EducationPolitics

जांच के दायरे में दो मुख्यमंत्री

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

चूंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन को ठुकरा रहे हैं, लिहाजा अंतिम परिणति जेल ही हो सकती है। केजरीवाल तीन बार और सोरेन 7 बार समन को खारिज कर चुके हैं। यह संविधान को अस्वीकार करना और उसका उल्लंघन करना ही है। केजरीवाल सरकार के दौरान ‘शराब घोटाला’ उछला और सोरेन 1000 करोड़ रुपए के अवैध खनन मामले में आरोपित हैं। सोरेन के खिलाफ चुनाव आयोग एक पत्र प्रदेश के राज्यपाल को भेज चुका है कि मुख्यमंत्री को बर्खास्त किया जाए और उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द की जाए। यह बंद चि_ी एक लंबे अंतराल से राज्यपाल के विचाराधीन है। न जाने विचार की प्रक्रिया कितनी लंबी होती है? दोनों मुख्यमंत्री विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक हैं। उन्होंने संविधान की शपथ लेकर पद ग्रहण किया है और ईडी भी संवैधानिक जांच एजेंसी है। विपक्षी होने के मद्देनजर दोनों ही मुख्यमंत्री समन को ‘राजनीतिक’ करार दे रहे हैं और सरकारों को अस्थिर करने की साजिश भाजपा पर मढ़ रहे हैं। केजरीवाल तो कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी उनसे डरते हैं, लिहाजा चुनावों में निष्क्रिय करने के मद्देनजर ईडी जांच और जेल के जाल बिछाए जा रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्री अपने-अपने घोटालों को लेकर खुद को मासूम मानते हैं, लिहाजा घोटालों के आरोपों का स्पष्टीकरण नहीं दे रहे हैं। केजरीवाल के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया बीते 11 माह से, शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के कारण, जेल में हैं। उनकी जमानत की दलील सर्वोच्च अदालत तक खारिज कर चुकी है। केजरीवाल की पार्टी के ही राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी घोटालों के आरोपों और साक्ष्यों के मद्देनजर जेल में कैद हैं। यदि इतने महत्त्वपूर्ण साथी जेल में हैं, तो क्या उन्होंने ‘शराब नीति’ का निर्णय खुद ही लिया था? कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता किसने की थी? जेल वाले साथियों ने शराब माफिया के कुछ चेहरों को, जो जेल में बंद हैं, मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर उनसे मिलवाया था, तो उसके प्रयोजन क्या थे? जिस मनी टे्रल की ओर सर्वोच्च अदालत ने भी संकेत किए हैं, क्या मुख्यमंत्री और ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर केजरीवाल उसमें संलिप्त नहीं थे? झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पद का दुरुपयोग करते हुए खनन का पट्टा हासिल किया। बेशक बाद में उसे लौटा दिया हो, लेकिन ईडी ने मुख्यमंत्री के करीबियों के 12 ठिकानों पर छापे मारे हैं और संदिग्धों के मोबाइल तक जब्त किए हैं, 25 लाख और 8 लाख रुपए नकदी बरामद किए गए हैं, जिनका हिसाब संबद्ध व्यक्ति बता नहीं सके, तो यकीनन मामला गंभीर है। ईडी के समन नोटिसों को लगातार खारिज करके दोनों ही मुख्यमंत्री निर्दोष और मासूम साबित नहीं होंगे। उन पर सवाल और आरोप लटके रहेंगे। हमारे देश में सक्षम अदालतें भी हैं, जहां ईडी दस्तक देकर न्याय की गुहार कर सकता है। जांच एजेंसी को मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 45 के तहत दोनों मुख्यमंत्रियों के लिए गैर जमानती वारंट जारी करने का भी अधिकार है, लिहाजा बार-बार समन की अवहेलना करने पर गिरफ्तारी का भी प्रावधान है। क्या दोनों ही मुख्यमंत्री जेल जाने का संकट महसूस कर रहे हैं, लिहाजा समन की मंशा पर सवाल कर, उन्हें खारिज कर, ईडी के सामने पेश नहीं हो रहे हैं? दोनों को जांच का सामना करना चाहिए।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker