
-डा. जयंतीलाल भंडारी-
-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-
हाल ही में 27 जून को यूनाइटेड नेशंस माइग्रेशन एजेंसी के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय प्रवासियों के द्वारा वर्ष 2023-24 में भेजा गया रेमिटेंस (प्रवासियों के द्वारा अपने घर भेजा गया धन) दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है। पिछले वर्ष में यह रेमिटेंस 107 अरब डॉलर यानी 8.95 लाख करोड़ रुपए की ऊंचाई पर है। खास बात यह है कि पिछले वर्ष में भारतीयों द्वारा भेजी गई यह रकम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) से लगभग दो गुना है। यह लगातार दूसरा साल है, जब भारतीयों ने 100 अरब डॉलर से ज्यादा की धनराशि भारत भेजी है। पिछले वर्ष 2022-23 में भारतीय प्रवासियों ने 111 अरब डॉलर का रेमिटेंस भारत भेजा था। ज्ञातव्य है कि भारत के बाद मैक्सिको, चीन, फिलीपींस और फ्रांस सबसे ज्यादा रेमिटेंस प्राप्त करने वाले देश हैं। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि पिछले एक दशक में भारत में लगातार अन्य देशों के मुकाबले रेमिटेंस सबसे अधिक रहा है। भारत में वर्ष 2010 में रेमिटेंस के तौर पर 53.48 अरब डॉलर आए थे। वहीं ये वर्ष 2015 में बढक़र 68.19 अरब डॉलर और वर्ष 2020 में 83.15 अरब डॉलर हो गए हैं। प्रवासी भारतीयों की से भारत भेजा गया धन वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर था। प्रवासियों का यह धन जहां प्रवासियों के परिजनों को मुस्कुराहट दे रहा है, वहीं अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभप्रद है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की ऋणात्मक विकास दर की स्थिति में पहुंच गई थी और बड़ी संख्या में उद्योग-कारोबार बंद होने के कारण देश में आर्थिक-सामाजिक परेशानियां बढ़ गई थीं, उस समय आर्थिक मुश्किलों के बीच भारतीय प्रवासियों के द्वारा भेजी गई बड़ी धनराशि से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला था।
गौरतलब है कि दुनिया में प्रवासी भारतीयों की संख्या करीब एक करोड़ 80 लाख है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रवासी भारत के हैं। सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब में रहते हैं। पहले जहां भारत से अकुशल श्रमिक कम आय वाले खाड़ी देशों में जाते थे, वहीं अब विदेश जाने वाले भारतीयों में हाई स्किल्ड लोगों की संख्या ज्यादा है जो अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे उच्च आय वाले देशों में जा रहे हैं। ऐसे में वे अधिक कमाई करके अधिक धन भारत भेज रहे हैं। नि:संदेह प्रवासी भारतीय भारत की राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी शक्ति बढ़ाने में भी अहम सहयोग कर रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के कोने-कोने में भारतवंशी और प्रवासी भारतीयों की राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती ऊंचाइयां भारत के तेज विकास के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गई हंै। सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर, पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनिया कोस्टा, अमेरिका की पहली महिला और पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ और राष्ट्रपति पृथ्वीराजसिंह रूपुन, सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी के साथ-साथ दुनिया के अनेक देशों में कई और भारतवंशी राजनेता अपने-अपने देशों को आगे बढ़ाते हुए विश्व के समक्ष भारत के चमकते हुए चेहरे हैं। इतना ही नहीं, दुनिया के विभिन्न देशों में राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंचने के साथ-साथ भारतवंशी व प्रवासी भारतीय वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संस्थानों आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में भी बहुत आगे हैं। माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला, गूगल के सुंदर पिचाई, नोवार्टिस के वसंत नरसिम्हन, एडोब के शांतनु नारायण, आईबीएम के अरविंद कृष्णा, स्टारबक्स के लक्ष्मण नरसिम्हन, वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स के रेशमा केवलरमानी, माइक्रोन टेक्नोलॉजी के संजय मेहरोत्रा, कैडेंस डिजाइन सिस्टम के अनिरुद्ध देवगन, पालो अल्टो नेटवर्क के निकेश अरोड़ा, वीएमवेयर के रंगराजन रघुराम, इमर्सन इलेक्ट्रिक कंपनी के सुरेंद्रलाल करसनभाई, माइक्रोचिप प्रौद्योगिकी के गणेश मूर्ति आदि अपनी प्रतिभाएं कौशल से कारोबार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया की अगुवाई कर रहे हैं और भारत के विकास के सहभागी भी बन रहे हैं।
इस समय 18वीं लोकसभा के चुनाव के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की एनडीए गठबंधन सरकार बनने के बाद प्रवासियों का कहना है कि एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी की नई सरकार से प्रवासियों को भारत के विकास में सहयोग और सहभागिता करने के मद्देनजर नई ऊर्जा प्राप्त होगी। अमेरिका में कार्यरत भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक फंडराइजर तथा भारत हितैषी प्रवासियों के विभिन्न संगठनों का कहना है कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के आर्थिक और राजनीतिक मंचों पर जिस तरह भारत की सफलताओं का परचम फहराया है, उससे प्रवासियों के द्वारा गर्व अनुभव किया जा रहा है। उनका मानना है कि पिछले 10 वर्षों में भारत की सुरक्षा में सुधार हुआ है। सरकार ने आतंकवादी खतरों या आतंकवादी घटनाओं को नियंत्रित कर दिया है। सरकार की नीतियां भारत को आगे बढ़ा रही हैं। पिछले वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 को अभूतपूर्व सफलता दिलाने में प्रवासी भारतीयों की भी अहम भूमिका रही है। प्रवासियों का यह भी कहना है कि नई गठबंधन सरकार से दुनिया के कोने-कोने से भारतीय प्रवासियों को और अधिक सहयोग प्राप्त होगा। ज्ञातव्य है कि जहां वर्ष 2023 में इजराइल और हमास आतंकियों के बीच चल रहे संघर्ष के बीच इजरायल में फंसे भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी के लिए भारत ने ऑपरेशन अजय चलाया है, साथ ही वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूक्रेन में भारतीय समुदाय सीधे खतरे में आ गया था। तब ऑपरेशन गंगा के तहत बड़ी संख्या में भारतीयों को सुरक्षित भारत वापस लाया गया था।
इस वर्ष जून 2024 में कुवैत में अग्निकांड में 45 प्रवासी भारतीयों की मौत के बाद कुवैत में प्रवासी भारतीयों की सहायता के मद्देनजर नई गठबंधन सरकार ने अहम भूमिका निभाई है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि अभी भारत के द्वारा अपने प्रवासियों के दुख-दर्दों को कम करने में और अधिक सहयोग किया जाना होगा। भारत सरकार की और अधिक सक्रियता जरूरी है। हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में एनडीए गठबंधन की नई सरकार के द्वारा प्रवासियों के साथ स्नेह व सहभागिता के नए अध्याय लिखे जा सकेंगे। हम उम्मीद करें कि दुनिया के कोने-कोने के देशों में प्रवासी भारतीय राजनीतिक और तकनीकी क्षेत्रों में अपना प्रभावी योगदान देते हुए वैश्विक मंच पर भी भारत के हितों की जोरदार हिमायत के साथ भारत के सहयोगी और सहभागी की प्रभावी भूमिका निभाते हुए दिखाई देंगे। हम उम्मीद करें कि प्रवासी भारतीय अपने ज्ञान व कौशल की शक्ति से भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने, वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढऩे में और अधिक सक्रिय सहयोग देते हुए दिखाई देंगे।