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करगिल युद्ध में लिया हिस्सा, 7000 लोगों की बचाई जान, सीमा पार आतंकियों पर प्रहार, शानदार रहा है जनरल रावत का मिलिट्री करियर

-अभिनय आकाश-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

देश की सेना से जुड़ी एक बहुत ही महत्वपूर्ण खबर आई। तमिलनाडु के कुन्नूर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत को ले जा रहा सेना का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जब यह हादसा हुआ, उस दौरान सीडीएस बिपिन रावत के अलावा उनकी पत्नी और सेना के अन्य अधिकारी भी हेलिकॉप्टर में मौजूद थे। सेना के इस हेलिकॉप्टर पर कुल 14 लोग सवार थे। जनरल रावत 31 दिसंबर 2019 को सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे और जिसके बाद उन्हें जनवरी 2020 में तीनो सेना जल-थल-नभ का सेनापति यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया। आज हम आपको जनरल बिपिन रावत के सैन्य सफर की शुरुआत से लेकर उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी कहानियों के बारे में बताएंगे।

ऐसे हुई सैन्य सफर की शुरुआत

बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को देहरादून में हुआ। सेना के प्रति उनकी रूचि मिलिट्री बैकग्राउंड की वजह से हुई। बिपिन रावत के पिता एलएस रावत भी फौज में थे। वो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे। बिपिन रावत की पढ़ाई लिखाई शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। जिसके बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से उन्होंने ग्रैजुएशन किया। उनकी परफोर्मेंस को देखते हुए उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। उसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढाई करने का मन बनाया और वो अमेरिका चले गये यहाँ उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज में ग्रेजुएट किया। साथ में उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया फिर अमेरिका से लौटने के बाद रावत ने सेना में जाने का मन बनाया। 1978 के दिसंबर में बिपिन रावत की सेना में एंट्री हुई। उन्हें गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में जगह मिली। यहीं से बिपिन रावत के सैन्य सफर की शुरुआत हुई।

काउंटर इंसर्जेन्सी के विशेषज्ञ माने जाते हैं रावत

बिपिन रावत सेना में शामिल होने के बाद अनेक पदों पर रहे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में भी उनकी तैनाती हुई। मिलिट्री ऑपरेशन डॉयरेक्टरेट में वे जनरल स्टाफ ऑफिस ग्रेड टू रहे। लॉजिस्टिक स्टाफ ऑफिसर कर्नल मिलिट्री सीक्रेटरी, ड्यूटी मिलिट्री सीक्रेटरी, जूनियर कमांडर विंग में सीनियर इंस्ट्रक्टर जैसे कई पदों पर वे सेना में रहे। आर्मी चीफ बनने से पहले बिपिन रावत साउदर्न आर्मी कमांड के चीफ थे। बिपिन रावत को ऊंची चोटियों की लड़ाई में महारत हासिल था। आतंकवाद और उग्रवाद की गतिविधियों से निपटने के लिए उन्होंने कई ऑपरेशन भी चलाए हैं। बिपिन रावत को काउंटर इंसर्जेन्सी का विशेषज्ञ माना जाता था। इस क्षेत्र में उन्हें अच्छा खासा और लंबा अनुभव रहा। नॉर्थ ईस्ट में चीन से सटे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर उन्होंने एक इंफ्रंट्री बटालियन को कमांड किया। कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डीविजन में विंग कमांड ऑफिसर भी रहे हैं।

कारगिल युद्ध में लिया हिस्सा

जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। इस युद्ध में भारत को जीत मिली थी। सरकार ने 2001 में उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में कारगिल युद्ध की समीक्षी के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया था। इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था। इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की सिफारिश की थी।

यूएन मिशन के भागीदार के रूप में काम करते हुए बचाई 7000 लोगों की जान

41 साल के कैरियर में बिपिन रावत को बहादुरी के लिए कई सारे अवॉर्ड मिले हैं। 2008 में कांगो में यूएन पीस कीपिंग ऑपरेशन में इंडियन ब्रिगेड के चीफ रहे। वहां उन्होंने अपने लीडरशिप से काफी सराहना प्राप्त की। उस समय एक बड़ा हादसा हुआ। बिपिन रावत ने समय रहते और अपनी सतर्कता से 7000 लोगों की जान बचाई थी।

