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निर्माणाधीन रॉयल केयर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एक कमरे से नारकोटिक्स विभाग ने छापामारी

लखीमपुर खीरी

शहर लखीमपुर सटे निर्माणाधीन रॉयल केयर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एक कमरे से नारकोटिक्स विभाग ने छापामारी दौरान एक किलो मेफो ड्रग (एम डी) बरामद किया है । जिसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत दस करोड़ रुपये बताई गई हैं, जो पड़ोसी देश नेपाल ले लाई गयी थी मौके पर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है वही अस्पताल मालिक फरार बताया जा रहा है । यह विशेष प्रकार की ड्रग्स हैं,जिसे खास लैब में तैयार किया जाता हैं जिसे देश मुंबई जैसे महानगरों में इनकी विशेष मांग रहती हैं,जहाँ बॉलीवुड से जुड़े लोगों की पार्टियों में इस नशे के लिए परोसा जाता हैं ।
पिछले पांच सालों से यह हॉस्पिटल बनाया जा रहा हैं जो पड़ोसी देश नेपाल को सीधे जोड़ने वाले मार्ग पर स्थिति है निर्माणाधीन हास्पिटल आरोपियों के लिए नशे के कारोबार के लिए मुफीद साबित हो रहा था । सूत्रों की माने लखनऊ आई नारकोटिक्स टीम ने जब निर्माणाधीन हॉस्पिटल में छापेमारी की गई उस समय मुख्य आरोपी डॉ खालिद खान वहाँ मौजूद था,और जांच टीम से उसकी बहस भी हुई लेकिन नारकोटिक्स निरक्षक दर्शन यादव द्वारा देर रात जारी किए गए प्रेस नोट में मुख्य आरोपी को वांछित बताया गया है। स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ नारकोटिक्स विभाग द्वारा की गई छपेमारी पर सवालिया निशान खड़े हो गए है अगर मामले की गहराई से जांच की जाए तो मुख्य आरोपी के मोबाइल लोकेशन से स्पष्ट हो जायेगा कि आखिर मुख्य आरोपी डॉ खालिद खान कैसे फरार हो गया, सवाल यह भी हैं मजदूरी पेशा से जुड़े राकेश विश्वकर्मा और विक्रम सिंह की गिरफ्तारी भी सवालों के घेरे में है । दोपहर दो बजे से हॉस्पिटल में की गई छपेमारी से लेकर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करने तक बारह घण्टे का वक्त लगा इस दौरान लखनऊ से आई नारकोटिक्स टीम और स्थानीय पुलिस मीडिया से दूरी बनाती नजर आई ।
यह मामला प्रशासन और नारकोटिक्स विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। ड्रग्स तस्करी और स्थानीय अधिकारियों के बीच संभावित गठजोड़ की गहराई से जांच की जरूरत है।

लखीमपुर शहर के मेल मैदान रोड पर एक छोटी सी दुकान में लोगों का इलाज करने वाले डॉ खालिद खान ने आखिर कैसे बनाया बनाया करोड़ो रुपयों का लागत मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल सूत्र बताते है कि डॉ खालिद इस ड्रग्स के कारोबार में कई वर्षों कर रहा था। पहले भी चर्चा रहा यह हॉस्पिटल पास से गुजरने वाली उल्ल नदी को पाटकर दीवार बना दी स्थानीय मीडिया में जब यह मामला और अखबारों की सुर्खिया बना तब तहसील प्रशासन ने मुकदमा भी दर्ज कराया गया था ।

आखिर क्यों जांच टीम बचा रही हैं,मेफेड्रान
तस्कर मास्टरमाइंड डॉ खालिद खान को ।

लखीमपुर शहर के रॉयल केयर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में दस करोड़ की मेफोड्रोन बारामदगी मामले में दर्ज किए गए मुकदमे की तहरीर में कर दिया खेल । कोतवाली पुलिस को दी गई तहरीर में नारकोटिक्स निरिक्षक दर्शन यादव ने बताया हैं,कि वह मुखबिर की सूचना पर तीन बजकर तीस मिनट पर दोनों अभियुक्तों को मेफोड्रोन के साथ गिरफ्तार कर लिया था और जामा तलाशी हेतु पुलिस क्षेत्रधिकारी सदर रमेश तिवारी को सूचना दी जाती हैं,चार बजकर पन्द्रह मिनट पहुँचते हैं । जिसके बाद नारकोटिक्स टीम की सहयोगी स्थानीय पुलिस अभियुक्तों को लेकर लगभग नौ बजे कोतवाली पहुँचती हैं जहाँ दो घण्टे बरामदगी फर्द लिखे जाने के बाद मुकदमा दर्ज किया जाता हैं। आखिर सवाल यह हैं कि पांच घण्टे अभियुक्तों को लेकर नोरकोटिक्स टीम और स्थानीय पुलिस कहा घूमती रही । क्या पूरे मामले में मास्टरमाइंड डॉ खालिद खान को बचाने की योजना पर काम कर रही थी ? गिरफ्तार किए गए राकेश विश्वकर्मा और विक्रम सिंह से नारकोटिक्स टीम की पूछताछ में बरामद मेफेड्रान (एम डी) के कोई स्पष्ट जवाब नही दिया गया, जबकि कोतवाली में मीडिया को दिए गए बयान में अभियुक्तों ने डॉ खालिद खान के यहाँ काफी समय से काम करने की बात कही गई थी और मेफेड्रान मेरे द्वारा नही लाया गया हैं । मान लिया जाय मेफेड्रान की तस्करी में डॉ खालिद खान नहीं शामिल था तो सवाल यह भी हैं मौके से फरार क्यो हुआ । नारकोटिक्स निरिक्षक द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ में मेफोड्रोन के स्रोत और इसकी तस्करी को लेकर स्पष्ट जवाब नहीं हैं,इस पूरी कार्यवाही सवलो के घेरे में है। छोटी सी दुकान में लोगों का इलाज करने वाले डॉ खालिद ने आखिर कैसे करोड़ो की अकूत सम्पति अर्जित करने का सफर आखिर कैसे तय किया, यह लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है । सूत्र बताते है बैगर स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत कराए हॉस्पिटल हो रहा था मरीजो का इलाज किया जा रहा था, कुछ समय पूर्व इसी हॉस्पिटल में एक प्रसूता के इलाज के दौरान मौत के बाद परिजनों ने बवाल भी किया ,जिस मामले डॉ खालिद खान अपने पैसे के रसूख से दबाने में कामयाब रहा था । आमजन इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या इस हाई-प्रोफाइल मामले में निष्पक्ष जांच होगी, या यह मामला भी पैसे और रसूख की भेंट चढ़ जाएगा।

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