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दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त कार्यवाही

-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

आजकल चिकित्सा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों के प्रकाशन की बाढ़ आ गयी हैं इस विज्ञापनों के माध्यम से पढ़ी लिखी जनता के साथ निरीह जनता अनावश्यक रूप से उनके चंगुल में फंसकर धोखाधड़ी की शिकार हो रही हैं। वहीं आर्थिक संत्रास भी भोग रही हैं। ये विज्ञापन ड्रग्स एंड रेमेडीज एक्ट 1954 के अंतर्गत एक आपराधिक कृत्य हैं। उक्त एक्ट में 56 बीमारियों काविज्ञापन और प्रकाशन नहीं कर सकते हैं तथा उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान हैं जिसके लिए मध्य प्रदेश शासन ने जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक उप कलेक्टर और उप पुलिस अधीक्षक को अधिकृत किया गया हैं जो इन विज्ञापनों के विरुद्ध कार्यवाही कर न्यायलय में अभियोजन के लिए अधिकृत हैं परन्तु कार्याधिकता के कारण सक्षम अधिकारी कार्यवाही करने में उदासीनता बरतते हैं।

इसी प्रकार कोई भी चिकित्सक अपने नाम से अपने द्वारा शर्तियां इलाज़ से ठीक करने का विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकता। यह भारतीय चिकित्सा व्यवसायी (वृतिक आचरण और शिष्टाचार सार तथा आचार संहिता) विनियम 1882 के अंतर्गत धरा 24 का खुला उल्लंघन हैं। परन्तु सक्षम अधिकारीयों द्वारा समुचित कार्यवाही न किये जाने से जनता गुमराह होकर इन चिकित्सकों द्वारा लूटी जा रही हैं। विज्ञापन भारतीय चिकित्सा के किसी चिकित्सक द्वारा या वैयक्तिक रूप से समाचार-पत्र में विज्ञापन द्वारा प्लेकार्ड द्वारा या परिपत्रों द्वारा या हैंड बिल द्वारा प्रत्यक्ष्य और अप्रत्यक्ष रूप से अनुनय करना अनैतिक हैं। चिकित्सा व्यवसायी विज्ञापन या प्रचार के किसी भी रूप में या रीति से अपना या अपने नाम और या फोटो का उपयोग नहीं करेगा या उपयोग करने में सहायता नहीं देगा या दूसरों को उपयोग नहीं करने देगा। बीमारियों के नाम और स्थिति जिनके इलाज़ पर चमत्कारी औषधियों का प्रचार नहीं कर सकता हैं —- अपेंडिसिटिस आर्टरियोस क्लेरोसिस अंधापन ब्लड पोइज़निंग ब्राइटस रोग कैंसर मोतियाबिंद बहरापन। डाइबिटीज़। मष्तिष्क की बीमारियों या खराबियों यूटेरस सिस्टम की खराबी मासिक धर्म की खराबी नर्वस सिस्टम की खराबी प्रोस्टेटिक ग्रंथि की खराबी ड्रॉप्सी एपिलेप्सी स्त्री रोग बुखार फिट्स फॉर्म एंड स्ट्रक्टर ऑफ़ फीमेल बस्ट गाल ब्लैडर स्टोन किडनी स्टोन और ब्लैडर स्टोन गैंगरीन गॉइटरहृदय रोग लो या हाई ब्लड प्रेशर हाइड्रोसील हिस्टीरिया इन्फैंटाइल पैरालिसिस इनसैनिटी लेयुकोडर्मा लॉकजॉ लोकोमोटर एक्सटेसिया ल्यूपस नर्वस डेबिलिटीमोटापा स्टरलिटी इन वीमेन प्लूरिसी रूमेटिस्म रप्चर्ससेक्सुअल इम्पोटेंस स्माल पॉक्स स्ट्रेचर ऑफ़ पर्सन्स ट्राकोमा टी बी। अलसर टाइफाइड फीवर वेनेरल डिजीज एड्स अस्थमा आदि।

अब शर्तिया इलाज़ के दावे नहीं कर पाएंगे डॉक्टर
नए विधेयक में किया गया प्रावधान साइन बोर्ड में नाम और डिग्री के अलावा कुछ भी लिखने पर हो सकती हैं कार्यवाही। कोई भी डॉक्टर किसी बीमारी विशेष के इलाज़ का दावा करने वाला विज्ञापन नहीं कर सकता इसी प्रकार कोई भी दवा निर्माता इस प्रकार के विज्ञापन समाचार पत्रों पत्रिकाओं और टी वी में नहीं दे सकता। भ्रामक विज्ञापन देने से जुड़े अपराध में पहली बार दोषी पाए जाने पर 1० लाख रुपये का जुर्माना और दो साल की जेल की सजा होगी। वहीँ दुबारा या उसके बाद इसी अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर जुर्माना 5० लाख और जेल की सजा 5 साल तक हो सकती हैं इस प्रकार भ्रामक विज्ञापन देने वालों और प्रकाशित करने वालों पर कड़ी कार्यवाही होने पर कुछ सीमा तक अंकुश लगना चाहिए। देश में लचीला कानून होने से समुचित कार्यवाही नहीं हो पाती इसके के सक्षम अधिकारीयों में रूचि का अभाव मुख्य हैं।

 

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