साल 2015 में भी हुआ था विमान हादसा

सीडीएस रावत के हेलीकॉफ्टर क्रैश होने के ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी उनका विमान छह साल पहले दुर्घटनागस्त हो चुका है। ये घटना 3 फरवरी 2015 की है। उस वक्त बिपिन रावत थल सेना अध्यक्ष नहीं बने थे। बिपिन रावत सेना की नगालैंड के दिमापुर स्थित 3-कोर के हेडक्वार्टर के प्रमुख का पद संभाल रहे थे। दिमापुर से रावत अपने चीता हेलिकॉप्टर में सवार होकर निकले, लेकिन कुछ ऊंचाई पर उनके चॉपर का नियंत्रण खो गया और हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। बताया जाता है कि हादसे के पीछे इंजन फेल होने का कारण था। आई थी। उस वक्त सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि हेलिकॉप्टर जमीन से कुछ मीटर की ऊंचाई तक ही पहुंच पाया था। इसी दौरान सिंगल इंजन के इस चॉपर में कुछ गड़बड़ी आ गई और इसके दोनों पायलटों का नियंत्रण छूट गया। लेकिन क्रैश में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं आई थी। इस घटना में भी वायुसेना ने उच्चस्तरीय जांच बिठाई थी।

देश के 27वें थल सेनाध्यक्ष

जनरल विपिन रावत सितंबर 2016 में भारतीय सेना के वाइस चीफ बने थे। रावत ने जनरल दलबीर सिंह के रिटायर होने के बाद भारतीय सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी। दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने जनरल बिपिन रावत से वरिष्ठ दो अफसरों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बक्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को दरकिनार कर भारतीय सेना प्रमुख बना दिया। जनरल बिपिन रावत गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवे अफसर हैं जो भारतीय सेना प्रमुख बनें।

बॉर्डर पार दहशतगर्दों पर करारा जवाब

जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था। मणिपुर में हुए एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे। इसके जवाब में सेना के कमांडों ने म्यांमा की सीमा में दाखिल होकर हमला किया था। इस हमले में एनएससीएन के कई आतंकी मार गिराए गए थे। यह अभियान चलाया था 21 पैरा ने, जो थर्ड कॉर्प्स के तहत काम करता था। उस समय थर्ड कॉर्प्स के कमांडर बिपिन रावत ही थे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के उरी स्थित सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 19 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों पर स्ट्राइक का फैसला लिया गया। इस पर सेना ने 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जाकर आतंकी शिविरों पर करारा प्रहार किया। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सेना ने जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में ही ऑपरेशन आल आऊट की शुरुआत की थी। इस ऑपरेशन में घाटी में छिपे आतंकियों को चुन-चुन कर मारा गया। जनरल बिपिन रावत ने घाटी में ऐसी रणनीति तैयार की जिसमें आतंकी फंसकर रह गए। आतंकी बुरहान वानी समेत हिज्बुल, लश्कर, जैश के टॉप कमांडर ढेर किया गया।

क्या होता है सीडीएस का रोल

जनरल बिपिन रावत ने जनवरी 2020 को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद ग्रहण किया। वो 31 दिसंबर 2019 को भारतीय सेना के पद से रिटायर हुए थे। सीडीएस फोर स्टार जनरल होंगे जिनकी सैलरी सर्विस चीफ (आर्मी चीफ, नेवी चीफ, एयरफोर्स चीफ) के बराबर होती है। पहले इसे पांच स्टार देने पर विचार हो रहा था। लेकिन फील्ड मार्शल को ही पांच स्टार मिलता है। ऐसा होने से ये प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी ऊपर हो जाता। बाद में चार स्टार जनरल की रैकिंग देने पर सहमति बनी। सीडीएस के पास सेक्रेटरी लेवल की पावर होती है। उनके पास फाइनेंशियल पावर होती है और वह फाइल सीधे रक्षा मंत्री को भेज सकते हैं उन्हें डिफेंस सेक्रेटरी के जरिए जाने की जरूरत नहीं होती। सीडीएस बनने के बाद अपने पद से मुक्त होने के बाद कोई सरकारी पद नहीं लिया जा सकता है। साथ ही पदमुक्त होने के बाद पांच साल तक बिना इजाजत के कोई प्राइवेट जॉब जॉइन नहीं कर सकते। सीडीएस के पास सेनाओं में किसी कमांड का नियंत्रण नहीं होता। वो सेनाओं के बीच कमांड एंड कंट्रोल के ढांचे में सबसे ऊपर हैं। उनकी पहुंच सीधे रक्षा मंत्री तक होती है। जरूरत पड़ने पर रक्षा मंत्री से जमीनी टुकड़ियों तक कम समय में इनपुट पहुंचाना और वहां से कम से कम समय में मंत्रालय तक इनपुट पहुंचे सीडीएस उसे सुनश्चित करते हैं।

कांग्रेस नेता ने बुलाया था सड़क का गुंडा

जब जनरल बिपिन रावत थल सेना के अध्यक्ष थे तो कांग्रेस की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के पुत्र और पूर्वी दिल्ली से सांसद रहे संदीप दीक्षित ने सेना प्रमुख को सड़क का गुंडा तक कह डाला था। संदीप दीक्षित ने कहा था हमारी फौज जितनी सशक्त है और जिस तरह सीमाओं की सुरक्षा करती है और जब भी पाकिस्तान वहां हरकत करता है वो उसका जवाब देती है वो सबको मालूम है। ये दूसरी बात है कि आज के प्रधानमंत्री आज के लोग इस बात को ज्यादा जोर से चिल्लाते हैं। लेकिन हमारी सेना सशक्त है। हमने हमेशा सीमा पर पाकिस्तान को सशक्त जवाब दिया है। आज की बात नहीं ये पिछले 70 साल से चला आ रहा है। पाकिस्तान एक ही चीज कर सकता है कि जाकर इस तरह की हरकतें करे और ऊल जुलूल बयान दे। खराब तब लगता है जब हमारे भी थल सेनाध्यक्ष एक सड़क के गुंडे की तरह बयान देते हैं। हालांकि बवाल मचता देख संदीप दीक्षित ने माफी भी मांग ली थी।

सेना को मॉर्डन बनाने और साइबर क्षमताओं को डेवलप करने पर फोकस

सीडीएस रावत इन दिनों सेना के तीनों अंगों (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन के लिए इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड की योजना पर काम कर रहे हैं। ये थिएटर कमांड देश की तीनों सैन्य सेवाओं की पहले से मौजूद 17 कमांड के अतिरिक्त होगी। इसके अलावा आर्मी के हथियारों को अपग्रेड करने के लिए स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप मॉडल पर बिपिन रावत की निगरानी में ही काम चल रहा है। इसी साल अक्टूबर में रावत ने कहा था कि भारतीय सेना के लिए एडवांस सर्विलांस सिस्टम हमारी टॉप प्रायोरिटी है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि हमें अपनी साइबर क्षमताओं को और डेवलप करने पर फोकस करना होगा, क्योंकि हमारे दुश्मन तेजी से साइबर क्षमताओं को डेवलप कर रहे हैं।

चीन को बताया दुश्मन नं 1

चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान को नहीं बल्कि भारत का नंबर वन चीन को बताया। बिपिन रावत ने पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि जब हम जम्मू-कश्मीर की बाते करते हैं, तब इसमें पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान भी शामिल हैं।

अपने कार्यकाल में जनरल रावत की छवि ऐसे लीडर की बनी जिन्होंने न सिर्फ सैन्य मोर्चे पर बल्कि देशहित से जुड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर भी सरकार के साथ पूरे तालमेल के साथ काम किया। जनरल बिपिन रावत उस वक्त भी सरकार के साथ खड़े रहे जब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का साहसिक निर्णय लिया। वो नागरिकता संशोधन कानून पर भी सरकार के साथ नजर आए।

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