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अटकी रियल्टी परियोजनाओं की समीक्षा के लिए गठित समिति सही दिशा में एक कदम: एफपीसीई

नई दिल्ली, 04 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। रियल एस्टेट क्षेत्र की अटकी परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों के समाधान और उन्हें पूरा करने के उपायों के बारे में सुझाव देने के लिए एक समिति गठित करने की केंद्र की पहल सही दिशा में एक कदम है। घर खरीदारों के निकाय एफपीसीई ने मंगलवार को यह बात कही।

निकाय ने उम्मीद जताई कि इस पहल से सभी पक्षों के लाभ के लिए व्यावहारिक समाधान सामने आएंगे। हालांकि, एफपीसीई को यह अफसोस भी है कि समिति में घर खरीदारों का कोई प्रतिनिधि नहीं है।

घर खरीदारों के निकाय फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के अधिनियमन और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने रियल एस्टेट क्षेत्र की अटकी परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों के समाधान और उन्हें पूरा करने के उपायों के बारे में सुझाव देने के लिए नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय समिति का गठन किया है।

एफपीसीई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने कहा कि समिति का गठन निश्चित रूप से सही दिशा में एक कदम है और रेरा से पहले की अटकी परियोजना के मुद्दों को हल करने के लिए एक स्वागत योग्य कदम है।

उन्होंने कहा, ‘‘समिति की विश्वसनीयता, मंशा, गंभीरता और प्रभावशीलता निश्चित रूप से कई गुना बढ़ गई होती अगर सबसे महत्वपूर्ण हितधारक यानी घर खरीदारों को भी इसका हिस्सा बनाया गया होता क्योंकि न केवल वे अंतिम पीड़ित हैं बल्कि उन्हें विभिन्न समस्याओं का जमीनी अनुभव भी है।’’

रेरा के सदस्य उपाध्याय ने कहा ‘‘हमने अतीत में देखा है कि राज्य स्तर पर समितियों का गठन किया गया है, लेकिन वे समाधान खोजने में विफल रही हैं। इस कदम ने निश्चित रूप से घर खरीदारों की आशा और अपेक्षाएं बढ़ाई हैं। हम उम्मीद करते हैं कि पीड़ित घर खरीदारों को राहत देने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे।’’

मंत्रालय के 31 मार्च को जारी आदेश के अनुसार समिति पहली बैठक की तिथि से छह महीने में रिपोर्ट देगी।

आदेश में कहा गया है कि 14 सदस्यीय समिति लंबे समय से अटकी परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी और इन परियोजनाओं को पूरा करने तथा घर खरीदारों को समय पर मकान सौंपने के उपाय सुझाएगी।

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय सलाहकार परिषद ने करीब एक साल पहले इस तरह की समिति बनाने का फैसला किया था।

समिति में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव, उत्तर प्रदेश के आवास और शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव तथा भारतीय दिवाला और ऋण शोधन बोर्ड के अध्यक्ष समेत केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

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