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पर्यावरण सहेजकर हम कई मानवाधिकारों की रक्षा कर सकते हैं: राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि पर्यावरण सहेजकर हम कई मानवाधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने लोगों से इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया ताकि आने वाली पीढ़ी प्रदूषण मुक्त स्वच्छ हवा में सांस ले सके।

मुर्मू ने दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार, राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवोन्मेष पुरस्कार और राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता पुरस्कार प्रदान किये। उन्होंने इस अवसर पर ‘ईवी-यात्रा पोर्टल’ भी पेश किया। इस पोर्टल को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने तैयार किया है। इसके जरिये निकटतम सार्वजनिक ईवी चार्जर का पता लगाया जा सकेगा।

राष्ट्रपति ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह सभी के लिये सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है कि आने वाली पीढ़ी प्रदूषण मुक्त स्वच्छ वातावरण में सांस लें, अच्छी प्रगति करें और स्वस्थ जीवन जिए। स्वच्छ हवा में सांस लेना एक बुनियादी मानवाधिकार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण की रक्षा कर, उसे सहेजकर हम कई मानवाधिकारों का संरक्षण कर सकते हैं।’’

मर्मू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान में वृद्धि की समस्या को देखते हुए ऊर्जा संरक्षण वैश्विक के साथ-साथ राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि देश में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन वैश्विक औसत के एक-तिहाई से भी कम है, लेकिन भारत एक जिम्मेदार देश होने के नाते पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-26) में ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवॉयर्नमेंट’ (पर्यावरण के लिये जीवन शैली) यानी ‘लाइफ’ का संदेश दिया था। इसमें विश्व समुदाय से पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने का आग्रह किया गया था। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा में हमारी जीवनशैली हमेशा ‘लाइफ’ के संदेश के अनुरूप रही है।

मुर्मू ने कहा कि प्रकृति का सम्मान करना, प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद नहीं करना और प्राकृतिक संपदा को बढ़ाने के उपाय करना ऐसी जीवनशैली का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि भारत पूरे वैश्विक समुदाय को ऐसी जीवनशैली अपनाने के लिये प्रेरित करने को प्रयास कर रहा है।

भारत की जी-20 के लिये अध्यक्षता का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जी-20 देश दुनिया के कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 85 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत का योगदान देते हैं। साथ ही दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी जी-20 देशों में रहती है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के अनुरूप ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का विचार दिया है और हम इसे विश्व पटल पर प्रसारित भी कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं, विशेषकर बच्चों की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवोन्मेष पुरस्कार के विजेताओं को उनकी नई सोच और कार्य के तरीके को भी सराहा। उन्होंने कहा कि उनके नवोन्मेष का व्यापक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग प्रेरित हो सकें और पर्यावरण संरक्षण के नये तरीके विकसित कर सकें।

मुर्मू ने सभी से संकल्प लेने का आग्रह किया, ‘‘हम जो कुछ भी करेंगे वह हमेशा प्रकृति के हित में होगा, प्रकृति के खिलाफ कभी नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने में ही मानव कल्याण निहित है।

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