
नई दिल्ली, 17 जून (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। देशभर में आज यानी सोमवार को ईद-अल-अजहा (बकरीद) मनाई जा रही है। मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक बकरीद को लेकर देशभर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। यह पर्व रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद आता है।
आज सुबह से देशभर के मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। दिल्ली में जहां जामा मस्जिद में ईद की नमाज अदा की गई तो वहीं, मुंबई में सुबह-सुबह लोगों ने ईद-उल-अज़हा के अवसर पर माहिम की मखदूम अली माहिमी मस्जिद में नमाज़ अदा की। नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी। ईद के कारण आसपास का इलाका और बाजार गुलजार हैं। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु समेत तमाम नेताओं ने मुबारकबाद भी दी है।
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा है, ‘ईद-उल-अजहा के अवसर पर, मैं सभी देशवासियों और विदेशों में रहने वाले भारतीयों, विशेष रूप से हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देती हूँ। यह पवित्र त्योहार त्याग और बलिदान का प्रतीक है। यह प्रेम, भाईचारे और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ईद-उल-अज़हा के पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा, ईद-उल-अज़हा का त्योहार सभी को मिल-जुल कर रहने तथा सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान करता है।’
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘सभी मुस्लिम भाईयों और बहनों को बकरीद की मुबारकबाद। यह त्योहार आप सभी के जीवन में खुशियां और सौहार्द लेकर आए।’
वहीं, भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने दिल्ली के दरगाह पंजा शरीफ में ईद-उल-अजहा के मौके पर नमाज अदा की।
ईद के मौके पर फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि बकरीद को हमें मिल-जुलकर मनाना है। त्योहार खुशी मनाने के लिए होते हैं, उससे किसी को तकलीफ हो तो यह बेमानी है। कुर्बानी करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि किसी को उससे तकलीफ न हो। हुकूमत की गाइड लाइंस को ध्यान में रखकर ही जानवरों की कुर्बानी दें। ईद-उल-अजहा के मौके पर पुरानी दिल्ली के बाजारों में खासी रौनक है।
यूपी में मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश
बकरीद को लेकर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिल रही है। सीएम योगी ने निर्देश दिए हैं कि बकरीद पर कुर्बानी के लिए स्थान पहले ही तय होना चाहिए। इसके अलावा कहीं पर भी कुर्बानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी परंपरा रही है उसके अनुसार नमाज एक निर्धारित जगह पर ही हो और सड़कों पर नमाज नहीं होनी चाहिए।
क्यों दी जाती है कुर्बानी?
ईद-उल-अजहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इस दिन इस्लाम धर्म के लोग किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं. इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है. कुर्बानी का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रख सकता है. इसके तीन हिस्से किए जाते हैं. पहला हिस्सा गरीबों के लिए होता है. दूसरा हिस्सा दोस्त और रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा अपने घर के लिए होता है.