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मेड इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन के लिए 25,000 करोड़ रुपये की निविदाओं में किया गया जरूरी बदलाव

नई दिल्ली, 04 अगस्त (सक्षम भारत)। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के हस्तक्षेप के बाद सरकार की ओर से जारी 25,000 करोड़ रुपये की निविदाओं को रद्द या संशोधित कर उन्हें नए सिरे से जारी किया गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि मेड इन इंडिया सामानों को प्रोत्साहन देने के लिए यह कदम उठाया गया है। अधिकारी ने कहा कि विभाग मेड इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन के लिए सार्वजनिक खरीद आदेश, 2017 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी कदम उठा रहा है। सरकार ने देश में वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माण और उत्पादन को प्रोत्साहन के लिए 15 जून, 2017 को यह आदेश जारी किया था। यह कदम देश में आमदनी तथा रोजगार बढ़ाने के लिए उठाया गया। अधिकारी ने कहा कि डीपीआईआईटी के दखल के बाद 8,000 करोड़ रुपये की एक निविदा को वापस लिया गया और इसकी शर्तों में बदलाव के बाद इसे पुनः जारी किया गया। यह परियोजना गैसीफिकेशन के लिए यूरिया और अमोनिया संयंत्र की स्थापना से संबंधित है। इसी तरह ट्रेन सेट के कोचों की खरीद की निविदा को भी रद्द किया गया है। इस निविदा में कुछ शर्तें घरेलू विनिर्माताओं के प्रति भेदभावपूर्ण थीं और विदेशी कंपनियों के अनुकूल थीं। इस परियोजना की लागत 5,000 करोड़ रुपये है। इसी तरह 8,135 करोड़ रुपये की तीन गुना 800 मेगावॉट की परियोजना के पात्रता मानदंड में बदलाव के लिए निविदा को संशोधित किया गया। 3,000 करोड़ रुपये की मुंबई मेट्रो परियोजना की निविदा को भी संशोधित किया गया। यह कदम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि कई हलकों से घरेलू विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं पर प्रतिबंधात्मक और भेदभावपूर्ण प्रावधानों को लेकर चिंता जताई जाती रही है। इस बारे में विभाग ने पूर्व में सभी संबंधित विभागों… इस्पात, रेलवे, रक्षा, तेल एवं गैस, फार्मास्युटिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, भारी उद्योग, कपड़ा पोत परिहवहन और बिजली के साथ बैठक की थी। अधिकारी ने कहा कि इस आदेश के अक्षरशः अनुपालन के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। सभी नोडल मंत्रालयों से स्थानीय सामग्री के बारे में अधिसूचित करने को कहा गया है।

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