GlobelNational

वह युग गया जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था : विदेश मंत्री जयशंकर

-जयशंकर, फिजी के राष्ट्रपति ने नाडी में किया 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन

नांदी (फिजी)/नई दिल्ली, 15 फरवरी (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। विदेश मंत्री एस जयशंकर और फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे ने बुधवार को फिजी के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट में कहा कि उद्घाटन समारोह में सेवु सेवू का पारंपरिक फिजियन स्वागत हुआ और एक स्मारक डाक टिकट के साथ-साथ छह हिंदी भाषा की किताबों का भी विमोचन किया गया। “फिजी के राष्ट्रपति रातू विलिमे काटोनिवेरे और डॉ. जयशंकर ने फिजी के नाडी में 12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया।” इस उद्घाटन समारोह में भारत और फिजी के मंत्रियों और सांसदों द्वारा शामिल।

इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में पुनर्संतुलन हो रहा है और “वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन भी हो।’’ जयशंकर यहां बारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में हिंदी के महत्व को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत जताते हुए जयशंकर ने कहा कि भाषा न केवल पहचान की अभिव्यक्ति है बल्कि भारत और अन्य देशों को जोड़ने का माध्यम भी है।

फिजी के प्रमुख शहर नांदी में फिजी सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया भर से हिंदी के करीब 1,200 विद्वान व लेखक भाग ले रहे हैं। ‘देनाराउ कनवेंशन सेंटर’ में तीन दिन चलने वाले सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान फिजी के राष्ट्रपति रातू विलीमे कटोनिवेरी के अलावा भारत सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा तथा विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन भी मौजूद थे। इस मौके पर जयशंकर और राष्ट्रपति कटोनिवेरी ने संयुक्त रूप से एक डाक टिकट भी जारी किया।

उद्घाटन सत्र में पहले फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका को मौजूद रहना था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यहां संसद सत्र के चलते उनकी जगह राष्ट्रपति ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया। राबुका हाल ही में प्रधानमंत्री बने हैं और 55 सदस्यीय संसद में उनके पास विपक्ष के मुकाबले केवल एक मत अधिक है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘अधिकांश देशों ने पिछले 75 वर्षों में स्वतंत्रता हासिल की और यह उसका ही परिणाम है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में एक पुनर्संतुलन हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि शुरुआत में इसका स्वरूप आर्थिक था, लेकिन जल्द ही इसका एक राजनीतिक पहलू भी सामने आने लगा है। उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति से धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन भी हो।

जयशंकर ने कहा, “वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था।’’ जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भाषा और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत ने आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और अब हम अगले 25 वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी पथ पर आगे बढ़ रहे हैं जिसे हमने अमृतकाल कहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का ही परिणाम है कि हम एक नए भारत का निर्माण होता देख रहे हैं।’’

विदेश मंत्री ने ट्वीट में कहा कि उन्हें 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर पारंपरिक सेवु सेवु स्वागत से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, “12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति रातू विलीमे काटोनिवेरे की उपस्थिति में पारंपरिक सेवुसेवु स्वागत के लिए अपने आप को बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं।” उन्होंने पोस्ट किया, “भारत और फिजी के स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना के बाद कावा का पहला प्याला लिया। फिजी के पारंपरिक स्वागत समारोह में भाग लेकर दिन की शुरुआत की है।

विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि उन्हें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उद्घाटन भाषण देने में खुशी हो रही है, जो इस आयोजन के लिए फिजी में हैं। उन्होंने कहा कि “फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उद्घाटन भाषण देते हुए खुशी हो रही है, जहां फिजी के राष्ट्रपति एच.ई.रातु विलियामे काटोनिवेरे और विदेश मंत्री ने अध्यक्षता की थी।” उन्होंने ट्वीट किया, “पारंपरिक ज्ञान से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक विस्तृत विषयों को कवर करने वाले आगामी सत्रों को लेकर उत्साहित हूं।”

उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2022 में फिजी में नई सरकार के गठन के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली फिजी यात्रा है। सम्मेलन स्थल पर हिंदी भाषा के विकास से संबंधित अनेक प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और कवि सम्मेलन आयोजित करने का भी प्रस्ताव है। पूर्व की परिपाटी के अनुसार सम्मेलन के दौरान भारत तथा अन्य देशों के हिन्दी विद्वानों को हिन्दी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए “विश्व हिन्दी सम्मान” से सम्मानित किया जायेगा। वर्ष 2018 में मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान इसके अगले संस्करण को फिजी में आयोजित करने की सिफारिश की गई थी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker