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‘जिंदगी की ना टूटे लड़ी’ फेम लिरिस्ट संतोष आनंद तंगी से गुजर रहे हैं, नेहा कक्कड़ ने बढ़ाया मदद का हाथ

मुंबई, 19 फरवरी (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। ‘जिंदगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी’ जैसे कई और शानदार संगीत बॉलिवुड को देने वाले फेमस गीतकार संतोष आनंद आज आर्थिक तंगी के हालात से गुजर रहे हैं। अब संतोष शरीर से भी लाचार हैं और न तो उनके पास कोई काम ही रहा है। नेहा कक्कड़ ने उनके लिए 5 लाख रुपए की मदद राशि की घोषणा की है।

इस वीकेंड ‘इंडियन आइडल’ के मंच पर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की हिट संगीतमय जोड़ी से प्यारेलाल जी मौजूद रहेंगे। इंडियन आइडल की टीम ने प्रसिद्ध गीतकार संतोष आनंद को भी आमंत्रित किया, जिन्होंने गुजरे समय में प्यारेलाल जी के साथ काम किया है।’इंडियन आइडल 2020’ की जज नेहा कक्कड़ अपने इस शो के मंच पर उनके लिए यह घोषणा करती दिखेंगी। इस एपिसोड में आनंद बताते नजर आ रहे हैं कि वह किस कठिनाइयों के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने बताया है कि उनपर काफी कर्ज भी हैं। उनकी कहानी से दुखी नेहा कक्कड़ ने उनके लिए 5 लाख देने की घोषणा तो की ही साथ ही उन्होंने इंडस्ट्री के लोगों से भी मदद की अपील की है। नेहा ने उन्हें सम्मान देते हुए उनके लिए ‘एक प्यार का नगमा’ गीत भी गाया।

अपने समय में संतोष उन नामों में से एक थे, जिनके संगीत का जादू फिल्मों पर खूब जमकर चला करता था। संतोष आनंद ने ‘जिंदगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी’ के अलावा ‘मोहब्बत है क्या चीज’, ‘इक प्यार का नगमा है’ और ‘मेघा रे मेघा रे मत जा तू परदेश’ जैसे कई शानदार गाने बॉलिवुड को दिए।

आज वह जिंदगी की उन कठिनाइयों के दौर से गुजर रहे हैं, जिसकी शायद उन्होंने कभी उम्मीद भी न की हो। बेटे संकल्प ने साल 2014 में ही आत्महत्या कर अपनी जान गंवा दी। कहा जाता है कि वह मानसिक रूप से परेशान थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संकल्प गृह मंत्रालय में आईएएस अधिकारियों को सोशियॉलजी और क्रिमिनॉलजी पढ़ाया करते थे और जान देने से पहले उन्होंने 10 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा था।

बुलंदशहर के सिकंदराबाद में जन्मे संतोष ने अपने करियर की शुरुआत 1970 में फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ से की थी। इसके बाद 1972 में फिल्म ‘शोर’ में उन्होंने अपना फेवरेट गाना ‘एक प्यार का नगमा है’ दिया, जिसे लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने कम्पोज किया था। इसे मुकेश और लता मंगेशकर ने गाया था। गाना इतना हिट हुआ कि दुनिया ने इसे जमकर गुनगुनाया।

इसके बाद संतोष आनंद को फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ (1974) के गाने ‘मैं ना भूलूंगा’ और साल 1983 में फिल्म ‘प्रेम रोग’ के गाने ‘मोहब्बत है क्या चीज’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड्स भी मिले थे।

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