
-सर्वमित्रा सुरजन-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
सोशल मीडिया हैशटैग से आपको गुमराह करेगा और मुख्यधारा का मीडिया पाकिस्तान चली गई अंजू, भारत में प्रेम की तलाश में पहुंची सीमा हैदर या फिर ज्योति मौर्य के पारिवारिक झगड़ों की कहानियां चटखारों के साथ पेश करके आपका ध्यान भटकाएगा। इंडिया नाम भले ही अब विपक्षी मोर्चे का है, लेकिन इंडिया इस देश के लोगों से ही बना है, और इसका अपमान करने का हक किसी को नहीं है, जनता को ये संदेश हुक्मरानों तक पहुंचा देना चाहिए।
बुधवार सुबह ट्विटर उर्फ एक्स पर अंतोनियो माइनो हैशटैग पर कई सारे ट्वीट्स किए जाने लगे, जो पूरी तरह सोनिया गांधी और राहुल गांधी को निशाना बनाने के लिए थे। यह संयोग नहीं है कि बुधवार को ही विपक्षी मोर्चे यानी इंडिया ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देने की तैयारी की थी। प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है लेकिन उस पर बहस कब होगी, यह अभी तय होना बाकी है। बहरहाल, चंद घंटों में ये हैशटैग गायब हो गया और दूसरी खबरें तैरने लगीं। सोशल मीडिया का यही कमाल है कि यहां किसी भी खबर को अपनी सुविधा के हिसाब से प्रस्तुत किया जाता है और माहौल बनाने के लिए हैशटैग का नामकरण होता है।
अंतोनियो माइनो हैशटैग से समझा जा सकता है कि यह सोनिया गांधी की विदेशी पहचान को फिर से चर्चा में लाने की साजिश है। सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी के नाम को भी बिगाड़ कर पेश किया गया। ताकि एक ही बार में दोनों की छवि खराब की जा सके। जो लोग सोशल मीडिया के प्रभाव में न आकर अपने विवेक से खबरों का विश्लेषण करते हैं, वो जानते हैं कि सोनिया गांधी पर ऐसे हमले कितने बरसों से हो रहे हैं। उनका विदेशी मूल का होना तो केवल एक बहाना है। ये हमले इसलिए होते हैं क्योंकि सोनिया गांधी ने जिस तरह से भारतीयता को आत्मसात किया है, उसमें उनके विरोधी (जिनमें अधिकतर संघ और भाजपा के सदस्य हैं) खुद को उनके आगे बौना पाते हैं। अपने व्यक्तित्व के बौनेपन की कुंठा दूर करने का केवल एक ही उपाय इन्हें समझ आता है कि सोनिया गांधी का चरित्रहनन किया जाए। बरसों से जारी इन कोशिशों के बावजूद सोनिया गांधी हर बार पहले से अधिक चारित्रिक दृढ़ता और संयम के साथ ऐसे लोगों के सामने डटकर खड़ी दिखाई देती हैं।
बुधवार को जब ट्विटर पर उनके पीहर के नाम के साथ उन पर कीचड़ उछालने की कोशिशें चल रही थीं, तब सोनिया गांधी संसद परिसर में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को आश्वासन दे रही थीं कि कांग्रेस उनके साथ खड़ी है। पाठक जानते हैं कि राज्यसभा में आप सांसद संजय सिंह को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि उन्होंने मोदी सरकार से मणिपुर के मुद्दे पर जवाब मांगा है। इस मांग को लेकर वे वेल तक आ गए तो नैतिकता और नियमों का हवाला देते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया। तीन दिनों से कई सांसद संजय सिंह का साथ देने के लिए संसद परिसर में रात बिता रहे हैं। सोनिया गांधी ने एक वरिष्ठ राजनेता और सांसद होने के नाते इस मुश्किल वक्त में संजय सिंह का साथ दिया और इसके बाद सोशल मीडिया पर सोनिया गांधी हैशटैग ट्रेंड करने लगा। संजय सिंह और सोनिया गांधी के बीच हुई संक्षिप्त बातचीत का वीडियो चलन में आ गया। सोशल मीडिया पर हैशटैग का यह बदलाव राजनीति में भाजपा के मुकाबले इंडिया के मजबूत होते जाने का संकेत दे रहा है। पिछले 9 सालों के तमाम संसद सत्रों में भाजपा के मुकाबले विपक्ष रहता तो था, लेकिन उसमें बिखराव था। लेकिन इस मानसून सत्र में पहली बार इंडिया से भाजपा का वास्ता पड़ा है और इसी से उसमें घबराहट दिखाई दे रही है। भाजपा ने इस बात की उम्मीद नहीं की होगी कि मणिपुर पर जवाब न देना उसे इस बार संसद में इतना भारी पड़ जाएगा।
इससे पहले नोटबंदी या जीएसटी का फैसला हो या कश्मीर से अनुच्छेद-370 की समाप्ति या सीएए या कृषि विधेयक या अडानी प्रकरण, हर बार विपक्ष सवाल उठाता, सरकार से जवाब की मांग करता, प्रधानमंत्री मोदी को सदन में आकर जवाब देने कहता। हर बार खूब हंगामा होता, सदन की कार्रवाइयां स्थगित होती, सत्रावसान होता, लेकिन मोदी सरकार को झुकाने में कहीं कोई कसर रह जाती। मगर इस बार ऐसा नहीं है। मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष जवाब मांग रहा है, लेकिन अलग-अलग नहीं बल्कि इंडिया के रूप में। इसी दबाव का नतीजा है कि श्री मोदी को सदन के बाहर ही सही लेकिन मणिपुर का नाम लेना पड़ा। हालांकि जो कुछ उन्होंने कहा, उसमें जख्मों को कुरेदने की प्रवृत्ति ही अधिक दिखी। उनकी राजनीति यही है। इंडिया अब प्रधानमंत्री से सदन में आकर जवाब देने कह रहा है, मगर वे इंडिया की आवाज को अनसुना कर रहे हैं। इसी से इंडिया को अविश्वास प्रस्ताव पेश करना पड़ा, ताकि प्रधानमंत्री को जवाब देने के लिए बाध्य किया जा सके। इंडिया की यह सख्ती प्रधानमंत्री को बर्दाश्त नहीं हो रही है। इसलिए मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में उन्होंने विपक्षी मोर्चे को इंडिया नाम रखने पर निशाने पर लेते हुए ये कह दिया कि ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे नामों में भी इंडिया जुड़ा हुआ है।
देश ने इससे पहले इतनी नकारात्मकता से भरे किसी प्रधानमंत्री को नहीं देखा, जो विपक्ष का विरोध करते-करते देश के नाम को गलत संदर्भों में इस्तेमाल करने लगे। अब तक भाजपा की दो रुपए वाली ट्रोल आर्मी इस तरह के हमलों के लिए कुख्यात थी। अंतोनियो माइनो जैसे हैशटैग भी इसी ट्रोल आर्मी की करतूत हो सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री भी ऐसे उदाहरणों के साथ विपक्ष का विरोध करेंगे, ऐसी उम्मीद उनसे नहीं थी। अपने पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए वे मुस्कुराते हुए कह सकते थे कि चलिए इस इंडिया से मुकाबला रोचक होगा। लेकिन जिस राजनीति में नफरत प्रधान तत्व हो, वहां मुस्कुराहट गौण स्थान भी नहीं पाती है। बल्कि हर जगह कुंठा, चीख-चिल्लाहट, जहर बुझे बयान, व्यक्तिगत हमले यही सब नजर आता है। मोदीजी इसी राजनीति से बंधे हुए हैं, सो उन्होंने विपक्ष के विरोध में इंडिया को भी नहीं बख्शा। राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी क्या की, उन्हें मानहानि में दो साल की सजा हो गई। लेकिन इंडिया पर टिप्पणी को क्या कोई मानहानि मानेगा, क्या इससे किसी की भावनाएं आहत होंगी, ये देखना होगा।
अभी ओपेनहाइमर फिल्म के एक दृश्य पर हिंदुत्व ब्रिगेड की भावनाएं आहत हो गई हैं। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर तक ने इस पर नाराजगी जाहिर कर दी। नायक-नायिका के प्रणय प्रसंग में गीता का श्लोक कैसे बोल दिया गया, इस पर हिंदुत्ववादी लोगों को तकलीफ हो गई। लेकिन मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार की गईं और उसका वीडियो भी आ गया, उस पर इन लोगों की भावनाएं ऐसी आहत नहीं होती कि वे उसका विरोध करने के लिए मुंह खोलें। बल्कि मणिपुर में अपनी सरकार का बचाव करने के लिए ये लोग राजस्थान, छत्तीसगढ़, बंगाल और बिहार की याद दिला रहे हैं। आपदा में अवसर की नित नयी मिसालें भाजपा पेश कर रही है। ऐसे अवसरों से तात्कालिक लाभ अगर हो भी जाए तो इसका दूरगामी असर बेहद घातक होगा। मणिपुर की ज्वाला से अब मिजोरम, असम भी सुलगने लगे हैं।
और नफरत की राजनीति में इतनी ताकत नहीं है कि वह इन लपटों को फैलने से रोक सके। बल्कि नफरत आग की सुचालक बनकर उसे और फैलाएगी। जनता को खुद ही इस कैमेस्ट्री को समझना पड़ेगा। क्योंकि सोशल मीडिया हैशटैग से आपको गुमराह करेगा और मुख्यधारा का मीडिया पाकिस्तान चली गई अंजू, भारत में प्रेम की तलाश में पहुंची सीमा हैदर या फिर ज्योति मौर्य के पारिवारिक झगड़ों की कहानियां चटखारों के साथ पेश करके आपका ध्यान भटकाएगा। इंडिया नाम भले ही अब विपक्षी मोर्चे का है, लेकिन इंडिया इस देश के लोगों से ही बना है, और इसका अपमान करने का हक किसी को नहीं है, जनता को ये संदेश हुक्मरानों तक पहुंचा देना चाहिए।