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इसरो जासूसी मामले में चार व्यक्तियों को जमानत प्रदान करने का आदेश शीर्ष अदालत ने रद्द किया

नई दिल्ली, 02 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने 1994 के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जासूसी मामले में वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने के एक मामले में एक पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सहित चार व्यक्तियों को अग्रिम जमानत देने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को शुक्रवार को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने मामले को उच्च न्यायालय को वापस भेज दिया और उसे इस मुद्दे पर चार सप्ताह के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘ये सभी अपीलें स्वीकार की जाती हैं। उच्च न्यायालय द्वारा पारित अग्रिम जमानत देने के आदेश को रद्द किया जाता है। सभी मामलों को उच्च न्यायालय को वापस भेजा जाता है ताकि वह उनके गुणदोष के आधार पर नए सिरे से फैसला कर सके। इस अदालत ने किसी भी पक्ष के लिए गुणदोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

पीठ ने कहा, ‘‘अंतत: उच्च न्यायालय को आदेश पारित करना है। हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह इस आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला करे।’’

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को आज से एक सप्ताह के भीतर संबंधित पीठ के समक्ष जमानत याचिकाओं को अधिसूचित करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘तब तक एक अंतरिम व्यवस्था के तहत और अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, यह निर्देश दिया जाता है कि पांच सप्ताह की अवधि के लिए और जब तक कि उच्च न्यायालय द्वारा जमानत अर्जियों पर हिरासत के संबंध में अंतिम फैसला नहीं किया जाता, प्रतिवादियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है जो कि जांच में सहयोग के अधीन होगा।’’

यह फैसला गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार, केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों एस विजयन और टी. एस. दुर्गा दत्त और एक सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी पी एस जयप्रकाश को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अपील पर आया।

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