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कोविड प्रबंधन का मोदी मॉडल विश्व के लिए मिसाल

-श्याम जाजू-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

कोविड ने फिर से दस्तक दे दी है। पिछले तीन हफ्तों में चीन में लगभग 25 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं। लाखों लोगो की मृत्यु के समाचार आ रहे हैं। हर तरफ त्राहि-त्राहि मची है। जापान, कोरिया, फ्रांस, जर्मनी आदि में भी रोज लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि पिछले दो भयावह वर्षों की पुनरावृत्ति होने को है। पूरा विश्व सहमा हुआ है पर भारतवासी लगभग सामान्य जीवन जी रहे हैं। और देशों के आंकड़ों के सामने, हमारे यहां संक्रमितों की संख्या मात्र कुछ सौ और हजार में है। यहां ऐसा लगता है जैसे कि देश में कोविड पूरी तरह से समाप्त हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड के अनुसार 26 दिसंबर को देश में संक्रमित लोगो की संख्या मात्र 3428 थी। इसकी तुलना में विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 25 दिसंबर को समाप्त हुए हफ्ते में ही 35 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए।

यह क्या संयोग मात्र है कि हम आज इतनी बेहतर स्थिति में हैं या यह भारत सरकार का कुशल प्रबंधन है जिसने सदी की सबसे भयावह महामारी से डटकर लोहा लिया और देश को एक बड़े खतरे से बचा लिया? याद कीजिये 2020 के वे शुरुआती दिन जब बीबीसी जैसे विदेशी मीडिया संस्थान यह भविष्यवाणी कर रहे थे की भारत इस विपदा से निपट नहीं पायेगा। लाशों के अंबार लग जाएंगे। शायद उनके जहन में 2014 से पहले का भारत था। पर जिस तरह से भारत ने अपने संसाधनों को विकसित किया, अत्यंत कम समय में अत्यंत प्रभावी वैक्सीन बनाई और न केवल देश में 220 करोड़ डोज सफलता पूर्वक और कुशल प्रबंधन से लगाई बल्कि दुनिया के अनेक देशों में भी वैक्सीन-मैत्री के माध्यम से अनेकों जिंदगियां बचाईं। इसने पूरे विश्व को हतप्रभ कर दिया। देशवासियों को विश्वास हो गया कि ऐसी महामारी में भी हम सुरक्षित हैं और इसी विश्वास ने न केवल देश की सामान्य जिंदगी को बल्कि अर्थ-व्यवस्था को भी तेजी से पटरी पर वापस लौटाने में बड़ी भूमिका निभाई।

आज यही विश्वास है जो हमें सुरक्षित रखे हुए है। और इस विश्वास के पीछे है भारत का असीम अनुभव और कुशल नेतृत्व। अपने पिछले तीन वर्षो के अनुभव और संघर्ष की वजह से हम पहले से कही ज्यादा तैयार हैं। हमारी वैक्सीन दुनिया की सबसे प्रभावी वैक्सीन में से एक है। अमेरिका में व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सीय सलाहकार डॉ फॉची का तो यह कहना है कि भारत की कोवैक्सीन कोविड के 617 वैरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम है।

ज्ञातव्य है कि देश के 90 फीसद लोगों को देश में बनी वैक्सीन की डबल डोज लग चुकी है। प्रसिद्ध डॉक्टर देवी शेट्टी के अनुसार देश के 90 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं जिसकी वजह से हममें अच्छी हाइब्रिड इम्यूनिटी विकसित हो गई है, जो कि कोरोना के किसी भी रूप के विरुद्ध हमारा सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। पर इसके साथ ही हमारा स्वास्थ्यगत ढांचा भी आज 2020 की तुलना में कही अधिक मजबूत है। अब देश में पहले की तुलना में अधिक हॉस्पिटल बेड, सैकड़ों गुना अधिक ऑक्सीजन युक्त बेड हैं। महामारी के लिए चिह्नित आइसोलेशन बेड तो पहले के 10,180 की तुलना में अब 18 लाख से ज्यादा हैं। इसी तरह से आईसीयू बेड की संख्या भी सैकड़ों गुना बढ़ गई है। पीपीटी किट, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि अब सभी देश में ही तैयार हो रहे हैं और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। टेस्टिंग सेंटर भी अब पहले के 30 हजार प्रतिदिन की जगह 20 लाख टेस्ट प्रतिदिन करने में सक्षम हैं।

आज भी जहां देश में लगभग 90 हजार वैक्सीनेशन और 35 हजार टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं और देश भर का पूरा डेटा संभल कर रखा जा रहा है और अब ऐतिहातन भारत सरकार के निर्देशानुसार देश के सभी एयरपोर्ट और सार्वजनिक स्थानों पर यादृच्छिक (रैंडम) टेस्टिंग शुरू हो गई है वहीं प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार संक्रमित व्यक्तियों के सैंपल की जिनोम टेस्टिंग भी कराई जा रही है जिससे नए बीएफ 7 वैरिएंट का पता चल सके।

सरकार की यह सामायिक पहल देशवासियों के लिए भी संकेत है कि जहां हम भले ही शेष दुनिया के तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हों, हमें फिर भी सावधानी रखने की पूरी जरूरत है। भले ही हमारी प्रतिरोधक क्षमता अब बहुत बढ़ गई है और देश में कोरोना लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गया है, फिर भी बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है। देशवासियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए, अगर बूस्टर डोज नहीं लगवाई है, तो लगवाना चाहिए। सार्वजानिक स्थानों पर मास्क का उपयोग अनिवार्यतः करना चाहिए।

हमारा तीन सालों का अनुभव, हमारे मेहनती स्वास्थ्यकर्मी, हमारा पहले से कहीं बेहतर स्वास्थ्य तंत्र और सबसे ऊपर हमारे अभिभावक स्वरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कुशल नेतृत्व हमें इस बात की गारंटी देता है कि अब पहले जैसे किसी भी दुःस्वप्न की पुनरावृत्ति नहीं होगी। फिर भी हमें एक बार फिर से याद रखना और दोहराना होगा- ‘दो गज दूरी, मास्क है जरूरी’। इसके पहले भी कई प्रसंगों में मोदी जी ने मिसाल के रूप में विश्व को बता दिया है। हर संकट या चुनौतियों को अवसर में परिवर्तित करने का मादा वो रखते हैं। इस संकट से बाहर आकर पूरे विश्व को उन्होंने यही संदेश दिया है-

‘नहीं रुकेंगे बढ़े कदम
मंजिल पर ही लेंगे दम’

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