
-संजय गोस्वामी-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
सन, 1965 में किसानों के उत्थान के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एक सभा को संबोधित करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। सरकार ने किसानों की आय को दो-गुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत सरकार ने अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए “सात सूत्रीय” रणनीति का आह्वान किया है जो इस प्रकार है- प्रति बूंद अधिक फसल, प्रत्येकक खेत की मिट्टी गुणवत्ता के अनुसार गुणवान बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान, गोदामों और कोल्डचेन में बड़ा निवेश, खाद्य प्रसंस्क रण के माध्यीम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार का क्रियान्वयन ई-प्लेटफार्म, कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत, और डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्खीी–पालन, मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना। इस योजना का उद्देश्य समय-समय पर किसानों को आय सुरक्षा की भावना प्रदान करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु कृषि से सम्बंधित विभिन्न क्षेत्रों के वरिष्ठ बुद्धिजीवियों की एक समिति का गठन किया। इस आठ सदस्यीय समिति का मुख्य उद्देश्य कृषि नीति को ‘उत्पादन केन्द्रित’ के स्थान पर ‘आय केन्द्रित’ बनाना एवं संभावनाशील क्षेत्रों की पहचान करना था। समिति ने वर्ष 2015-16 को आधार मानते हुए वर्ष 2025 तक किसानों की आय को दोगुना तक करने का रोडमैप तैयार किया है। वर्ष 2018, में कृषि उन्नाति मेले का आयोजन, भारतीय कृषि अनुसन्धान केंद्र (आई.ए. आर.आई)., पूसा, नई दिल्ली में किया गया, जिसका मुख्य विषय “2022 तक किसानों की आय दुगुना करना” पर आधारित था। प्रधानमंत्री जी ने अपने इस संकल्प की प्रगति का उल्लेख करते हुए कुछ निम्न बातों पर सबका ध्यान आकर्षित किया- 15करोड़ से अधिक मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड कृषकों में वितरित किए गए हैं, यूरिया के शत-प्रतिशत नीम कोटिंग कर देने के कारण उर्वरक पर व्यय कम हो गया है, और इसके साथ-साथ उत्पादन में भी वृद्धि हुई है, किसान संपदा योजना की मदद से खेत से बाजार में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने और आधुनिक कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में मदद मिल रही है, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि प्रत्येक किसान को आधुनिक बीज, बिजली की पर्याप्त आपूर्ति, और बाजार तक आसानी से पहुंच प्राप्त हो, केंद्र सरकार ने एमएसपी लागत को कम से कम डेढ़ गुना करने का फैसला किया है जो कि सभी अधिसूचित फसलों के लिए लागू होगा, गो-वर्धन योजना के अंतर्गत जैव-अपशिष्ट से खाद, जैव-गैस इत्यादि बनाने के लिए प्रोत्साहन करना, फसल अवशेष को जलने से बचाकर उसे मशीनों के माध्यम से मिट्टी में लौटाना, जिससे खेत पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव से बचा जा सकता है, 22, 000 ग्रामीण हाटों को आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ अपग्रेड किया जाएगा, और एपीएमसी और ई-एनएएम. मंच के साथ एकीकृत किया जाएगा, कृषि विपणन सुधार के लिए जैविक उत्पादों को ई-मार्केटिंग पोर्टल के साथ जोड़ा जा रहा है।