EducationPolitics

तो इनके पास हैं ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ‘ और ‘राष्ट्रवाद ‘ के सर्वाधिकार सुरक्षित ?

-तनवीर जाफरी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद जैसे शब्दों का उल्लेख और इन विषयों पर जितना भाषण विगत सात वर्षों में दिया गया और जितनी चिंता जताई गयी शायद पिछले 60 वर्षों में भी यह विषय इतना चर्चित नहीं रहा। अनेकता में एकता के लिये पूरी दुनिया में सम्मान की नजरों से देखा जाने वाला गाँधी का भारत गत कुछ वर्षों से ही अचानक राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवादको लेकर इतना ‘गंभीर’ कैसे हो गया ? कौन हैं यह लोग जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की चिंता उस कांग्रेस पार्टी से भी अधिक हो गयी जिसने स्वतंत्रता संग्राम में लाखों सेनानियों की कुर्बानी देकर पराधीन भारत को स्वाधीन कराया ? इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल ही इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवादके लिये खतरा नजर आने लगे ? देश के सर्व प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा अलीगढ़ विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान जहां से शिक्षा ग्रहण करने वाले लाखों छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब भी निभा रहे हैं ऐसे कई शिक्षण संस्थान इन ‘स्वयंभू ‘ लोगों को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा’ और ‘राष्ट्र विरोधी’ नजर आने लगे ? सत्ता के विरुद्ध आवाज बुलंद करने वालों को कभी टुकड़े टुकड़े गैंग बताकर,कभी पाक समर्थक कहकर तो कभी देश विरोधी बताकर अपनी नाकामियों को छुपाने का जो नया राजनैतिक चलन शुरू हुआ है,अपने आप में कहीं यही परिपाटी तो राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्टवाद के लिये खतरा नहीं ?क्या बहुमत की सरकार की अब यह नई परिभाषा है कि सत्ता जिसे चाहे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा बता दे और जिसे चाहे राष्ट्रद्रोही या राष्टविरोधी बता दे ? सत्ता हासिल करने का अर्थ क्या राष्ट्रवाद का प्रमाण पत्र वितरित करना हो गया है ?

आइये इन स्वयंभू राष्ट्रवादियों,राष्ट्रीय सुरक्षा के स्वयंभू जिम्मेदारों और सुबह से शाम तक राष्ट्रवाद की झूठी व मनगढ़ंत दुहाई देने वालों का संक्षिप्त परिचय तो जान ही लें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिंदुत्ववादी सोच से प्रेरित भारतीय जनता पार्टी के शासन का सबसे बड़ा मील का पत्थर कही जा सकने वाली परियोजना थी गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के केवड़िया नामक स्थान पर बनाई गई सरदार बल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा। 182 मीटर अथवा 597 फुट ऊँची यह विशालकाय प्रतिमा विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है। सवाल यह है कि क्या संघ व भाजपा के पास उनका अपना कोई आदर्श नेता नहीं था जिसकी वे प्रतिमा बनाते ?सरदार पटेल तो आजीवन कांग्रेस पार्टी में रहे और पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उप प्रधानमंत्री व गृह मंत्री रहे। यह वही सरदार पटेल थे जिन्होंने महात्मा गाँधी की हत्या के बाद आर एस एस को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिये सबसे बड़ा खतरा समझते हुए इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया था। सरदार पटेल उसी कांग्रेस पार्टी में थे जिससे भारत को ‘मुक्त ‘ कराने के लिये संघ संरक्षित सत्ता अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है ? परन्तु आज सत्ता को उसी कांग्रेस में शीर्ष नेताओं से लेकर पूरी पार्टी राष्ट्रविरोधी व पाकिस्तान परस्त नजर आती है ? कांग्रेस में केवल वही ‘राष्ट्रभक्त’ है जो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शरण ले ले ?

महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे तथा गाँधी की हत्या में संदिग्ध आरोपी रहे सावरकर को अपना आदर्श मानने वाले लोग ही आज राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्रवाद के लिये चिंतित दिखाई दें इससे अधिक हास्यास्पद और क्या हो सकता है। पठानकोट में हुए पाक प्रायोजित हमले के बाद जब पाकिस्तान की जांच टीम अपने कुछ आई एस आई सदस्यों के साथ पठानकोट एयर बेस का दौरा करती है और विपक्ष इस दौरे को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा बताता है, विपक्ष का वह तर्क सरकार की समझ नहीं आता। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर उनके निजी परिवारिक समारोह में शरीक होने पहुँच जाते हैं। मोदी व नवाज शरीफ की ओर से एक दूसरे को शॉल व तोहफों का आदान प्रदान होता है। क्या यह सब अंतर्राष्ट्रीय शिष्टाचार,राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा की श्रेणी में आता है। और यदि कोई कांग्रेस नेता अथवा कम्युनिस्ट भारत पाक रिश्तों की बहाली की बात करे तो वह राष्ट्र विरोधी व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा ?

इन दिनों इस्राइली स्पाई वेयर पेगासस के कथित रूप से अवैध व अनैतिक इस्तेमाल को लेकर उच्चतम न्यायलय द्वारा दिये गये एक फैसले के बाद एक बार फिर सत्ता का स्वयं को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की आड़ में अपना मुंह छुपाने का ,मामला चर्चा में है। सत्ता द्वारा गुप्त रूप से देश के सैकड़ों अति विशिष्ट लोगों की उच्चस्तरीय जासूसी कराने का आरोप है। परन्तु सरकार अपने इस कृत्य पर भी यही कह कर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है कि यह ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ‘ से जुड़ा मामला है। परन्तु अदालत ने सत्ता की बहाना रुपी इस खोखली दलील को खारिज कर दिया है। भारत-चीन सीमा पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक हो रही चीनी घुसपैठ से देश की सीमाओं को जो खतरा है उस विषय पर गंभीर होने के बजाये संसद में प्रधानमंत्री फरमाते हैं कि हमारी सीमाओं के भीतर न कोई घुसा था न घुसा हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर देश को गुमराह करने वाला प्रधानमंत्री का यह बयान क्या ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ‘ और ‘राष्ट्रवाद ‘ की श्रेणी में आता है ?आज जो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्रवाद का प्रमाण पत्र बांटते फिरते हैं इनके संस्कार व इनकी सोच ही अपने आप में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरनाक व राष्ट्र विरोधी है। क्योंकि संघ संस्थापकों में प्रमुख गोलवरकर स्वयं भारतीय समाज में एकता सद्भाव के नहीं बल्कि सामाजिक विघटन व नफरत के पक्षधर थे। वे ईसाई,मुसलमानों,कम्युनिस्टों को देश के लिये खतरा मानते थे। यह विघटनकारी सोच ही राष्ट्रविरोधी है। इस देश में जन्मा कोई भी व्यक्ति इसी देश के लिए खतरा कैसे हो सकता है? यही महाशय अंग्रेजों के विरुद्ध हो रहे स्वतंत्रता संघर्ष को बेमानी मानते थे। यही वजह है कि संघ स्वतंत्रता आंदोलन में अपने योगदान का कोई इतिहास नहीं रखता। और यदि है भी तो वह सावरकर व अटल बिहारी वाजपेई का है जिसकी परिणिति अंग्रेजों से मुआफी मांगने पर होती है। आश्चर्य की बात है कि ऐसे लोग अपने पास ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ‘ और ‘राष्ट्रवाद ‘ के सर्वाधिकार सुरक्षित समझ रहे हैं ?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker