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जी-20 देश जलवायु कार्रवाई में पीछे: यूएन शोध

नैरोबी, 22 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। जी-20 देश सामूहिक रूप से पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के रास्ते पर नहीं हैं, लेकिन उनके पास ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से व ज्यादा कटौती करने का बड़ा अवसर है। संयुक्त राष्ट्र के एक नए शोध में यह जानकारी सामने आई है।

2019 इमीशंस गैप रिपोर्ट के एक अग्रिम अध्याय में कहा गया है कि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 80 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेदार जी-20 सदस्य अब भी परिवर्तनकारी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर रहे हैं।

यूएन सेक्रेटरी-जनरल्स क्लाइमेट एक्शन समिट से पहले 2019 इमीशंस गैप रिपोर्ट शनिवार को जारी की गई।

रिपोर्ट से पता चलता है कि लगभग आधे जी-20 देशों का जीएचजी उत्सर्जन, 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित उनके योगदान (एनडीसी) से कम हैं।

समग्र रूप से लिया जाए तो मौजूदा एनडीसी 1.5 डिग्री सेल्सियस या पेरिस समझौते के दो डिग्री तापमान के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

इसके मायने है कि दुनिया अभी भी इस सदी में तीन डिग्री से अधिक के भयावह तापमान वृद्धि की राह पर है।

हालांकि, इस अध्याय में उन प्रमुख क्षेत्रों की तरफ ध्यान खींचा गया है, जहां जी-20 देश तेजी से कार्रवाई कर सकते हैं, जब वे 2020 में अपने अगले चरण के एनडीसी को जमा करेंगे।

यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडर्सन ने कहा, हम जी-20 राष्ट्रों की पूरी प्रतिबद्धता के साथ एक जीरो कार्बन भविष्य के लिए पृथ्वी को नुकसान पहुंचाने वाले जलवायु परिवर्तन से बच सकते हैं।

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