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आरबीआई की नीतिगत ब्याज में और वृद्धि नहीं चाहता है उद्योग-व्यापार जगत

नई दिल्ली, 04 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में इस सप्ताह चौथाई प्रतिशत की एक और वृद्धि किए जाने की संभावनाओं के बीच उद्योग जगत ने रिजर्व बैंक ने कर्ज महंगा करने का सिलसिला रोकने का आग्रह किया है।
उद्योग मंडल एसोचैम के नये अध्यक्ष अजय सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भारत इस समय विश्व की सबसे तेज गति से वृद्धि कर रही बड़ी अर्थव्यवस्था जरूर है, लेकिन दुनिया के व्यावसायिक वातावरण में अनिश्चितता को देखते हुए केंद्रीय बैंक को नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला थामना चाहिए।
उन्होंने कहा, “यद्यपि विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की आर्थिक वृद्धि सबसे तेज है लेकिन अभी यह वृद्धि उतार-चढ़ाव भरी है। खनिज ईंधन की कीमतों में उछाल, भू-राजनैतिक घटनाओं और प्रमुख औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मंदी आने के खतरे को देखते हुए घरेलू अर्थव्यस्था पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत है।”
श्री सिंह ने कहा कि जब तक आज के हालात में काेई बहुत बड़ा परिवर्तन न हो, इन परिस्थितियों में एसोचैम का कहना है कि नीतिगत ब्याज दर में और बढ़ोतरी न की जाए। एसाचैम अध्यक्ष ने कहा, “कुछ दिशाओं से सुझाव है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति इस बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है लेकिन हमारा मानना है कि नीतिगत ब्याज दर इस समय जितनी बढ़ाई जा सकती थी बढ़ाई जा चुकी है, अर्थव्यवस्था के लिए इससे अधिक वृद्धि को सहन करना कठिन हो जाएगा।”
गौरतलब है कि मुद्रास्फीति के दबाव के बीच आरबीआई करीब एकसाल से लगातार बढ़ोतरी करता आ रहा है। पिछले साल मई से अब तक ब्याज दरों में कुल मिला कर 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। इससे ग्राहकों और कंपनियों के लिए कर्ज पर ब्याज का बोझ चुभने लगा है।
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, “रिजर्व बैंक ने विदेशों में ब्याज दरों में वृद्धि का जबाव अच्छी तरह से दिया है और किसी तरह की घबराहट का संकेत नहीं दिया है, पर पिछली मई से अब तक रेपो में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि का उपभोक्ताओं और कंपनियों पर बदवाब पड़ना शुरू हो गया है।”
अचल सम्पत्ति बाजार पर अध्ययन एवं परामर्श सेवाएं देने वाली वाली कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक में आरबीआई द्वारा रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की और बढ़ाए जाने की संभावना है क्यों कि मुद्रास्फीति अब भी एक चुनौती बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का नीतिगत रुख अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के रूख के अनुरूप ही रहने की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक की नीतिगत दर (रेपो) 6.5 प्रतिशत रेपो का यह स्तर इससे पहले जनवरी 2019 में था।
श्री बैजल ने कहा कि नीतिगत दर बढ़ने से आवास ऋण पर ब्याज बढ़ गया, पर घरों की मांग तेज बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में फरवरी-2023 तक बकाया गृह ऋण सालाना आधार पर 15 प्रतिशत ऊंचा था, पर नीतिगत ब्याज दर में और वृद्धि होने से घर खरीदारों की खरीद क्षमता प्रभावित होगी और मांग ठंडी पड़ जाएगी, क्योंकि मकानों की कीमतें भी बढ़ी हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास तीन अप्रैल से शुरू हुई छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की समीक्षा बैठक के निर्णयों की घोषणा मुंबई में छह अप्रैल को करेंगे।
रिजर्व बैंक को महंगाई दर चार प्रतिशत के दायरे में रखने का दायित्व है और इसमें सीमित समय में दो प्रतिशत की घट-बढ़ को सहज माना जाता है। जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 6.52 प्रतिशत और जनवरी में 6.44 प्रतिशत थी।

 

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