी ने मेडिकल की पढ़ाई की थी। अभी इसकी तलाश दुनियाभर की कई एजेंसियां कर रहीं हैं। कहा जाता है कि अलकायदा को अभी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, ईराक, कुवैत जैसे देशों से फंडिंग मिलती है। सऊदी में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से हुई थी। फिर दोनों के बीच दोस्ती गहरी हो गई। लादेन अपने संगठन को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के पेशावर गया था और इस दौरान अल जवाहिरी भी उसके साथ था। यहीं से दोनों आतंकियों के बीच रिश्ता और मजबूत होने लगा। इसके बाद 2001 में अल जवाहिरी ने अपने संगठन का अलकायदा में विलय कर लिया। अलकायदा को ओसामा-बिन-लादेन ने ही शुरू किया था। 10 मार्च 1957 को इसका जन्म सऊदी अरब के रियाद शहर में हुआ था। ओसामा के पिता मोहम्मद अवाद बिन लादेन एक अमीर बिल्डर थे। अवाद बिन लादेन के 52 बच्चे थे और ओसामा 17वें नंबर पर था। पिता की 1968 में मौत हो गई। तब ओसामा 11 साल का था और उसे विरासत में आठ करोड़ डॉलर की राशि मिली थी। उस दौरान वह स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। बाद में उसने सऊदी अरब के शाह अब्दुल्ला अजीज विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ओसामा बिन लादेन कट्टरपंथी इस्लामी शिक्षकों और छात्रों के संपर्क में आया। इसके बाद वह 1979 में मुजाहिदीन नाम से पहचाने जाने वाले लड़ाकों की मदद के लिए अफगानिस्तान गया। लादेन एक गुट का मुख्य आर्थिक मददगार बन गया, जो बाद में अल कायदा कहलाया। 1989 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के हटने के बाद लादेन अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए वापस सऊदी अरब लौट गया। यहां उसने अफगान युद्ध में मदद के लिए फंड जुटाना शुरू किया। यहीं से अलकायदा वैश्विक गुट बन गया।