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नई टेक्नोलॉजी से रोजगार चुनौतियां

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

इन दिनों वैश्विक स्तर पर रोजगार से संबंधित प्रकाशित हो रही रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि कोविड-19 की वजह से परंपरागत रोजगारों में लगातार कमी आएगी और नई डिजिटल टेक्नोलॉजी के तहत रोजगार अवसर लगातार बढ़ेंगे। हाल ही में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के द्वारा वैश्विक रोजगार के बदलते हुए परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य में प्रकाशित की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में ऑटोमेशन बहुत तेजी से बढ़ा है और कोरोना ने इसकी गति और बढ़ा दी है जिससे 2025 तक भारत, अमरीका, चीन जैसे 26 देशों में आठ करोड़ से ज्यादा नौकरियां जा सकती हैं, लेकिन इसी ऑटोमेशन के चलते 2025 तक करीब 10 करोड़ डिजिटल नौकरियों के नए अवसर बनेंगे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एआई और कोरोना ने काम करने का तरीका बदल दिया है। यानी, अब नौकरी के लिए खुद को री-स्किल्ड करना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक कई ऐसे सेक्टर सामने आने वाले हैं जिनके लिए अलग-अलग स्किल्स वाले लोगों की जरूरत होगी। कंपनियां डिजिटल पर ज्यादा जोर देंगी। ऑफिस से काम करने का चलन कम होगा। इन नई जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल लिए जाने पर छंटनी की संभावना को कम किया जा सकेगा और साथ ही नए अवसर भी बनेंगे। इसी तरह पिछले दिनों वैश्विक रोजगार पर मैकेंजी के द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक दुनियाभर में डिजिटल दौर के कारण करीब 10 करोड़ लोगों को अपने रोजगार को बदलना पड़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक चीन, फ्रांस, भारत, जर्मनी, स्पेन, यूके और यूएस में हर 16 में से एक कर्मचारी को इस बदलाव से गुजरना पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एआई और उच्च डिजिटल कौशल आधारित रोजगारों की मांग बढ़ेगी और परंपरागत रोजगारों की उपलब्धता में कमी आएगी। जहां वर्ल्ड इकनोमिक फोरम और मैकेंजी की रिपोर्टों में रोजगार की चुनौतियां बताई जा रही हैं, वहीं दुनिया के ख्याति प्राप्त मानव संसाधन परामर्श संगठन कॉर्न फेरी और विश्व बैंक की रिपोर्टों में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं भी बताई जा रही हैं। कॉर्न फेरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जहां दुनिया में 2030 तक कुशल कामगारों का संकट होगा, वहीं भारत के पास 24.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल कामगार होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां 2030 तक दुनिया के 19 विकसित और विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल श्रमशक्ति की कमी होगी, वहीं दुनिया में भारत इकलौता देश होगा जिसके पास 2030 तक जरूरत से ज्यादा कुशल कामगार होंगे। भारत ऐसे में विश्व के तमाम देशों में कुशल कामगारों को भेजकर फायदा उठा सकेगा। निःसंदेह कोविड-19 के बीच अब देश और दुनिया में परंपरागत रोजगारों के समक्ष चुनौतियां बढ़ गई हैं और डिजिटल रोजगार छलांगे लगाकर बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है। डिजिटल रोजगारों में जिस तरह ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), ऑटोमेशन और रोबोटिक्स जैसे डिजिटल कौशल जरूरी हैं, उनमें भारत के समक्ष चुनौतियों के बीच संभावनाएं भी हैं। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी भी देश के साथ-साथ दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को संभालने में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी प्रभावी भूमिका निभा रही है। वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) करने की प्रवृत्ति को व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला है। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है।

क्लाउड कंप्यूटिंग, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती उपयोगिता के कारण उच्च कौशल प्रशिक्षित भारत की नई पीढ़ी के लिए देश और दुनिया में चमकीले मौके बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। अब नए डिजिटल दौर में भारत के पेशेवरों की भूमिका और महत्त्वपूर्ण होगी। दुनिया के कई देशों के द्वारा उनके उद्योग-कारोबार में भारतीय पेशेवरों को सहभागी बनाया जाना आर्थिक रूप से लाभप्रद माना जाएगा। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की रोजगार रणनीति के कारण भारत के आईटी सेक्टर के तेजी से बढ़ने की संभावनाएं बढ़ी हैं। न केवल अमरीका में, वरन जापान, ब्रिटेन और जर्मनी सहित दुनिया के विभिन्न देशों में औद्योगिक और कारोबार आवश्यकताओं में एआई और नवाचार का इस्तेमाल तेज होने की वजह से भारत के आईटी, हेल्थकेयर, नर्सिंग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रोसेसिंग, जहाज निर्माण, विमानन, कृषि, अनुसंधान, विकास, सेवा व वित्त आदि क्षेत्रों के कुशल पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। निःसंदेह ऐसे में रोजगार की बदलती हुई डिजिटल दुनिया में भारत पूरी तरह से लाभ की स्थिति में आ सकता है। लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं एआई व अन्य नई डिजिटल तकनीकों के जरिए रोजगार जरूरतों को पूरा कर पाएंगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष अक्तूबर 2020 में एआई की संभावनाओं को लेकर आयोजित वर्चुअल शिखर सम्मेलन रेज-2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम भारत को एआई का ग्लोबल हब बनाना चाहते हैं। हम देश में सिर्फ ऐसी मशीनों, तकनीकों, सेवाओं और उत्पादों का प्रयोग करने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि हम उनका निर्माण और विकास दुनिया के लिए करेंगे। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत में एआई को नई शिक्षा प्रणाली के साथ इस तरह जोड़ा गया है कि बहुत बड़ी संख्या में इसमें कुशल पेशेवरों को तैयार किया जा सके।

निश्चित रूप से वर्ल्ड इकनोमिक फोरम और मैकेंजी के द्वारा प्रस्तुत बदलते हुए वैश्विक रोजगार से संबंधित नई रिपोर्टों के मद्देनजर देश और दुनिया में परंपरागत नौकरियों में तेजी से कमी आने और डिजिटल रोजगार के मौकों के तेजी से बढ़ने के मद्देनजर देश की नई पीढ़ी को रोजगार की नई दुनिया के लिए तैयार करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातों पर ध्यान दिया जाना होगा। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नई पीढ़ी को अत्याधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप नई डिजिटल रोजगार जरूरतों के अनुरूप सजाना-संवारना होगा। अब देश के डिजिटल सेक्टर को यह रणनीति बनाना होगी कि किस तरह के काम दूर स्थानों से किए जा सकते हैं और कौनसे काम कार्यालय में आकर किए जा सकते हैं। अब देश के डिजिटल रोजगार अवसरों को महानगरों की सीमाओं के बाहर छोटे शहरों और कस्बों में गहराई तक ले जाने की जरूरत को ध्यान में रखा जाना होगा। हम उम्मीद करें कि सरकार देश की नई पीढ़ी को एआई, क्लाउड कम्प्यूटिंग, मशीन लर्निंग एवं अन्य नए डिजिटल स्किल्स के साथ अच्छी अंग्रेजी, कम्प्यूटर दक्षता तथा कम्युनिकेशन स्किल्स की योग्यताओं से सुसज्जित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। इससे नई पीढ़ी परंपरागत रोजगार छिने जाने की चुनौतियों के बीच नए डिजिटल मौकों को मुठ्ठियों में कर सकेगी। इससे बेरोजगार नई पीढ़ी के चेहरे पर मुस्कराहट आएगी तथा देश विकास की डगर पर आगे बढ़ सकेगा।

 

 

 

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