GlobelNational

डिजिटल माध्यम से अदालतों में हो रही सुनवाई जारी रखने से हो सकती है समस्याः न्यायालय

नई दिल्ली, 08 नवंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें अनुरोध किया गया था कि डिजिटल माध्यम से अदालतों में सुनवाई को याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार घोषित किया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि डिजिटल माध्यम से अदालतों में हो रही सुनवाई जारी रखने से समस्या हो सकती है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की एक पीठ ने कहा कि डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सी समस्याएं हैं। पीठ ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए दिसंबर में सूचीबद्ध किया है। पीठ ने कहा, “डिजिटल माध्यम से सुनवाई एक समस्या हो सकती है। एक साल तक इस प्रकार काम करने के बावजूद हम प्रतिदिन 30-35 मामलों की तुलना में 60-65 मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सारी समस्याएं हैं।”

न्यायालय ने कहा, “जरनैल सिंह (पदोन्नति में आरक्षण) मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष रूप से पेश हुए थे जहां वकीलों ने कहा कि यहां आकर दलीलें देने में कितना अच्छा लगता है। हम भी अब (अदालत) खोल रहे हैं। पूरी तरह खुलने के बाद हम सुनवाई करेंगे।”

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने यह याचिका दायर की थी और मामले की सुनवाई तत्काल करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा, “आज याचिकाकर्ता कहीं से भी बैठकर मामले की सुनवाई देख सकता है।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि 70 वर्षों से बिना शिकायत के न्याय मिल रहा है लेकिन आज प्रत्यक्ष उपस्थिति के साथ समस्या आ गई। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सुनवाई के मिलेजुले माध्यम से काम नहीं हो पा रहा हैं और फिर से सामान्य रूप से कामकाज होना चाहिए।

न्यायालय गैर सरकारी संगठन ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस’ और कुछ प्रमुख नागरिकों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमे वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई को वादकारियों का मौलिक अधिकार घोषित करने का अनुरोध किया गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker