EducationPolitics

मनोरंजन की आड़ में देवी-देवताओं का अपमान क्यों

-डॉ. रामकिशोर उपाध्याय-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में तीन स्थानों पर कथित वेब सीरीज तांडव के निर्माता, निर्देशक और भारत में अमेजन प्राइम के कंटेंट हेड के विरुद्ध एफआईआर लिखाई गई है। कहा जा रहा है कि इस वेब सीरीज में हिन्दू देवी-देवताओं को अमर्यादित एवं अपमानजनक ढंग से दिखाया गया है। देशभर में इस वेब सीरीज को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। निर्देशक अब्बास अली जफर और अभिनेता सैफ अली खान आदि को गिरफ्तार करने की माँग की जा रही है।
एक समय था जब अंडरवर्ल्ड की सहायता से बॉलीवुड में सक्रिय कट्टरपंथी और वामपंथी एक्टर, डायरेक्टर हिन्दू धर्म, संस्कृति व परम्पराओं का तिरस्कृत एवं अपमानपूर्ण वर्णन करते थे। उद्देश्य था भारतीय जनमानस को अपने मूल धर्म-संस्कृति से दूर ले जाना। तुष्टिकरण की पालक सरकारों ने साहित्य, सिनेमा, इतिहास, संगीत,और शिक्षा के सुधार का दायित्व भी इन्हीं वामपथियों को सौंप दिया। भारत में हिन्दू संस्कृति एवं धर्म का अपमान करना प्रगतिशीलता कहा जाने लगा।
कुरीतियाँ सभी धर्मों में प्रवेश कर चुकीं हैं किन्तु एक की कुरीति पवित्र और दूसरे की अपवित्र कैसे हो सकती है? यदि कार्टून बना देने से धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं तो हिन्दू देवी-देवताओं के अमर्यादित दृश्य दिखाने की लालसा आपके मन में क्यों है? क्या भारतीय समाज की मर्यादाओं को तोड़ना ही मनोरंजन है? विडंबना यह है कि हिन्दी फिल्म के अधिकांश संवाद उर्दू में होते हैं इसीलिये हम समझ नहीं पाते कि हमें गालियां दी जा रही है या प्रशंसा की जा रही है। सिनेमा को मनोरंजन की आड़ में निजी एजेंडा चलाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
सिनेमा का उद्देश्य स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ समाज को प्रेरणा देना भी है। कलाकारों को जाति, मजहब, दल और किसी विचारधारा विशेष से ऊपर उठकर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना से कला प्रदर्शन करना चाहिए। कला की साधना ईश्वर की ही आराधना है यदि उसका दुरुपयोग ईश्वर के अपमान के लिए होने लगे तो फिर उसपर संवैधानिक कार्रवाई तो होनी ही चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker