EducationPolitics

स्वर्णिम सफलता

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

ओलंपिक में जिस चीज के लिए भारत पहले दिन से दुआ कर रहा था, वह पूरी हो गई। भारत के खाते में गोल्ड मेडल आ ही गया। भारत का ओलिंपिक में एथलेटिक्स का गोल्ड जीतने का 121 साल का इंतजार भी खत्म हो गया है। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने देश को इस खेल में गोल्ड मेडल दिलाया। उन्होंने शनिवार को हुए फाइनल मुकाबले में 87.58 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ जेवलिन थ्रो इवेंट में पहला स्थान हासिल किया। भारत ने साल 1900 में दूसरे ओलंपिक गेम्स में पहली बार हिस्सा लिया था। तब से आज तक कोई भारतीय एथलेटिक्स के किसी भी इवेंट में मेडल नहीं जीत पाया था। 1900 ओलंपिक में ब्रिटिश इंडिया की ओर से खेलते हुए स्प्रिंटर नॉर्मन प्रिटचार्ड ने दो सिल्वर मेडल जीते थे। लेकिन, प्रिटचार्ड अंग्रेज थे भारतीय नहीं। नीरज ने पहले अटैम्प्ट में 87.03 मीटर और दूसरे अटैम्प्ट में 87.58 मीटर दूर भाला फेंका था। तीसरे अटैम्प्ट में 76.79 मीटर दूर भाला फेंका था। चैथे और पांचवें अटैम्प्ट में उन्होंने फाउल थ्रो किया। छठवें अटैम्प्ट में उन्होंने 84.24 मीटर दूर भाला फेंका।

एथलेटिक्स ओलंपिक गेम्स का मुख्य आकर्षण होते हैं, लेकिन नीरज से पहले कोई भारतीय इन इवेंट्स में मेडल नहीं जीत पाया था। अब तक जो भी मेडल इस प्रतियोगिता में मिला था, उस पर ब्रिटिश की छाप लगी थी और हर बार जिक्र आते समय यह भारत को चिढ़ा रही थी, मगर अब नीरज ने अपने शानदार प्रदर्शन से न सिर्फ भारत का नाम ऊंचा किया, बल्कि ब्रिटिश का जो ठप्पा लगा था, उसे भी मिटा दिया। अब ओलंपिक के एथलीट में अगर गोल्ड मेडल का जिक्र होगा, तो वह भारत का होगा। हम किसी के अहसानमंद नहीं रहेंगे। भारत के जेवलिन थ्रोअर और सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने अंग्रेजी हुकूमत के अध्याय को समाप्त कर दिया है। अब देश के लोग गौरव के साथ ओलिंपिक एथलेटिक्स में इस गोल्ड मेडलिस्ट का नाम लेंगे। नीरज सेना के 4 राजपूताना राइफल्स रेजीमेंट में सूबेदार हैं। शनिवार को जब नीरज ने देश के गले में सोने का मेडल डाला तो उनके रेजीमेंट के साथियों ने भी खूब जश्न मनाया। नीरज चोपड़ा को 2016 में नायब सूबेदार के पद पर जूनियर कमीशंड ऑफिसर के रूप में चुना गया था। इंडियन आर्मी किसी खिलाड़ी को जवान या नॉन कमीशंड ऑफिसर के पद पर भर्ती करती है, लेकिन नीरज की काबिलियत को देखते हुए उन्हें सीधे नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया गया था।
देश का मस्तक ऊंचा रखने में सेना का हमेशा से अभूतपूर्व योगदान रहा है। देश की सुरक्षा हो, प्राकृतिक आपदा हो या खेल, सेना ने हर जगह अपना परचम लहराया व देश को गौरवान्वित किया है। नीरज चोपड़ा से पहले 2004 एथेंस ओलिंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने शूटिंग में सिल्वर जीता था। 2012 लंदन ओलिंपिक में भी शूटर विजय कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इससे पहले टीम इवेंट में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने भी देश के लिए तीन बार मेडल जीता था। वे भी सेना से ही थे। इसके अलावा फ्लाइंग जट मिल्खा सिंह भी सेना से ही थे, लेकिन ऑलिंपिक में वे मेडल जीतने में कामयाब नहीं हो सके थे। नीरज की उपलब्धि देश के युवाओं के लिए रोल मॉडल बन कर सामने आएगी और खेल के प्रति नई प्रतिभाओं का उदय होगा। भारत को अब प्रतिभाओं को तराशने में कमी नहीं करनी चाहिए। ओलंपिक गेम्स में भारत को 13 साल बाद किसी इवेंट में गोल्ड मेडल मिला है। इससे पहले, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड जीता था। बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल इवेंट का गोल्ड अपने नाम किया था। यह ओलंपिक गेम्स में भारत का अब तक का 10वां गोल्ड मेडल है। भारत ने इससे पहले हॉकी में 8 और शूटिंग में 1 गोल्ड मेडल जीता है। इस तरह भारत का यह अभिनव बिंद्रा के बाद दूसरा इंडिविजुअल गोल्ड मेडल भी है। जेवलिन थ्रो के साथ ही भारत का टोक्यो ओलंपिक में अभियान समाप्त हो गया। नीरज ने इस सफर का स्वर्णिम अंत किया। भारत के लिए यह सबसे सफल ओलिंपिक बन गया है। भारत ने इसमें 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज समेत कुल 7 मेडल जीते हैं। 2012 के लंदन ओलिंपिक में भारत ने 6 मेडल जीते थे। इस बार नीरज चोपड़ा के गोल्ड के अलावा मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर, पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज और लवलिना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। इधर, रेसलिंग में रवि दहिया ने सिल्वर मेडल और बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। टीम इवेंट्स की बात करें, तो भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker