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दूसरी लहर से धीमी हुई आर्थिकी

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

इन दिनों कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह रेखांकित हो रहा है कि भारत के विभिन्न राज्यों में आर्थिक, औद्योगिक और रोजगार चुनौतियां बढ़ी हैं, लेकिन देशव्यापी कठोर लॉकडाउन की जगह प्रादेशिक स्तर पर उपयुक्त लॉकडाउन और पाबंदियों से कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण की रणनीति से भारतीय अर्थव्यवस्था धराशायी नहीं हुई है, इसमें धीमापन आया है। अब अर्थव्यवस्था को गिरावट से बचाने के लिए रणनीतिक कदम जरूरी हैं। हाल ही में 7 मई को वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बढ़ते संक्रमण के कारण लॉकडाउन और पाबंदियां लगाने से यद्यपि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आने का खतरा है, लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका असर पिछले वर्ष 2020 की पहली लहर के मुकाबले कम रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना की दूसरी लहर भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी की राह में बड़ी बाधा बन गई है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर सभी अध्ययन रिपोर्टों और सर्वेक्षणों में यह माना गया है कि कोरोना की दूसरी लहर से उनके द्वारा भारत की विकास दर के पूर्व निर्धारित अनुमानों में कुछ गिरावट जरूर आएगी, लेकिन कोई बड़ी गिरावट नहीं आएगी।

अमरीकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान को 11.7 प्रतिशत से घटाकर 11.1 प्रतिशत कर दिया है। जापान की कंपनी नोमुरा ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि अनुमानों को 13.5 फीसदी से घटाकर 12.6 फीसदी कर दिया है। इसी तरह जेपी मॉर्गन ने भी चालू वित्त वर्ष में भारत के लिए विकास दर के अपने पूर्व निर्धारित अनुमान को 13 फीसदी से कम करके 11 फीसदी कर दिया है। निःसंदेह कोरोना की दूसरी लहर के कारण रोजगार और नौकरियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2021 की तुलना में अप्रैल 2021 महीने में देश ने 75 लाख नौकरियां गंवाई हैं। इसके कारण बेरोजगारी दर बढ़ी है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी बढ़ने के साथ कई राज्यों ने लॉकडाउन समेत अन्य पाबंदियां लगाई हैं। इससे आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है और फलस्वरूप नौकरियां प्रभावित हुई हैं। इससे अप्रैल 2021 में बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9.78 प्रतिशत है जबकि ग्रामीण स्तर पर बेरोजगारी दर 7.13 प्रतिशत है। इससे पहले मार्च 2021 में बेरोजगारी दर 6.50 प्रतिशत थी और अप्रैल 2021 की तुलना में ग्रामीण तथा शहरी दोनों जगह यह दर अपेक्षाकृत कम थी। इस रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि कोरोना के दूसरे घातक संक्रमण के बीच फिलहाल रोजगार परिदृश्य पर स्थिति उतनी बदतर नहीं है जितनी कि 2020 में पहले देशव्यापी लॉकडाउन में देखी गई थी। उस समय बेरोजगारी दर 24 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। चूंकि देश में पिछले वर्ष 2020 की तरह पूरी तरह से देशव्यापी कठोर लॉकडाउन नहीं लगाया गया है, अतएव विनिर्माण सेक्टर की आपूर्ति पर कोई अधिक बुरा असर नहीं पड़ा है। यही कारण है कि भारत के वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले साल 2020 के अप्रैल माह की अवधि की तुलना में अप्रैल 2021 में करीब 3 गुना बढ़कर 30.21 अरब डॉलर हो गया। पिछले साल अप्रैल में लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठहर जाने और इसकी वजह से कम आधार होने के कारण निर्यात में बड़ी कमी आई थी। अब निर्यात बढ़ने का कारण यह भी है कि पश्चिमी देशों सहित कुछ विकासशील देश कोविड के बुरे दौर से निकल चुके हैं। ऐसे में विदेशों से मांग बढ़ रही है।

