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नीतिगत दरों में फिर हुयी वृद्धि: घर, कार की बढ़ेगी ईएमआई

मुंबई, 07 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास अनुमान को घटाते हुये महंगाई में नरमी आने की उम्मीद जताते हुये नीतिगत दरों में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी करने की आज घोषणा की जिससे घर, कार के साथ ही हर तरह का ऋण महंगा हो जायेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुयी मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय द्विमासिक समीक्षा बैठक में बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया गया। समिति की यह बैठक आज सुबह में समाप्त हुयी जिसमें लिये गये निर्णय की जानकारी देते हुये श्री दास ने कहा कि समिति ने बहुमत के आधार पर रेपाे दर में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी करने का निर्णय लिया है जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अब रेपो दर 5.90 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गयी है।

इस बढोतरी के बाद स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी दर (एसडीएफआर) 5.65 प्रतिशत से बढ़कर 6.00 प्रतिशत, बैंक दर बढ़कर 6.50 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर (एमएसएफआर) भी 6.50 प्रतिशत हो गयी है। रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए इस वर्ष मई में नीतिगत दरों में की गयी 0.40 प्रतिशत की बढोतरी के बाद से लगातार इसमें वृद्धि कर रहा है। मई के बाद जून, अगस्त और सितंबर में भी इन दरों में आधी आधी फीसद की वृद्धि की गयी थी। दिसंबर में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी की गयी है। श्री दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जारी भू राजनैतिक तनाव के साथ ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत बनी हुयी है। खरीफ के बाद अब रबी सीजन में बुवाई में आयी तेजी के बल पर आगे महंगाई में नरमी आने की उम्मीद है लेकिन वैश्विक स्तर पर इसमें जारी उथल पुथल के कारण चुनौती बनी हुयी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को 7.0 प्रतिशत से कम कर 6.80 प्रतिशत कर दिया है।

समिति के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत दरों में बढोतरी और समायोजन वाले रूख को कायम रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि दो ने इसका विरोध किया। श्री दास ने बताया कि रेपो दर में बढोतरी के पक्ष में पांच सदस्यों ने मतदान किया जबकि एक सदस्य प्रोफेसर जयंत आर वर्मा इसके विरोध में रहे। इसी तरह से समायोजन वाले रूख को समाप्त करने के पक्ष में चार सदस्यों श्री दास, डा. शशांक भिड़े, डॉ़ राजीव रंजन और डॉ़ माइकल देबब्रत पात्रा ने मतदान किया जबकि डॉ असीमा गोयल और प्रो़ जयंत आर वर्मा ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि सितंबर की तुलना में अक्टूबर में खुदरा महंगाई कुछ नरम रही है। सब्जियों और खाद्य तेलों क कीमतों में नरमी देखी गयी है जबकि अनाज, दूध और मसालों की कीमतें बढ़ी है। अक्टूबर में ईंधन की महंगाई भी सुस्त रही है। खाद्य और ईंधन की महंगाई को छोड़कर प्रमुख खुदरा महंगाई में तेजी रही है।

रेपो दर में बढोतरी किये जाने से तंत्र में तरलता की कमी नहीं आने देने का वादा करते हुये श्री दास ने कहा कि कुल मिलाकर तरलता अभी भी अधिशेष है। उन्होंने कहा कि वैश्विक और घरेलू कारकों से महंगाई में घटबढ़ हो रही है। सब्जियों की कीमतों में शीतकाल में कुछ नरमी आने की उम्मीद है जबकि निकट भविष्य में अनाज और मसालों की कीमतों में आपूर्ति के कारण तेजी आ सकती है।पशु चारे की कीमतों में तेजी के कारण दूध की कीमतें भी बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मांग में सुस्ती आ रही है। भू राजनैतिक तनाव के कारण खाद्य और ईंधन की कीमतों को लेकर अनिश्चितता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि औद्योगिक लागत में करेक्शन और आपूर्ति के दबाव के कमी आने पर उत्पादित वस्तुओं की कीमतों में नरमी आ सकती है। डॉलर में उतार चढ़ाव के कारण महंगाई पर पड़ने वाले प्रभाव की निगरानी करने की जरूरत बताते हुये उन्होंने कहा कि यदि भारतीय बॉस्केट में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल रहता है तो उसके आधार पर चालू वित्त वर्ष में महंगाई के 6.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। इसी के आधार पर तीसरी तिमाही में यी 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत रह सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 5.0 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो मानसून के सामान्य रहने पर निर्भर करेगा।

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