
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय किया था। वह अभी अधूरा है। फिर 2022 में 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर, लालकिले की प्राचीर से, 2047 में ‘विकसित भारत’ के संकल्प की घोषणा की थी। यानी लक्ष्य आज से करीब 25 साल बाद का है। तब तक जवाबदेही किसकी होगी? उस दौर में क्या राजनीतिक समीकरण होंगे? कौन देश का प्रधानमंत्री होगा? क्या तब की सत्ता आज के संकल्पों को स्वीकार करेगी? संभव है कि भारत को आज़ादी के 100 साल बाद ही ‘विकसित’ न होना पड़े और यह लक्ष्य पहले ही हासिल कर लिया जाए! लेकिन तब भी प्रधानमंत्री मोदी नहीं होंगे और पीढ़ी अलग तेवर, अलग सोच की हो सकती है! ये संभावनाएं ही नहीं हैं, बल्कि हकीकत के बेहद करीब हैं।
फिलहाल आकलन किए जा रहे हैं कि 2027 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हो सकता है और 2031-32 तक हमारी अर्थव्यवस्था 7.5 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। जापान भारत के पीछे होगा और हम जर्मनी को भी पार कर लेंगे। इस तरह भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है! ये तमाम भविष्य की संभावनाएं हैं। फिलहाल बजट के मुताबिक, भारत का जीडीपी 286 लाख करोड़ रुपए का है। हम लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं। 2023-24 का प्रस्तावित बजट 45.03 लाख करोड़ रुपए का है। विभिन्न करों, उपकरों, अधिभारों, उत्पाद शुल्क आदि से हमारी कुल आय 27.2 लाख करोड़ रुपए की है। साफ है कि आने वाले वित्त वर्ष में हम 17 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा झेलेंगे। यानी भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल घाटे की है। भारत पर करीब 152 लाख करोड़ रुपए का कजऱ् भी है।
जीडीपी का करीब 20 फीसदी हर साल ब्याज के भुगतान में खर्च करना पड़ता है। ऐसे कजऱ् सभी देश लेते हैं, क्योंकि देश की परियोजनाओं और सामाजिक कल्याण पर अतिरिक्त खर्च किए जाते हैं। ऐसे कजऱ् का बजट में प्रावधान भी रखा जाता है, लिहाजा इसे ‘रेवडिय़ों’ पर खर्च करार नहीं दिया जा सकता। बजट में औसतन प्रति व्यक्ति आय 1.97 लाख रुपए का दावा किया गया है, लेकिन ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य हासिल करना है, तो यह आय औसतन 4.45 लाख रुपए होनी चाहिए। बजट में इसका कहीं भी उल्लेख नहीं है कि ऐसा कैसे होगा? ‘विकसित भारत’ में पेट्रोल, डीजल और कोयला आदि का इस्तेमाल ‘ज़ीरो’ करने की योजना भी होगी। यह कैसे संभव है, क्योंकि भारत में कोयला खदानों का अपना वैश्विक महत्त्व है। भारत दूसरे या तीसरे स्थान का कोयला उत्पादक देश है। भारत में पेट्रोलियम संसाधनों के ‘स्वदेशीकरण’ पर भी व्यापक काम जारी है। बेशक बजट में हरित ऊर्जा, हरित विकास, हरित पर्यावरण, हरित हाईड्रोजन आदि के उल्लेख हैं। पर्यावरण को लेकर भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं भी हैं, लेकिन ‘शून्य कार्बन उत्सर्जन’ का लक्ष्य 2070 तय किया गया है। तो 2047 में वैकल्पिक ऊर्जा की स्थिति क्या होगी? वैसे मोदी सरकार के दावे हैं कि देश में औसतन हर माह एक मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है। विकास के कई और दावे भी हैं। बहरहाल ‘विकसित भारत’ अभी बहुत दूर है। बजट में कुछ चिराग जलते हुए दिखे हैं, जो नाकाफी हैं।