भारत इस समय आपूर्ति में सक्षम है और निर्यात आदेशों की उपयुक्त पूर्ति कर रहा है। निःसंदेह सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक महामारी की दूसरी लहर के बीच अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की मदद के लिए उपयुक्त रूप से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले माह 23 अप्रैल को केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के लिए एक बार फिर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार राशनकार्ड धारकों को मई और जून महीने में प्रति व्यक्ति 5 किलो अतिरिक्त अन्न चावल या गेहूं मुफ्त में देगी। इससे 80 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर 26000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि 5 मई को आरबीआई ने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारों के लिए कर्ज पुनर्गठन की जो सुविधा बढ़ाई है और कर्ज का विस्तार किया है, उससे छोटे उद्योग-कारोबार को लाभ होगा। इन नई सुविधा के तहत 25 करोड़ रुपए तक के बकाए वाले वे कर्जदार अपना ऋण दो साल के लिए पुनर्गठित करा सकते हैं, जिन्होंने पहले मॉरेटोरियम या पुनर्गठन का लाभ नहीं लिया है। यह नई घोषित सुविधा 30 सितंबर 2021 तक उपलब्ध होगी। स्वास्थ्य क्षेत्र की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई ने 50000 करोड़ रुपए की नकदी की व्यवस्था की है। इस योजना के तहत बैंक टीकों और चिकित्सकीय उपकरणों के विनिर्माण, आयात या आपूर्ति से जुड़े कारोबारियों को ऋण दे सकेंगे। इसके अलावा बैंक अस्पतालों, डिस्पेंसर और पैथॉलजी लैब्स को भी ऋण दे सकेंगे। लेकिन अभी कोरोना लहर के घातक रूप को देखते हुए कुछ और प्रभावी कदम उठाए जाने जरूरी हैं। एमएसएमई को संभालने के लिए राहत के अधिक प्रयासों की जरूरत होगी। जीएसटी से हो रही मुश्किलें कम की जानी होंगी।

एमएसएमई के लिए एक बार फिर से लोन मोरेटोरियम योजना लागू की जानी लाभप्रद होगी। आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को आगे बढ़ाने या उसे नए रूप में लाने जैसे कदम राहतकारी होंगे। आरबीआई के द्वारा एमएसएमई के कर्ज को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की श्रेणी में डालने के नियम आसान बनाए जाने होंगे। एमएसएमई क्षेत्र में कर्ज को एनपीए मानने के लिए मौजूदा 90 दिन की अवधि को बढ़ाकर 180 दिन किया जाना लाभप्रद होगा। चूंकि इस समय कई औद्योगिक राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गांवों की ओर लौटे हैं, ऐसे में मनरेगा को एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों के लिए जीवन रक्षक और प्रभावी बनाना होगा। हाल ही में प्रकाशित एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पिछले माह अप्रैल 2021 में मनेरगा के तहत गांवों में काम की मांग अप्रैल 2020 के मुकाबले लगभग दोगुनी हो गई है। जहां अप्रैल 2020 में मनेरगा के तहत करीब 1.34 करोड़ परिवारों को रोजगार दिया गया था, वहीं अब अप्रैल 2021 में करीब 2.73 करोड़ परिवारों को रोजगार दिया गया है। ऐसे में मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने हेतु चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में मनरेगा के मद पर रखे गए 73000 करोड़ रुपए के आबंटन को बढ़ाया जाना जरूरी होगा। हम उम्मीद करें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर से जंग में सुनियोजित लॉकडाउन तथा स्वास्थ्य व सुरक्षा मानकों को और कड़ा किए जाने की रणनीति से देश जहां पीड़ादायक मानवीय चुनौती को नियंत्रित कर सकेगा, वहीं आर्थिकी और रोजगार अवसरों की बड़ी गिरावट को रोकने में सक्षम होगा।

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