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सीजेआई चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय में विधि लिपिक सेवाओं के लिए दिशानिर्देशों को मंजूरी दी

नई दिल्ली, 03 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कानूनी शोध में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सहायता के लिए विधि प्रशिक्षुओं की सेवाएं लेने को लेकर नए दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। इसके तहत विधि प्रशिक्षुओं को प्रति माह 80,000 रुपये के पारिश्रमिक का भुगतान किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने ‘‘उच्चतम न्यायालय में अल्पकालिक संविदात्मक कार्य को लेकर विधि लिपिक-सह-अनुसंधान सहयोगियों को नियुक्त करने के लिए एक नई योजना’ शुरू की है।

उच्चतम न्यायालय की अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘विधि लिपिक को कार्य अवधि के लिए 80,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे तथा कोई अन्य भत्ते नहीं मिलेंगे।’’ इसके साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसी नियुक्ति के प्रारंभिक ‘असाइनमेंट’ के 12 महीने बाद विस्तार दिए जाने पर बिना किसी अन्य भत्ते या अनुलाभ के प्रतिमाह 90,000 रुपये के साथ विस्तारित कार्य अवधि के लिए भुगतान किया जाएगा।

प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश चार विधि लिपिकों की सेवाओं के हकदार होंगे, जिनमें से पहले दो को अनिवार्य रूप से (उच्चतम न्यायालय) रजिस्ट्री की चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा।

प्रधान न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश काम का बोझ होने पर पांचवें विधि लिपिक की सेवाएं ले सकते हैं और कार्य सौंप सकते हैं।

विधि लिपिक शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नए मामलों का संक्षिप्त सारांश तैयार करते हैं। वे नियमित सुनवाई के मामलों का सारांश भी तैयार करते हैं और मामलों की सुनवाई के दौरान दी गई सभी दलीलों को दर्ज करते हैं जहां पीठों को निर्णय देने होते हैं।

 

 

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